रायपुर (mediasaheb.com) अंततः वही हुआ, जिसकी चर्चा पिछले कुछ दिनों से थी। भाजपा ने लोकसभा प्रत्याशियों की जो पहली सूची जारी की है, उसमें छत्तीसगढ़ से मौजूदा सांसदों की टिकट काट दी गई है। लोकसभा के लिए 5 आरक्षित सीटों से जिन प्रत्याशियों के नाम घोषित किए गए हैं उनमें से एक को छोड़ कोई भी पहले सांसद का चुनाव नहीं लड़ा है। बस्तर लोकसभा से सांसद रहे दिनेश कश्यप की टिकट काटकर भाजपा के जिलाध्यक्ष बैदूराम कश्यप को प्रत्याशी चुना गया है। वे पहले केशलूर विधानसभा से विधायक निर्वाचित होकर पहली बार विधायक बने और दूसरी बार चित्रकूट विधानसभा से विधायक निर्वाचित हुए हैं।
वे बस्तर विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष और बस्तर जिला पंचायत के सदस्य भी रहे हैं।दिनेश कश्यप पर निष्क्रियता के आरोप लगते रहे हैं और वे कार्यकर्ताओं के बीच बेरुखी से पेश आते रहे।पार्टी के आंतरिक सर्वे ने भी उनकी उम्मीदवारी पर तलवार लटका दी थी। पार्टी सूत्रों के अनुसार पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह भी उनकी टिकट काटने के पक्ष में थे।रमन सरकार में मंत्री रहे केदार कश्यप और महेश गागड़ा का नाम भी बतौर लोकसभा प्रत्याशी चल रहा था। हाईकमान ने इस मामले में संघ की सलाह का भी ध्यान रखा है। आदिवासियों के लिए ही बस्तर संभाग की दूसरी आरक्षित सीट कांकेर से भाजपा अध्यक्ष तथा हाल ही में विधानसभा चुनाव में पराजित विक्रम उसेंडी की टिकट भी काटी गई है।
उन्हें भाजपा अध्यक्ष बनाए जाने के बाद ही लगभग यह तय था कि उन्हें लोकसभा चुनाव नहीं लड़ाया जाएगा। यहां से मोहन मंडावी को टिकट दी गई है। साफ-सुथरी छवि के श्री मंडावी वर्तमान में छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग के सदस्य हैं।आर एस एस में पूरी तरह से सक्रिय मोहन मंडावी प्रसिद्ध राम कथा मानस गायक भी हैं तथा वे धार्मिक व सामाजिक सरोकारों से लंबे समय से जुड़े हुए हैं। कार्यकर्ताओं के बीच भी उनकी प्रभावशाली मौजूदगी है।मोहन मंडावी संघ और पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह की पसंद बताए जाते हैं। रायगढ़ आरक्षित लोकसभा सीट से आश्चर्यजनक रूप से केंद्रीय मंत्री विष्णु देव साय की टिकट काट दी गई है। विष्णु देव साय भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में शामिल थे। उनके नाम का विरोध जशपुर क्षेत्र के दमदार नेता युद्धवीर सिंह कर रहे थे।
युद्धवीर भाजपा के दिग्गज नेता दिलीप सिंह जूदेव के पुत्र हैं और उनकी नाराजगी विधानसभा चुनाव में भी भाजपा पर भारी पड़ी थी। उनकी मंशा के खिलाफ जशपुर जिले में जिन्हें टिकट दी गई वे उनके विरोध के कारण चुनाव हार गए। भाजपा हाईकमान ने इस सीट पर उनकी इच्छा को सम्मान दिया तथा उनकी पसंद की श्रीमती गोमती साय को टिकट दिया है।गोमती पूर्व में मंडल अध्यक्ष का दायित्व संभाल चुकी हैं तथा वर्तमान में जशपुर जिला पंचायत की अध्यक्ष है। मृदुभाषी एवं मिलनसार प्रवृत्ति की गोमती की कार्यकर्ताओं में अच्छी छवि है।वे जनपद पंचायत की सदस्य भी रह चुकी हैं।यहां से टिकट की दौड़ में पूर्व मंत्री गणेश राम भगत तथा कुनकुरी के पूर्व विधायक भरत साय का नाम भी चल रहा था। युद्धवीर ने इनके नामों का जबरदस्त विरोध किया था। सरगुजा लोक सभा सीट से कमलभान की टिकट काटकर विवादास्पद छवि की तेजतर्रार पूर्व मंत्री रेणुका सिंह को टिकट दी गई है। कर्मचारियों -अधिकारियों के बीच भी उनको लेकर अच्छी प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। पार्टी सूत्रों का दावा है कि उन्हें डॉक्टर रमन सिंह ने टिकट दिलवाया है।
विधानसभा में टिकट काटे जाने से वे बेहद नाराज थी।रेणुका प्रेम नगर विधानसभा से दो बार विधायक निर्वाचित हो चुकी है तथा वर्ष 2003 से 2005 तक राज्य सरकार में महिला विकास मंत्री एवं 2005 से 2013 में सरगुजा विकास प्राधिकरण की उपाध्यक्ष रही हैं।भाजपा के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि उनकी उम्मीदवारी को लेकर जिला संगठन के लोग मायूस हो गए हैं।यहां से प्रबोध मिंज एवं संघ के पसंदीदा राम लखन पैकरा का भी नाम दौड़ में था। अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट चांपा जांजगीर से कमला पाटले की टिकट काटकर पूर्व सांसद गुहाराम अजगले को प्रत्याशी बनाया गया है। वे अविभाजित सारंगढ़ लोकसभा से सांसद रह चुके हैं तथा वर्तमान में प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य हैं।यह भी डॉ रमन सिंह की पसंद बताया जा रहे हैं।
प्रत्याशियों के नाम की घोषणा से यह साफ स्पष्ट है कि टिकट वितरण में स्थानीय समीकरण तथा पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह एवं संघ की पसंद का खयाल रखा गया है। सत्ता जन्य असंतोष से निपटने मौजूदा सांसदों की टिकट काटी गई हैं। पिछले 5 वर्षों में जनता के बीच इनकी प्रभावशाली उपस्थिति भी नहीं के बराबर रही है। भाजपा हाईकमान ने काफी सोच-समझकर नामों का चयन किया है। सरगुजा प्रत्याशी के नाम को लेकर जरूर असंतोष की खबरें आ रही हैं।सूरजपुर जिला संगठन के अन्य पदाधिकारियों ने चर्चा के दौरान कहा कि इससे बेहतर नाम चुना जा सकता था |(हि.स)।