रायपुर में सबसे अधिक 32 और बिलासपुर के 17 को नोटिस,
रायपुर(media saheb) छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2018 में शामिल 123 अभ्यर्थियों को व्यय लेखा निर्धारित समय में जमा नहीं करने के कारण नोटिस जारी किया गया है। संबंधित जिलों के जिला निर्वाचन अधिकारियों ने ऐसे सभी अभ्यर्थियों को नोटिस जारी किया है।
मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी सुब्रत साहू ने बताया कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम,1951 की धारा 78 के अनुसार निर्वाचन लड़ने वाले प्रत्येक अभ्यर्थी को परिणाम घोषित होने के 30 दिन के भीतर अपने निर्वाचन का व्यय लेखा प्रस्तुत करना अनिवार्य होता है।उन्होंने बताया कि अभ्यर्थियों को अपने व्यय लेखा विलंब से जमा करने के कारण सहित प्रस्तुत करना होगा। सभी अभ्यर्थियों के व्यय लेखे का सार विवरण मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी की वेबसाइट पर अपलोड किया जाएगा।
सीईओ ने बताया कि प्रदेश में विधानसभा निर्वाचन का व्यय लेखा जमा नहीं करने के कारण सबसे अधिक 32 अभ्यर्थियों को रायपुर जिले से नोटिस जारी की गई है। इसके बाद बिलासपुर से 17, बलरामपुर से 11 और कांकेर से 10 अभ्यर्थियों को व्यय लेखा जमा करने का नोटिस संबंधित जिला निर्वाचन अधिकारी ने भेजा है। उन्होंने बताया कि इसके बाद जांजगीर-चाम्पा और महासमुंद से 8, मुंगेली से 7, रायगढ़ से 6, कोरिया,कबीरधाम और बलौदाबाजार से 4 , राजनांदगाँव और सूरजपुर से 3, जशपुर और धमतरी से 2 प्रत्याशियों और दण्तेवाड़ा तथा कोरबा से 1 प्रत्याशी को व्यय लेखा जमा करने का नोटिस जारी किया गया है।
उन्होंने बताया कि 10 जिलों यथा- बस्तर, गरियाबंद, सुकमा, सरगुजा, बीजापुर,बेमेतरा, दुर्ग,बालोद,नाराणपुर और कोण्डागांव में सभी अभ्यर्थियों ने समय सीमा में अपने निर्वाचन व्यय लेखे जमा कर दिए हैं। उल्लेखनीय है कि भारत निर्वाचन आयोग के नियमों के अनुसार व्यय लेखा समय -सीमा में प्रस्तुत नहीं करने की स्थिति में प्रत्याशी को तीन साल तक निर्वाचन के लिए अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा। नियमानुसार 11 दिसंबर 2018 को मतगणना के दिन से 10 जनवरी 2019 को निर्वाचन व्यय ब्यौरा जमा करने का अंतिम दिन था। इसके बाद अब जिला निर्वाचन अधिकारी वैसे सभी प्रत्याशियों को नोटिस जारी कर व्यय लेखा जमा नहीं करने का कारण पूछा है। नोटिस प्राप्ति के 20 दिन के भीतर इसका जवाब जमा करना होगा।
श्री साहू ने बताया कि अभ्यर्थी के जवाब और जिला निर्वाचन अधिकारी की टिप्पणी पर विचार उपरांत भारत निर्वाचन आयोग इस पर निर्णय लेता है। आयोग यदि जवाब से संतुष्ट नहीं होता है तो धारा 10 (क) के अधीन अभ्यर्थी को आदेश जारी होने के दिन से अगले 3 साल के लिए निर्वाचन के लिए अयोग्य घोषित किया जा सकता है तथा इसे शासकीय राजपत्र में प्रकाशित किया जाएगा।