नई दिल्ली, (media saheb) भारत सरकार अब तक अछूते रहे तकनीकी वस्त्र सेक्टर पर अपना ध्यान केंद्रित कर रही है। सरकार का मानना है कि तकनीकी कपड़ा क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था के सबसे तेजी से बढ़ते क्षेत्रों में से एक है। इस क्षेत्र में आने वाले वर्षों में दोहरे अंकों में वृद्धि देखने को मिल रही है और इसके बाजार के 2020-21 तक 2 लाख करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है। इसे देखते हुए केंद्रीय वस्त्र मंत्रालय 29 जनवरी को मुंबई में तकनीकी वस्त्रों पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन करेगा।
इस आयोजन के दौरान टेक्नोसेक्स 2019 के लिए एक पूर्वालोकन भी किया जाएगा। तकनीकी वस्त्रों की श्रेणी में ऐसे कपड़े आते हैं, जिन्हें विशेष परिस्थितियों में पहना जाता है। मसलन कारखानों में पहने जाने वाले कपड़े, अत्यधिक ठंड, बारिश या गर्मी से बचाने वाले वस्त्र। वस्त्र मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि सम्मेलन के दौरान तकनीकी वस्त्र मदों के प्रशासनिक समेकन, विनिर्माण संभावनाओं और आयात प्रतिस्थापन, मानकीकरण के लाभ और सर्वोत्तम वैश्विक कार्यप्रणालियों, न्यू इंडिया के लिए तकनीकी वस्त्र संहिता, तकनीकी वस्त्र क्षेत्र में निवेश अवसर, तकनीकी वस्त्रों में अनुसंधान और विकास जैसे विषयों पर केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों, नीति आयोग, आईआईटी और कपड़ा उद्योग के प्रख्यात व्यक्तित्व चर्चा करेंगे। भारत सरकार द्वारा तकनीकी वस्त्रों के लिए एचएसएन कोड जारी करना सम्मेलन की प्रमुख विशेषताओं में से एक होगा। सम्मेलन की अध्यक्षता केंद्रीय वस्त्र मंत्री स्मृति जुबिन ईरानी द्वारा की जाएगी।
मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि तकनीकी वस्त्रों में वह कपड़ा सामग्री और उत्पाद शामिल हैं जो मुख्य रूप से सौंदर्य और सजावटी विशेषताओं के अलावा बेहतर तकनीक के उपयोग से निर्मित होते हैं। इनके लिए न केवल कपड़ों बल्कि कृषि, चिकित्सा, बुनियादी ढांचे, मोटर वाहन, एयरोस्पेस, खेल, रक्षा और पैकेजिंग जैसे क्षेत्रों से भी आवेदन आते हैं। भारत में तकनीकी वस्त्र उद्योग के आधारभूत सर्वेक्षण के अनुसार, देश में तकनीकी वस्त्र बनाने वाली लगभग 2100 इकाइयां हैं और उनमें से अधिकांश गुजरात में हैं और इसके बाद महाराष्ट्र और तमिलनाडु में हैं। कुल बारह खंडों के वैश्विक तकनीकी वस्त्र बाजार क्षेत्र में भारत की हिस्सेदारी 4-5% है। भारत में तकनीकी वस्त्र कुल कपड़ा मूल्य श्रृंखला का 12-15% है, जबकि कुछ यूरोपीय देशों में तकनीकी वस्त्र कुल कपड़ा मूल्य श्रृंखला का 50% तक है। (हि.स.)।