-रिवर्स रेपो रेट भी घटकर 6 फीसदी हुआ
नई दिल्ली, (media saheb ) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने गुरुवार को रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कटौती की है।आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के फैसले से अब रेपो रेट मौजूदा 6.50 फीसदी से घटकर 6.25 फीसदी हो गया जबकि रिवर्स रेपो रेट घटकर 6 फीसदी हो गया।आरबीआई के इस रेट कटौती से हर सेक्टर में फायदा होने की उम्मीद की जा रही है।
अगस्त 2017 के बाद पहली बार हुई कटौती
शशिकांत दास की पहली मौद्रिक नीति बैयह बड़ा फैसला हुआ है और अगस्त 2017 के बाद पहली बार रेपो रेट घटाया गया है। ‘निजी कारणों’ का हवाला देते हुए उर्जित पटेल के तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दिए जाने के बाद सरकार ने पूर्व नौकरशाह शक्तिकांत दास को आरबीआई का गर्वनर नियुक्त किया था।
रेट कटौती के बाद ये है आरबीआई की मौजूदा दर
मौजूदा रेपो रेट 6.50 फीसदी है, जो तत्काल प्रभाव से घटकर 6.25 फीसदी हो जाएगा। एलएएफ के तहत रिवर्स रेपो दर 6.0 फीसदी है जबकि सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) दर और बैंक दर 6.5 फीसदी पर यथावत है।
6 सदस्यों में 4 ने रेट कटौती के पक्ष में किया वोट
मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी के 6 सदस्यों में से 4 ने दरों को घटाने के पक्ष में वोट दिया। हालांकि सभी सदस्यों ने नीतिगत रुख में बदलाव को मंजूरी दी है। डॉ. रवींद्र एच ढोलकिया, डॉ. पामी दुआ, डॉ. एम देवव्रत पात्रा और आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने रेपो रेट को कम करने के निर्णय के पक्ष में मतदान किया, जबकि डॉ. चेतन घाटे और डॉ. विरल वी. आचार्य ने नीतिगत दर को अपरिवर्तित रखने के लिए मतदान किया। अगली मौद्रिक नीति समीक्षा समिति की बैठक 2-4 अप्रैल, 2019 को होगी।
क्या होता है रेपो रेट
रेपो रेट वह दर होती है, जिस पर बैंकों को आरबीआई कर्ज देता है। बैंक इस कर्ज से ग्राहकों को लोन देते हैं। रेपो रेट कम होने से मतलब है कि बैंक से मिलने वाले होम लोन, व्हीकल लोन और कुछ अन्य तरह के कर्ज सस्ते हो जाएंगे। रेपो रेट कम होने पर बैंक कम ब्याज दर पर लोन ऑफर कर पाएंगे। इससे नया लोन सस्ता हो जाएगा, जबकि लोन ले चुके लोगों को या तो ईएमआई में या री-पेमेंट पीरियड में कटौती का फायदा मिल सकता है।
क्या होता है रिवर्स रेपो रेट
यह वह दर होती है जिस पर बैंकों को उनकी ओर से आरबीआई में जमा धन पर ब्याज मिलता है। बाजार में जब भी बहुत ज्यादा नकदी दिखाई देती है, आरबीआई रिवर्स रेपो रेट बढ़ा देता है, ताकि बैंक ज्यादा ब्याज कमाने के लिए अपनी रकम उसके पास जमा करा दे।इससे महंगाई पर नियंत्रण किया जा सकता है।
बैंक कर सकते हैं ब्याज दर में कटौती
ब्याज दरों को तय करने वक्त आरबीआई खुदरा महंगाई दर को ध्यान में रखता है। ब्याज दरों में कटौती के बाद बैंक ब्याज में कटौती कर सकते हैं, जिसका फायदा लोगों को ईएमआई के कम भुगतान के रूप में मिलेगा। (हि.स.)।