नई दिल्ली,(media saheb) राज्य सरकारों और चुनाव के पहले राजनैतिक दलों द्वारा बड़े पैमाने पर किसानों के कर्जमाफ करने की घोषणाओं पर रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांत दास ने केंद्रीय बैंक की राय बेहद कड़े शब्दों में रखी। अपने स्वभाव के विपरित कड़े तेवर में दास ने राज्य सरकारों को चेताया कि वे ऐसी किसी भी प्रकार की घोषणा करने से पहले राज्य की राजकोषीय स्थिति को गंभीरता एवं समझदारी से देखे, समझे और फिर कोई ऐसा ऐलान करें। दास ने कहा कि यदि कोई राज्य सरकार नाजुक राजकोषीय स्थिति के बावजूद इस तरह के कदम उठाती है, तो ऐसे में वित्तीय हालात बेकाबू हो जाएंगे, जिसके भविष्य में बेहद गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
देश की संपूर्ण बैंकिंग व्यवस्था मुश्किल में पड़ सकती है। इतना ही नहीं रिजर्व बैंक गवर्नर ने राज्य सरकारों और राजनैतिक दलों के किसानों को कर्जमाफी देने के चलन पर एतराज जताते हुए कहा कि यदि यह परिपाटी बन जाएगी, तो देश की पूरी साख प्रणाली के लिए घातक हो जाएगा। पूरी की पूरी साख प्रणाली ध्वस्त होने की स्थिति में आ जाएगी और ऐसे में केंद्रीय बैंक के लिए हालातों को संभालना मुश्किल हो जाएगा। इसीलिए जरूरी है कि कोई भी राज्य सरकार यदि अपने राज्य में किसानों को कर्जमाफी देना चाहती है, तो पहले वह पूर्ण गंभीरता से राज्य के राजकोषीय हालात को देखे और समझे।
क्या राज्य के वित्तीय हालात ऐसे है, क्या राज्य के पास इतने सरप्लस वित्तीय संसाधन है कि ऐसे कदम उठाए जाएं? दास ने इशारों -इशारों में कह डाला कि क्या ऐसी बातों का चलन बन जाना, किसी वर्ग को साख प्रणाली को लेकर लापरवाह नहीं बना देगा? आरबीआई गवर्नर के तीखे तेवर दरअसल केंद्रीय बैंक की परेशानी को लेकर उपजे हैं, जो देश की राज्य सरकारों द्वारा वोट पाने के लिए किसानों की कर्जमाफी के चलते उपजी है।
हाल ही में हुए राज्य विधानसभा चुनावों में बड़े उलटफेर के पीछे किसानों के कर्जमाफी की घोषणाओें को एक बड़ा कारण माना जा रहा है। इसके चलते अब देश के तमाम राजनैतिक दल चुनाव जीतने के लिए किसानों से कर्जमाफी का वादा कर रहे हैं। लेकिन इससे देश की बैंकिंग व्यवस्था पर नकारात्मक असर पड़ रहा है। किसान बैंकों से कर्ज तो ले रहा है, लेकिन कर्ज लौटाना नहीं चाहता। क्योंकि वो जानता है कि वोट की खातिर राज्य सरकार को किसानों का कर्ज माफ करना पड़ेगा। बस यही चलन केंद्रीय बैंक गर्वनर को चिंता में डाल रहा है। क्योंकि ऐसे हालात में देश की बैंकिंग व्यवस्था को संभालना मुश्किल हो रहा है।
शक्तिकांत दास सोमवार को दिल्ली में थे और उन्होंने आरबीआई के अलग-अलग मुद्दों पर रुख स्पष्ट किया। सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग जगत के अलावा आरबीआई गवर्नर ने बैकों के एनपीए, केंद्र सरकार के रिजर्व बैंक पर दबाव, राज्य सरकारों की किसानों को कर्जमाफी की घोषणाएं, नकदी की समस्या, सरकारी- कोऑपरेटिव बैंकों को लेकर आरबीआई के कदम, गैर-वित्तीय संस्थाओं के कामकाज जैसे तमाम मुद्दों पर अपनी राय व्यक्त की।(हि.स.)।