प्रति,
माननीय महान्यायवादी जी
भारत सरकार,
नई दिल्ली
विषय: छत्तीसगढ़ शासन के विधि विभाग द्वारा दिनांक 31.05.2019 को जारी अधिसूचना क्रमांक 1399/21- ब/छ.ग./2019 को तत्काल निरस्त तथा छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के विरुद्ध अपनी संवैधानिक शक्तियों का दुरुपयोग करने हेतु न्यायोचित कार्यवाही करने बाबत।
महोदय,
1. हमारे प्रदेश छत्तीसगढ़ जो कि भारत के संघ का हिस्सा है में पिछले 2 दिनों से गम्भीर संवैधानिक संकट छाया हुआ है।प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रदेश के महाधिवक्ता कनक तिवारी के तथाकथित त्यागपत्र को मंजूर करते हुए दिनांक 31.05.2019 की रात को ही भारत के संविधान के अनुच्छेद 165 के उपखंड 1 में प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए नए महाधिवक्ता की नियुक्ति की अधिसूचना क्रमांक1399/21- ब/छ.ग./2019 जारी कर दी जबकि महाधिवक्ता कनक तिवारी का स्पष्ट रूप से यह कहना है कि उनके द्वारा न तो मुख्यमंत्री को और नही छत्तीसगढ़ के राज्यपाल महोदया को अपने पद से त्यागपत्र प्रेषित किया गया है और न ही उन्हें शासन द्वारा पदमुक्त करने की कोई अधिकृत सूचना दी गई है ।
2. उपरोक्त परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए दिनांक 31.05.2019 को जारी अपरोकत अधिसूचना पूर्ण रूप से असंवैधानिक एवं गैर-कानूनी है क्योंकि भारत के संविधान के अनुच्छेद 165 के उपखंड 1 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का उपयोग महामहिम राज्यपाल महाअधिवक्ता के रिक्त पद को ही भरने के लिए कर सकते है ।
3. प्रदेश के मुख्यमंत्री के अधिकृत कथन के अनुसार छत्तीसगढ़ शासन के महाधिवक्ता का पद कनक तिवारी के त्यागपत्र प्राप्त और स्वीकृत होने के बाद ही रिक्त हुआ था। इसमें गौर करने वाली बात यह है कि मुख्यमंत्री ने अथवा छत्तीसगढ़ शासन के किसी भी अधिकृत प्रतिनिधि ने अथवा स्वयं महामहिम राज्यपाल ने कभी भी महाधिवक्ता के पद की रिक्तता का कारण शासन द्वारा भारत के संविधान अनुच्छेद 165 उपखंड 3 के अंतर्गत प्रदत्त शक्तियों का उपयोग करते हुए महामहिम राज्यपाल के द्वारा उन्हें अपने पदभार से मुक्त करना नहीं बताया है ।
4. उपरोक्त संवैधानिक प्रावधानों एवं परिस्थितियों के परिपेक्ष में जब महाधिवक्ता का पद रिक्त हुआ ही नहीं था, तब छत्तीसगढ़ शासन के विधि विभाग द्वारा महामहिम राज्यपाल के नाम से अनुच्छेद 165 के खंड 1 के अंतर्गत 31.05.2019 को जारी करी गई किसी प्रकार की महाधिवक्ता की नियुक्ति की अधिसूचना पूर्ण रूप से असंवैधानिक एवं गैर-कानूनी है: सरल भाषा में, उपरोक्त अनुच्छेद 165 (1) का प्रयोग सिर्फ़ और सिर्फ़ महाधिवक्ता के रिक्त पद को भरने के लिए किया जा सकता है, उस पद पर कार्यरत व्यक्ति को पद मुक्त करने का उसमें कोई प्रावधान नहीं है । अगर कार्यरत महाधिवक्ता द्वारा स्वेच्छा से त्यागपत्र महामहीम राज्यपाल को औपचारिक रूप से नहीं दिया जाता है, तो उन्हें अपने पदभार से मुक्त करने हेतु पृथक से अनुछेद 165 (3) के अंतर्गत अधिसूचना जारी करना अनिवार्य है, जिसका राजपत्र में प्रकाशन 31.05.2019 के पूर्व नहीं करा गया ।
5. संविधान में अनुच्छेद 165 का प्रावधान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा करी गई इसी प्रकार की अनुचित राजनैतिक द्वेषपूर्ण कार्यवाही से महाधिवक्ता-जो कि हमारे राष्ट्र की संघीय व्यवस्था में कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच की सबसे महत्वपूर्ण कड़ी है-को सुरक्षित रखने के लिए ही संविधान-निर्माण सभा द्वारा सम्मिलित किया गया था ताकि वे पूर्ण रूप से, बिना भय, द्वेष और पक्षपात के, अपने संवैधानिक कर्तव्यों का निर्वहन कर सकें। पिछले पाँच महीनों से कनक तिवारी को छत्तीसगढ़ शासन के महाधिवक्ता के रूप में उनके संवैधानिक दायित्यों के निर्वहन करने से मुख्यमंत्री द्वारा बाधित किया जा रहा था तथा उन पर अवैधानिक तरीक़े से कार्य करने के लिए लगातार राजनैतिक दबाव बनाया जा रहा था ।
6. उपरोक्त परिप्रेक्ष्य में आपसे निवेदन है कि भारत शासन के मुख्य न्यायाधीकारी होने के नाते आप तत्काल इस प्रकरण को संज्ञान में लेते हुए छत्तीसगढ़ शासन के विधि विभाग द्वारा दिनांक 31.05.2019 को जारी अधिसूचना क्रमांक 1399/21- ब/छ.ग./2019 को तत्काल निरस्त करने तथा छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के विरुद्ध अपनी संवैधानिक शक्तियों का दुरुपयोग करने हेतु न्यायोचित कार्यवाही करने का कष्ट करें ।