रायपुर, (media saheb) महालेखाकार की रिपोर्ट में चिप्स का घोटाला उजागर होने के बाद जांच कर रही ईओडब्ल्यू टीम के हाथ बड़े तथ्य लगे हैं। ईओडब्ल्यू एसपी इंदिरा कल्याण एलिसेला और उनकी टीम के हाथ कुछ ऐसे डिजिटल अभिलेख लगे हैं, जिससे जांच की आग पूर्व प्रिंसिपल सेक्रेट्री, सचिव और सीईओ तक पहुंच सकती है। इन अभिलेखों की जांच के लिए दिल्ली और हैदराबाद से साइबर एक्सपर्ट बुलाए जा रहे हैं। उल्लेखनीय है कि उक्त घोटाला पूर्व प्रिंसिपल सेक्रेट्री अमन सिंह के कार्यकाल की है। अब ईओडब्ल्यू के जांच के घेरे में उनके साथ-साथ चिप्स के तत्कालीन सीईओ और अन्य कई अधिकारी है। प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार जल्द ही इन से पूछताछ की जा सकती है।
ईओडब्ल्यू के एसपी इंदिरा कल्याण एलिसेला के अनुसार मामले की जांच तेजी से जारी है। बहुत सारे डेटा को रिकवर किया जा रहा है। आंकड़े बड़ी मात्रा में है जिसकी वजह से उनकी जांच के लिए साइबर एक्सपर्ट जरूरी है। भुगतान से संबंधित कई फाइलें जब्त कर ली गई है। अभी जांच एजेंसी, चिप्स के मौजूदा सीईओ तथा ज्वाइंट सीईओ से पूछताछ कर रही है। जांच की प्रक्रिया में आईटी एक्सपर्ट को भी जोड़ा जा रहा है। उल्लेखनीय है कि महालेखाकार ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि छत्तीसगढ़ सरकार के 17 विभागों में जो टेंडर हुए उनमें भारी गड़बड़ी हुई है। कैग की रिपोर्ट के अनुमान के मुताबिक 4601 करोड़ का घोटाला हो सकता है। विधानसभा के दौरान यह रिपोर्ट आई और भूपेश सरकार ने इसकी जांच के लिए ईओडब्ल्यू को निर्देश दिए हैं।
ईओडब्ल्यू के आईजी एसआरपी कल्लूरी के निर्देशन में पुलिस अधीक्षक इंदिरा कल्याण एलिसेला इस जांच के प्रमुख नियुक्त किए गए हैं। विभागीय सूत्रों के अनुसार यह घोटाला इससे बड़ी राशि का हो सकता है। इसे लोक निर्माण विभाग भी जुड़ा हुआ है। सूत्रों ने यह भी जानकारी दी है कि लोक निर्माण विभाग के टेंडर एक ही मेल आईडी से भरे गए, अर्थात जिस कंप्यूटर पर टेंडर की जानकारी दी गई थी, उसी कंप्यूटर से निविदा भर दी गई। जांच दल इस बात पर भी गौर कर रहा है कि इतने बड़े स्तर की गड़बड़ी बिना चिप्स के संलिग्नता के नहीं हो सकती। जांच दल फिलहाल ई प्रोक्योरमेंट माड्यूल के डिजिटल दस्तावेजों को खंगाल रहा है। जांच अधिकारी इंदिरा कल्याण ने कहा है कि ई-प्रोक्योरमेंट घोटाले की जांच की सीमा में तत्कालीन प्रिंसिपल सेक्रेट्री, सेक्रेटरी और सीओ भी आ सकते हैं। (हि.स.)।


