नई दिल्ली, 15 जून (mediasaheb.com) । छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात कर उनसे छत्तीसगढ़ के 70 लाख आदिवासियों और 58 लाख गरीब परिवारों से जुड़े लंबित विषयों के शीघ्र निराकरण की मांग की है। इसके साथ ही उन्होंने राज्य के हर घर में स्वच्छ पेयजल हेतु नल के कनेक्शन के लिए केंद्र सरकार द्वारा शत-प्रतिशत अनुदान देने और वन अधिकार प्राप्त किसानों को सम्मलित करते हुए 12 हजार रुपये प्रतिवर्ष सम्मान निधि देने की मांग की है।
शनिवार को सात लोक कल्याण मार्ग स्थित प्रधानमंत्री आवास पर बघेल ने मोदी से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री से कहा कि छत्तीसगढ़ में किसानों के हितों को ध्यान रखते हुए राज्य शासन ने किसानों से 2500 रुपये प्रति क्विटंल समर्थन मूल्य पर धान की खरीद की हैं। इससे राज्य में अतिरिक्त धान का उपार्जन हुआ हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री से आग्रह किया कि किसानों के हित को देखते हुए सार्वजनिक प्रणाली की आवश्यकता के अतिरिक्त चावल को केन्द्रीय पूल में लेने की स्वीकृति प्रदान की जाए। राज्य के हर घर में नल कनेक्शन के माध्यम से पेयजल प्रदान करने की योजना के संबंध में मुख्यमंत्री ने आग्रह किया कि इसके लिए केन्द्र सरकार को शत प्रतिशत अनुदान प्रदान करना चाहिए । उन्होंने कहा कि जिस प्रकार शत-प्रतिशत विद्युतीकरण को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर प्रयास हुए हैं। उसी प्रकार हर घर में पेयजल की व्यवस्था के लिए भी प्रयासों की जरूरत है।
प्रधानमंत्री से मुलाकात के दौरान वन अधिकारों की मान्यता का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि भारतीय वन अधिनियम, 1927 में प्रस्तावित संशोधनों में अनेक खामियां हैं, जिससे वन क्षेत्रों में निवासरत आदिवासियों के हितों का संरक्षण नहीं किया गया है। उन्होंने इसमें संशोधन पर जोर दिया है। बघेल ने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा देश के लघु एवं सीमांत कृषकों को लाभांवित करने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना आरंभ की गई है। इस योजना के हितग्राहियों में अनुसूचित जनजाति और अन्य परंपरागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006 के तहत् वन अधिकार प्राप्त किसानों को शामिल नहीं किया गया है। उन्होंने इस योजना अंतर्गत उक्त वन अधिकार प्राप्त किसानों को सम्मिलित करते हुए 12,000 रुपये प्रतिवर्ष सम्मान निधि देने की मांग की है।
बैठक में उज्जवला योजना का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि योजना के तहत रिफिल कराये गये सिलेंडर की संख्या कम हैं। गरीब परिवारों के लिए एकमुश्त इतनी राशि देना संभव नहीं होने तथा दूरस्थ अंचलों में एल.पी.जी वितरकों की संख्या में अपेक्षित वृद्धि न होना कम रिफिल का मुख्य कारण है। मुलाकात के दौरान मुख्यमंत्री ने आग्रह किया कि शासकीय उपक्रमों हेतु आबंटित खदानों में 100 रुपये प्रति टन के स्थान पर 500 रुपये प्रति टन प्रीमियम दिए जाने तथा छत्तीसगढ़ राज्य को उत्पादित विद्युत का हिस्सा भी देने की मांग की है। (हि.स.)


