रायपुर, (mediasaheb.com) लोकसभा चुनाव से पहले बुधवार आधी रात के आस-पास लगभग दर्जनभर पुलिस अधिकारियों का एक बार फिर तबादला किया गया। तबादले की इस सूची में छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित पुलिस अधिकारी कहे जाने वाले आईजी एसआरपी कल्लूरी का भी नाम भी शामिल है। ”तबादला उद्योग” के नाम से बदनाम हो रही कांग्रेस सरकार के इस फैसले ने प्रदेश की राजनीति में विपक्षी भाजपा को हमला करने का मौका दे दिया है। लेकिन, चौंकाने वाली बात यह है कि जिस आईजी कल्लूरी को कांग्रेस पार्टी ने सत्ता में आते ही प्रमोशन की खुराक देकर प्रदेश का महत्वपूर्ण महकमा आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) की कमान दी, उनका अब अचानक से तबादला कर परिवहन विभाग में क्यों कर दिया गया। हालांकि कल्लूरी को सजा देने का इशारा कुछ दिनों पहले मुख्यमंत्री खुद ही दे चुके थे।
लेकिन जिस तरह एक बंदूकबाज पुलिस अधिकारी को गाड़ियों की आवाजाही के बीच छोड़ दिया गया है, यह चौंकाने वाला है। पिछली सरकार में अहम पद पर तैनात रहे एक पुलिस सूत्र के अनुसार कांग्रेस सरकार ने पिछली सरकार के नेताओं के खिलाफ जांच बिठाने के लिए उस दौरान के खास पुलिस अधिकारियों को जानबूझकर इसकी जिम्मेदारी दी गई। जैसे जैसे जांच आगे बढ़ती गई, वैसे- वैसे ही अधिकारियों के इस्तेमाल के बाद उन्हें अलग -अलग विभागों में तबादला किया जाता रहा। सूत्र के अनुसार, पिछली भाजपा सरकार के जिन नेताओं के खिलाफ जितनी भी एसआईटी जांच चल रही है, उनकी जिम्मेवारी उन्हीं पुलिस अधिकारियों के हाथों में हैं, जो उनके खास थे। लेकिन जांच के इन तरीकों से कांग्रेस सरकार जिस तरह से फायदा लेना चाह रही थी, वैसा मिल नहीं पा रहा है। सूत्र का कहना है कि कुछ अधिकारी अभी तक पिछली सरकार के वफादार हैं। जिनकी वजहों से जांच कमजोर हो जा रही है। चूंकि, ईओडब्ल्यू के हाथों में कई अहम घोटालों की जांच का जिम्मा है, इसलिए कल्लूरी को वहां से निकालकर एक नए अधिकारी को यहां लाया गया है। सबसे खास बात यह है कि लोकसभा चुनाव सर पर आ गया है, जिसके लिए यह सारी कवायद की जा रही है। सूत्र ने बताया कि नान घोटाले से लेकर अंतागढ़ टेपकांड और सीडीकांड तक के मामलों में कांग्रेस सरकार जो चाहती थी, वह नहीं मिल पाया है। मामला हाईकोर्ट में चल रहा है लेकिन अभी तक किसी भी नेता की गिरफ्तारी नहीं हो पायी है। यहां तक कि पूर्व मंत्री राजेश मूणत का नाम भी अब विवादों से बाहर हो गया है।
नान घोटाले में भी कोर्ट ने सरकार को पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर कार्रवाई नहीं करने के आदेश दिये हैं। अंतागढ़ में भी एसआईटी की जांच पर सवाल उठाते हुए हाई कोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी करते हुए जवाब मांगा है। ऐसे में जांच से जुड़े अधिकारियों का तबादला तय था। सरकार के मंत्रियों के काफी करीब रहने वाले एक व्यक्ति कहते हैं कि सरकार के आलाकमान के पीछे गिनती के दो या तीन ऐसे लोग हैं, जो तबादले का भविष्य तय करते हैं। बकायदा, पूरा रिसर्च कर और चुनावों में इसके फायदे को देखते हुए इस कार्य को अंजाम दिया जा रहा है। लेकिन इसका श्रेय जानबूझकर पिछली सरकार के खासमखास अधिकारियों के नाम पर मीडिया में बातें फैला दी जा रही है। वहीं, आईजी कल्लूरी के तबादले को लेकर प्रदेश की राजनीति गरमाने लगी है। भाजपा ने कांग्रेस सरकार पर हमला बोलते हुए अव्यवस्था का माहौल बनाने का आरोप लगाया है। भाजपा प्रवक्ता गौरीशंकर श्रीवास कहते हैं कि राज्य की प्रशासनिक व्यवस्था पूरे प्रदेश में ध्वस्त हो चुकी है। रायपुर एसपी को भी डेढ़ महीने में हटा दिया गया।
उन्होंने आरोप लगाया कि जो अधिकारी सरकार के षडयंत्र में शामिल नहीं हो रहे हैं, उन अधिकारियों का जल्द तबादला किया जा रहा है। जबकि कांग्रेस तबादले को सामान्य प्रक्रिया बता रही है। लेकिन अब यह देखना दिलचस्प होगा कि ईओडब्ल्यू और एसीबी के नए आईजी जीपी सिंह कब तक अपने पद पर टिके रहते हैं।(हि.स.)।


