यूपीए सरकार से लड़ने वाले रमन सिंह डर के मारे चुप रहे केंद्र में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद हम सब वापस लेंगे
रायपुर (mediasaheb.com)प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी पांच साल कहने को तो पूरे देश के प्रधानमंत्री रहे लेकिन उन्होंने छत्तीसगढ़ के साथ सौतेला व्यवहार किया।. उन्होंने छत्तीसगढ़ को अलग से तो कुछ दिया नहीं उल्टे प्रदेश से बहुत कुछ छीन लिया।. इससे न केवल छत्तीसगढ़ को राजस्व का भारी नुकसान हुआ बल्कि एक गरीब प्रदेश के लोगों को मिलने वाली सुविधा में भी भारी कटौती करनी पड़ी।. इससे छत्तीसगढ़ पर बोझ भी लगातार बढ़ा और किसानों से लेकर आदिवासियों तक सब इससे प्रभावित हुए।
. शुरुआत हुई मोदी जी की सरकार बनने के ही साथ।
मई में मोदी जी ने शपथ ली और जून में छत्तीसगढ़ की रमन सरकार को चिट्ठी लिख दी कि किसानों को बोनस देना बंद करो नहीं तो केंद्र आपसे धान नहीं लेगा।. यूपीए सरकार के दौरान अगर ऐसा होता तो तत्कालीन मुख्यमंत्री हंगामा खड़ा कर देते, लेकिन मोदी जी के इस फैसले पर उन्होंने एक चिट्ठी लिखी और चुप बैठ गए।. किसानों को तीन साल तक बोनस नहीं मिला, अगर चुनाव सर पर न होते और कांग्रेस का दबाव न होता तो बाद के सालों में भी नहीं मिलता।. मोदी सरकार ने छत्तीसगढ़ के कोयला खदानों को नीलाम करने की जगह आवंटित करने का जो फैसला किया है, वह छत्तीसगढ़ के लिए बहुत नुकसानदायक साबित हो रहा है।. पहले तो 42 कोल ब्लॉकों के आवंटन रद्द किए गए फिर उनमें से सिर्फ 14 का आवंटन हो सका है।. अगर पहले वाली व्यवस्था होती तो राज्य को न्यूनतम 2500 रुपए प्रति टन रॉयल्टी मिलती लेकिन केंद्र सरकार ने इसे घटाकर मात्र सौ रुपए कर दिया है।.
इससे आगामी तीस वर्षों में राज्य को नौ लाख करोड़ (यानी नौ वर्षों के बजट के बराबर) के राजस्व की हानि होगी।. अगर यह राशि हमें मिलती तो छत्तीसगढ़ गरीब राज्य से एक आत्मनिर्भर संपन्न राज्य बन सकता था।. कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के दस वर्षों में (2004-2014) छत्तीसगढ़ से शुरु होने वाली और छत्तीसगढ़ के गुजरने वाली नई ट्रेनों की संख्या 110 थी।. लेकिन मोदी जी के पांच साल के कार्यकाल में छत्तीसगढ़ को मिलने वाली ट्रेनों की संख्या 25 से भी कम है।. इससे अंदाजा लगता है कि छत्तीसगढ़ के साथ कितना अन्याय हुआ है।
. अब मोदी सरकार ने राज्य में अनुदान से चलने वाली संस्थाओं को खाद्यान्न देना बंद करने की घोषणा की है।. इससे बहुत से छात्रावास, वृद्धाश्रम जैसी कल्याणकारी संस्थाओं को मिलने वाला खाद्यान्न अब नहीं मिल पा रहा है।. इसी के चलते छत्तीसगढ़ के दाल भात सेंटर बंद करने पड़े हैं।. यह मोदी सरकार का छत्तीसगढ़ के गरीबों के खिलाफ एक और षडयंत्र है।
. छत्तीसगढ़ में पिछले 15 वर्षों में लगातार गरीबों की संख्या बढ़ी है।. लेकिन मोदी सरकार के फैसले गरीब विरोधी ही रहे. केरोसिन यानी मिट्टी तेल में कटौती इसका एक और उदाहरण है।. पहले छत्तीसगढ़ के खाते में 1.72 लाख लीटर मिट्टी तेल था लेकिन मोदी सरकार ने इसमें कटौती करके इसे 1.15 लाख लीटर कर दिया।. तथ्य यह है कि ग्रामीण इलाकों और सुदूर अंचलों में गैस सिलेंडर भरवाने की दर एक सिलेंडर प्रति वर्ष से कम है. ऐसे में उनके लिए मिट्टी का तेल ही बहुत बड़ी सहारा था, लेकिन सरकार ने इसे भी बंद कर दिया।. अभी 12.90 लाख राशनकार्ड धारी मिट्टी तेल से वंचित हैं।
. केंद्र मे बैठी मोदी सरकार ने वनाधिकार कानून में कई बदलाव के प्रस्ताव रखे हैं।. चूंकि छत्तीसगढ़ में बड़ी संख्या में आदिवासी रहते हैं और 146 में से 85 ब्लॉक पांचवीं अनुसूची के दायरे में आते हैं. इन बदलावों का आदिवासियों के जनजीवन पर बहुत विपरीत असर पड़ेगा।. एक तो राज्य की भाजपा सरकार ने आदिवासियों को वनाधिकार ठीक तरह से नहीं दिए और साढ़े आठ लाख आवेदनों में से साढ़े चार लाख आवेदन रद्द कर दिए. और अब ये कटौती हो रही है।. आदिवासियों की भलाई के लिए यूपीए सरकार ने लघु वनोपज का समर्थन मूल्य घोषित किया था. लेकिन मोदी जी की सरकार ने लघु वनोपज के समर्थन मूल्य में 53 प्रतिशत तक की कटौती कर दी।
. ये तो कुछ प्रतिनिधि उदाहरण हैं. ऐसी ढेरों चीजें हैं जिससे पता चलता है कि छत्तीसगढ़ के साथ कैसा व्यवहार हुआ है।. उदाहरण के तौर पर छत्तीसगढ़ में 2005 से अब तक 1,96,874 आवास बनने थे लेकिन बने सिर्फ 17,868. यानी दस प्रतिशत से भी कम।. मनरेगा की मजदूरी का भुगतान पहले समय पर होता था लेकिन मोदी की सरकार आने के बाद से छत्तीसगढ़ में मनरेगा का भुगतान कभी समय पर हो ही नहीं पाया।. मोदी जी आए थे. ‘हवाई चप्पल वालों को हवाई यात्रा’ करवाने का वादा करके गए थे. तामझाम के साथ उद्घाटन कर गए लेकिन हवाई जहाज वाले ही भाग गए।. उज्जवला के नाम पर प्रदेश की जनता के हित के लिए चलाए जा रहे बहुत से कार्यक्रमों का पैसा हड़प लिया गया।. प्रदेश के शिक्षण संस्थानों को मिलने वाला केंद्रीय आवंटन कम कर दिया गया।. अनुसूचित जनजाति उपयोजना के तहत होने वाला आवंटन या तो बहुत कम कर दिया गया या फिर बंद ही कर दिया गया।. यही हाल अनुसूचित जाति के लिए चल रही योजना का भी है।. स्मार्ट सिटी के नाम पर स्काई वॉक जैसे अनावश्यक निर्माण हुए, एक भी शहर स्मार्ट नहीं हो पाया।
कुल मिलाकर देखें तो नरेंद्र मोदी का प्रधानमंत्री बनना छत्तीसगढ़ के लिए तो घाटे का सौदा ही साबित हुआ. अब वे फिर से घूम-घूमकर वादे कर रहे हैं. छत्तीसगढ़ में ही आकर उन्होंने 15 लाख हर खाते में देने का वादा किया था. फिर उसे जुमला कह दिया।कांग्रेस चाहती है कि छत्तीसगढ़ की जनता सावधान रहे. मोदी जी छत्तीसगढ़ के हितैषी तो कम से कम नहीं हैं. जब तक रमन सिंह जी मुख्यमंत्री थे वे डर के मारे चुप रहे।
अब केंद्र में कांग्रेस की सरकार आएगी और हम छत्तीसगढ़ की जनता के हित में वो सब कुछ वापस लाएंगे जो हमसे छीन लिया गया है।