जनता को गुमराह करने के लिए वे राजनीति से सन्यास लें: भगवानु नायक
रायपुर(realtimes) प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महामंत्री एवं संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी (Shailesh Nitin Trivedi) पर तंज कसते हुए उन्हें ‘झुठेश’ नितिन त्रिवेदी की संज्ञा दी है और कहा है कि अजीत जोगी(Ajit jogi) के जाति मामले (Caste matters)में खुला चैलेंज (Open challenge)देते हुए अपनी प्रेस विज्ञप्ति में उन्होंने कहा है कि ‘यदि कोई छानबीन समिति कांग्रेस और कांग्रेस सरकार द्वारा गठित की गई हो इसका नोटिफिकेशन (अधिसूचना) जानकारी सार्वजनिक करें ताकि स्थिति पूरे तरीके से स्पष्ट हो सके।
शैलेश नितिन त्रिवेदी के उपरोक्त खुला चैलेंज को स्वीकार करते हुए जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के प्रवक्ता एवं अधिवक्ता भगवानु नायक ने आज इस संबंध में बतौर भूपेश सरकार द्वारा राजपत्र में पारित अधिसूचना का दस्तावेज प्रमाण प्रस्तुत किया है।
सर्वप्रथम दिसम्बर 2018 में भूपेश सरकार ने रीना बाबा साहब कंगाले को उच्च स्तरीय जाति छानबीन समिति के अध्यक्ष के पद पर यथावत रखा। तत्पश्चात रमन सरकार द्वारा नियुक्त छानबीन समिति की अध्यक्ष रीना बाबा साहब कंगाले को 15 मार्च 2019 को बक़ायदा राज्यपत्र में अधिसूचना जारी करके हटाकर देवी दयाल सिंह को उनके स्थान पर नियुक्त किया गया। उक्त दस्तावेज़ी प्रमाण से सिद्ध हो जाता है कि डी॰डी॰ सिंह की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय छानबीन समिति, जिसने अजीत जोगी के जाति प्रमाण पत्र को निरस्त करने का एकपक्षीय निर्णय 23 अगस्त 2019 को पारित किया था, उसका गठन 15 मार्च को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा किया गया है।
यही नहीं 9 अगस्त 2019 को अंतरराष्ट्रीय आदिवासी दिवस के दिन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष मोहन मरकाम ने स्पष्ट रूप से यह बयान दिया कि 1 महीने के अंदर डी॰डी॰ सिंह की अध्यक्षता में गठित उनके द्वारा छानबीन समिति के द्वारा समस्त नेताओं के फर्जी जाति प्रमाण पत्र रद्द कर उनकी राजनीति समाप्त कर दी जाएगी। उपरोक्त वक्तव्य को प्रदेश के सभी प्रमुख समाचार पत्रों ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था और एक अख़बार ने तो डी॰डी॰ सिंह द्वारा मुख्यमंत्री के इस निर्देश का पालन करने का व्यक्तत्व भी जारी किया था।
भूपेश बघेल द्वारा 15 मार्च 2019 को नियुक्त उच्च स्तरीय छानबीन समिति के अध्यक्ष डी.डी. सिंह और सदस्य-सचिव मुकेश बंसल ने अपनी स्वामिभक्ति का परिचय देते हुए 1 महीने में नहीं बल्कि मात्र 14 दिनों में ही अजीत जोगी के समस्त आपत्तियों को आग्राह्य करके, उनके विरुद्ध इकट्ठे किए गए दस्तावेज और मौखिक सबूतो को उनको दिखाए बिना, उच्च न्यायालय के 30 अगस्त 2019 के अमित जोगी को कँवर जनजाति घोषित करने वाले फैसले के विपरीत और छत्तीसगढ़ पंचायती राज अधिनियम की धज्जियां उड़ाते हुए ग्राम पंचायत के सचिव से जोगिसार ग्राम सभा के वैधानिक प्रस्ताव कि अजीत जोगी कँवर जनजाति के हैं को गैरकानूनी रूप से आग्रहय करते हुए, अजीत जोगी जी के जाति प्रमाण पत्र को निरस्त करने का एकपक्षीय और गैरकानूनी आदेश पारित किया।
साथ ही शैलेश ‘झुठेश’ नितिन त्रिवेदी ने कल जारी अपनी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि अजीत जोगी ने रायपुर में और अमित जोगी ने बिलासपुर में एक साथ सवंदाताओ से बातचीत की है जो कि सरासर गलत है। अमित जोगी ने अस्वस्थता के कारण कल बिलासपुर में किसी भी मीडिया के संवादाता से बातचीत नहीं की है।
एक दिन पहले अमित जोगी ट्विटर के माध्यम से खुली चुनौती दी थी कि “मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और प्रदेश कांग्रेस समिति के संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी वो आदेश दिखाएँ जो ये कहता है कि 1967 में नायब तहसीलदार जाति प्रमाण पत्र जारी करने के लिए अधिकृत नहीं थे। यही दो महानुभाव भाजपा के साथ मिलकर संत के पीछे शैतान की भूमिका अदा कर रहे हैं! आदेश दिखाने पर मैं पार्टी फ़ंड से ₹10 लाख नगद इनाम उन्हें दूँगा।”
दो दिन के पश्चात भी सरकार में रहते हुए न तो श्री बघेल और न ही श्री त्रिवेदी ने ऐसे किसी आदेश को सार्वजनिक कर पाए हैं बल्कि उनकी चुनौती को स्वीकार करते हुए जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) ने 15 मार्च 2019 को राजपत्र में प्रकाशित अधिसूचना को सार्वजनिक करके ये प्रमाणित कर दिया है कि संत के पीछे शैतान स्वयं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और झूटेश शैलेश नितिन त्रिवेदी ही हैं।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार द्वारा सामान्य प्रशासन विभाग ने उपरोक्त आदेश राजपत्र में प्रकाशित किया है, जो कि इंटरनेट में अपलोड भी हुआ है। इस प्रकार का सफ़ेद झूठ बोलने पर नैतिकता के आधार पर ‘झूटेश’ नितिन त्रिवेदी को राजनिति से सन्यास ले लेना चाहिए।