द एम्पावर हर फाउंडेशन ने लड़कियों को जल बचाने और सस्टेनेबल जीवन शैली के बारे में किया गाइड
पुणे, (mediasaheb.com) | महिलाओं ने हमेशा रिसोर्स मैनेजमेंट में अहम भूमिका निभाई है. साथ ही पानी और घरेलू रिसोर्स मैनेजमेंट में उनकी पारंपरिक भूमिका भी बहुत जरूरी है. अगर उन्हें सही जानकारी और मौके मिले, तो वे अहम भूमिका निभा सकती है. यह राय वरिष्ठ पर्यावरण विशेषज्ञ तथा गोखले इंस्टीट्यूट ऑफ पॉलिटिक्स एंड इकोनॉमिक्स सेंटर फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट के डायरेक्टर डॉ. गुरूदास नूलकर ने रखी. एम्पावर हर फाउंडेशन द्वारा डेक्क्न जिमखाना क्लब हाउस में आयोजित एनवायरनमेंट के महत्व और सस्टेनेबल डेवलपमेंट की जरूरत के विषय पर वे बतौर मुख्य अतिथि के रुप में बोल रहे थे.
कार्यक्रम की अध्यक्षता द एम्पावर हर फाउंडेशन के संस्थापक और मुख्य ट्रस्टी तथा भाषा विशेषज्ञ संदीप नूलकर ने निभाई. साथ ही ट्रेजरर ऋषिकेश अत्रे, संचालक रुपाली शिंदे-आगाशे, को-डायरेक्टर तन्मयी खीरे मौजूद थे. डॉ. गुरूदास नूलकर ने कहा, पुणे में पानी की हालत दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है. पानी के ज्यादा इस्तेमाल और लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी में पानी के इस्तेमाल में केमिकल टॉयलेटरीज की बढती मात्रा की वजह से पानी की उपलब्धता और क्वालिटी पर खतरा मंडरा रहा है. हर व्यक्ति को जितने १५० लीटर पानी की जरूरत होती है, उसमें से १४० लीटर गंदा पानी नदी में चला जाता है. इस वजह से नदियाँ बीमार हो गई है. इसके समाधान तौर पर रिवर्स फ्रंट डेवलमेंट के बजाय वॉटर प्यूरिफिकेशन प्रोजेक्टस को लागू करने की जरुरत है.सिर्फ इसी से रिहैबिलिटेशन के लिए साफ और भरपूर पानी मिलेगा.
उन्होंने यह भी कहा, हमारी रोजमर्रा की आदतों में किए गए छोटे छोटे बदलाव पानी की बर्बादी को काफी हद तक कम कर सकते है और महिलाएं इन कोशिशों की मुख्य असरदार हो सकती है. संदीप नूलकर ने कहा, इस लेक्चर का मकसद सिर्फ वॉटर मैनेजमेंट के बारे में जानकारी देना ही नहीं है. इसका मकसद बेनिफिशियरी लडकियों को ज्यादा जिम्मेदार नागरिक बनने लिए प्रेरित करना भी है. एम्पावरहर फाउंडेशन सिर्फ आर्थिक रुप से कमजोर लड़कियों को उनकी तुरंत की जरूरते पूरी करने में मदद नहीं करता, बल्कि इसका मुख्य मकसद लंबे समय में बदलाव लाना है. इस तरह लडकियाँ गरीबी के बुरे चक्र से बाहर निकलकर बेहतर जिंदगी बना पाएंगी. इस मौके पर ऑर्गनाइजेशन की तरफ से बेनिफिशियरी लडकियों को इको फ्रेंडली स्कूल साहित्य बांटा गया. कार्यक्रम का संचालन और आभार संहिता चंदोरकर ने किया.


