बिलासपुर (mediasaheb.com) । सीज़न शबाब पर है और तालाब, जलाशय और नदियों में मछली बीज डाले जाने लगे है। अब आगे की तैयारी याने मछली जाल के लिए सौदे चालू हो गए है, लेकिन जीएसटी के करंट से जाल भी नहीं बचा हैं। इस टैक्स के बाद मछली जाल प्रति किलो 20 से 30 रुपया महंगा बिकने लगा है।
मछली बीज की कीमतें आसमान छूने लगी है। इसी कड़ी में मछली जाल भी महंगा हो चुका है। देशभर में जीएसटी को लेकर सशय खत्म हो चुका है लेकिन इसकी चपेट में मछली जाल भी आ चुका है। इसके असर से पहली बार मछली जाल की कीमतों में प्रति किलो 20 से 30 रुपए की तेजी आ चुकी है। इधर सरकार ने मत्स्य पालन को बढ़ावा देने की योजना से इस कारोबार में मानो पंख लगा दिए हैं, इसलिए तेज़ी के बावजूद इस बाज़ार में जमकर ख़रीदी चल रही है।
इस बाजार में जाल की कीमत उसके छिद्र के हिसाब से तय की जाती है। छोटा और ज्यादा छिद्रों वाला जाल सबसे ज़्यादा महंगी दर पर बिकता है। इन्हीं छिद्रों को बोट कहा जाता है। याने बोट की संख्या पर कीमत तय की जाती है। इस वक्त ऐसे ही ज्यादा बोट वाले जाल की मांग जिले में है।
यहां से बनकर आ रहा मछली जाल
देश में हावड़ा, मुंबई और नागरकोईल में मछली जाल निर्माण इकाईयां है। इन तीनों शहरों की निर्माण इकाइयों पर देशभर की मांग का दबाव बना हुआ है। सबसे ज्यादा बोट वाली जाल बनाने की इकाई नागरकोइल में चल रही है। जीएसटी की अनिवार्यता के बाद ये सभी इकाइयां बेहद दबाव में है। असर कीमतों में तेजी के रूप में सामने आ रहा है।
मछली बाजार में इस वक्त सबसे ज्यादा करंट जाल की मांग है। ज्यादा बोट वाला यह जाल अपने करीब आ चुकी मछलियों को भी झटका देता है। इसके असर से मछली जाल में फंस जाती है। इसकी कीमत इस समय 600 से 850 रुपया प्रति किलो चल रही है। चीन में बने तूफान नेट ने जगह तो बना ली है, पर उसे करंट नेट से कड़ा मुक़ाबला करना पड़ रहा है। इसकी कीमत 300-600 रुपया किलो पर चल रही है। इसमें 2 से 9 बोर होते हैं, लेकिन करंट नेट मे 1 से 15 बोट होते हैं, इसलिए यह अभी भी अपना दबदबा बनाए हुए हैं।
इस वजह से बाजार तेज
सरकार की मत्स्य पालन योजना को जोरदार बढ़ावा देने के बाद जिले के अधिकांश तालाब मछली उत्पादन के लिए ठेके पर दिए जाने लगे हैं। पलारी से सिमगा तक फिश कॉरिडोर बनाने की योजना के बाद इसके बाजार को जोरदार बढ़ावा मिला है, इसलिए तेजी मजबूती के साथ बरकरार है।