बिलासपुर,(mediasaheb.com) आज भूपेश सरकार द्वारा आयोजित मस्तूरी क्षेत्र के बोहारडीह गाँव में प्रस्तावित ACC Cement की लाइमस्टोन (चूना-पत्थर) की खदान खोलने के लिए EIA (Environmental Impact Assessment) रिपोर्ट पर आधारित जनसुनवाई आयोजित करी गई। इसकी सूचना कल शाम को ही क्षेत्रवासियों ने श्री अमित जोगी को दी। देर से सूचना मिलने का प्रमुख कारण ये था कि उपरोक्त कम्पनी ने क़ानूनी प्रावधानों के अनुसार इसका मस्तूरी के ग्रामीणों में ‘व्यापक प्रचार-प्रसार’ करने हेतु दिल्ली से प्रकाशित अंग्रेज़ी अख़बार The Times of India में पिछले महीने विज्ञापन दिया था- जिसे यहाँ के लोग पढ़ते ही नहीं! साथ ही क़रीब 300पन्ने की पर्यावरण पर प्रभाव की EIA रिपोर्ट भी अंग्रेज़ी में बनाई गयी थी ताकि अधिकांश लोग उसे समझ ही न पाए। और जिनसे थोड़ी-बहुत समझ की अपेक्षा की जा सकती है- क्षेत्रीय विधायक (भाजपा), पूर्व विधायक (कांग्रेस), सांसद (भाजपा)- सब किन्हीं कारणों से जनसुनवाई में उपस्थित नहीं हो सके थे। श्री अमित जोगी ने सवाल किया कि “क्या इसलिए उन्हें जनता चुनकर विधान सभा और संसद में अपना प्रतिनिधि नियुक्त कर भेजती है कि जब शक्तिशाली ताक़तें एकजुट होकर उनके अस्तित्व को ही ख़तरे में डाल दे, तब वे सुविधापूर्वक नदारद हो जाए?”
जनसुनवाई हंगामेदार रही। जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के प्रदेश अध्यक्ष ने कल ही घोषणा कर दी थी कि किसी भी हाल में छत्तीसगढ़ की खनिज सम्पदा का दोहन और स्थानिय लोगों के साथ अन्याय नहीं होने दिया जाएगा। जिसके बाद से मस्तुरी के प्रभावित 5 अन्य ग्रामों- बोहारडीह, विद्याडीह, टाँगर, गोड़ाडीह और भुरकुंडा- के प्रभावित ग्रामवासियों को भी इस फ़र्ज़ी जनसुनवाई का विरोध करने का सामर्थ मिला। ग्रामीणों के हुजूम और गाड़ियों के काफिले के साथ श्री अमित जोगी जनसुनवाई मे पहुँचे और उतरते ही वहाँ पहले से उपस्थित लोगों के बिच जाकर उनसे उनकी राय जानी। सब ने श्री अमित जोगी से उनके गांव को बचाने के लिए कहा। इसके बाद जनसुनवाई आरंभ होने तक अमित जोगी जनता के बिच आम लोगो की तरह ही बैठे रहे।तत्पश्चात् उन्होंने अपनी राय प्रशासनिक अधिकारियों और कम्पनी के प्रतिनिधियों के सामने साक्ष्य, रेपोर्ट, और तथ्यों के साथ रखी जिससे ACC और भूपेश सरकार का झूट बेपर्दा होने मे देर नहीं लगी।
अमित जोगी ने जनसुनवाई में अपने छत्तीसगढ़ी में दिए भाषण में कहा कि सरकार और ACC सीमेंट कम्पनी के द्वारा ऐसा करने का कारण साफ़ नज़र आ रहा है: भूपेश सरकार और ACC सीमेंट कम्पनी मिलकर यहाँ के भोले-भाले लोगों की आँखों में धूल झोंक के उनका जल और ज़मीन, दोनों हड़प लेना चाहते हैं। कम्पनी के नुमाइंदों ने लोगों को झूठे सपने दिखाए थे: ACC द्वारा प्रचारित करा गया कि सिमेंट की फ़ैक्टरी खुलेगी, लोगों को रोज़गार मिलेगा। दोनों बातों का 300 पन्ने की रिपोर्ट में कहीं भी उल्लेख नहीं मिलता है।जो बातें उल्लेखित है, वे इस प्रकार है:
(1) क़रीब 5000 हेक्टेर ज़मीन को अधिग्रहीत कर हर साल 39,00,000 टन चूना-पत्थर निकाला जाएगा (ज़मीन का क्या दर से मुआवज़ा दिया जाएगा या लैंड-लूसेर को नौकरी दी जाएगी, इसका कोई उल्लेख नहीं है)।
(2) उसके लिए प्रतिदिन 3,30,000 लीटर पानी की आवश्यकता होगी जिसकी पूर्ति पास से बहती कुरांग बैंक नहर, 250 मीटर पुर्व दिशा में लिलागर नदी और 6.5 किलोमिटर में शिवनाथ नदी के साथ अन्य कई छोटे-बड़े नाले और तालाब से पानी लिया जाना प्रस्तावित है। जबकि स्थिति ये है कि नदियाँ होने के बावजूद इन पाँचों गावों के लोग पीने के पानी के लिए तरस रहे हैं और ले-दे के साल में एक फ़सल ले पाते हैं। खदान खुलने से इस कृषि-प्रधान क्षेत्र का अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा। इस लिए श्री अमित जोगी ने शासन से माँग करी कि जल्द से जल्द पानी के उपयोग पर क़ानून पारित किया जाए: जल पर पहला अधिकार पेयजल के लिए, दूसरा अधिकार किसानों के खेतों की सिंचाई के लिए और फिर अगर पानी बचता है तो शेष आवश्यकताओं के लिए। श्री अमित जोगी ने कहा कि मस्तूरी में तो भूपेश सरकार ACC से मिलकर उल्टी गंगा बहाना चाहती है!
(3) अमित जोगी ने उपरोक्त रिपोर्ट को पढ़कर ये भी जानकारी दी कि इन सबके बदले में कम्पनी क्षेत्रवासियों के ‘सर्वागीन विकास’ के लिए, रिपोर्ट की कंडिका 2 के अनुसार, 3 चीज़ें करेगी: एक कैंटीन, एक एम्ब्युलन्स और एक विश्राम-कक्ष देगी।
इस पूरे प्रकरण पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि “मैं नहीं समझता कि इस से ज़्यादा हास्यास्पद और इस से ज़्यादा हृदय-विदारक कुछ और हो सकता है: हास्यास्पद इसलिए कि कुछ परदेसिया आज भी छत्तीसगढ़ियों को बेवक़ूफ़ समझते हैं जबकि अब हम पूरी तरह से अपने अधिकारों के प्रति जागृत हो चुके हैं और हृदय-विदारक इसलिए कि वे आज ये भी अपेक्षा करते हैं की वो हमारे चेहरे के ऊपर थूकते जाएँगे और हम उसे चाटते रहेंगे।इस सम्बंध में मैं उनको मस्तूरी क्षेत्र के रहने वाली छत्तीसगढ़ी कवि-सम्राट लक्ष्मण मस्तूरिया द्वारा रचित कविता ‘सोनाखान के आगी’ की चार पंक्ति सुनाना चाहूँगा:
मंदिर छत म कौवा बैठे
देवता ले बड़े बाजत हे
जागो रे बघुवा छत्तीसगढ़ के
कोलिहा मन ललकारत हे!”
अमित जोगी ने कहा कि “आज आप सब के सहयोग से मैंने भूपेश सरकार और ACC सीमेंट कम्पनी की ये दोनों ग़लत फ़हमियाँ दूर कर दीं: मैं मस्तूरी और छत्तीसगढ़ की जनता को बधाई देता हूँ कि आज हम सब ने मिलकर इस ग़ैर-क़ानूनी, अवैधानिक और प्रक्रियाओं के विपरीत आहूत आज कि जनसुनवाई का विरोध करा और ‘ACC वापस जाओ’ के बीच शासन को अंततः इस पूरी प्रक्रिया को स्थगित कर निरस्त करना पड़ा।” श्री अमित जोगी ने दो टुक शब्दों मे उपस्थित अधिकारियों से क्षेत्र की जनता की तरफ़ से उनके द्वारा रखी उपरोक्त तीनों बातें मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के कानों तक पहुंचाने और ACC कम्पनी द्वारा गलत EIA रिपोर्ट के प्रकाशन और क़ानून-विरोधी प्रक्रिया अपनाने का संज्ञान लेते हूए दोषियों पर उचित कार्यवाही की मांग भी की। श्री अमित जोगी के भाषण के बाद वहाँ के ग्रामीणों ने पुरज़ोर विरोध करते हूए जन सुनवाई निरस्त करवा दी।