पुणे, (mediasaheb.com) : ‘अभंग’ कविता का इस्तेमाल करते हुए मशहूर कवि ऐर वक्ता डॉ. संजय उपाध्ये ने विवेक संहिता इस आधुनिक अभंग संग्रह को रचा है. जिसका विमोचन २७ दिसंबर को होने जा रहा है. यह जानकारी खुद कवि डॉ. संजय उपाध्ये और विमोचन समारोह के आयोजक सर्वश्री सुहास पोफळे, राजाभाऊ गोलांडे और अवधूत कुलकर्णी ने पत्रकार वार्ता में दी.
प्रसिद्ध कवि, गीतकार, उपदेशक और वक्ता डॉ. संजय उपाध्ये द्वारा रचित आधुनिक कविता संग्रह विवेक संहिता का प्रकाशन दो चरणों में होगा. शनिवार २७ दिसंबर को पुणे के एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी के संस्थापक अध्यक्ष विश्वधर्मी प्रो.डॉ. विश्वनाथ दा. कराड के कार्यालय में होगा. वहीं २८ दिसंबर को काशीधाम मंगल कार्यालय, चिंचवड में होने जा रहा है. डॉ. संजय उपाध्ये पिछले छह वर्षों से लगातार जहां प्रवचन देते आ रहे है वहां पर उंन चुनिंदा दर्शकों द्वारा प्रकाशित किया जाएगा जो लगातार इन प्रवचनों में शामिल होते है. इस कविता संग्रह के बारे में बात करते हुए डॉ. संजय उपाध्ये ने कहा कि बहुत ही सरल और सीधी भाषा में पाठकों को उनके जीवन में आने वाली उलझनों, कठिनाइयों, निराशाओं आदि को दूर करने के उपाय सुझाए गए हैं. पाठक निश्चित रुप से इससे सीखेंगे और अपना और बदले में समाज का जीवन पथ रोशन करेंगे.
वैसे तो महाराष्ट्र राज्य को संतों की धरती कहा जाता है, लेकिन महाराष्ट्र की तरह ही पूरे भारत में संतों की दुनिया देखने को मिलती है. इन सभी संतों ने भक्ति के रास्ते से लोगों को आत्म ज्ञान और सदगुण, अच्छे विचार और अच्छे आचरण की सीख देने का अहम काम किया. इसके लिए उन्होंने अभंग, भजन, ओव्या, चौपाई, दोहा, तिरुक्कुरल, हरिकथा कालाक्षेपम वगैरह काव्य रुपों का इस्तेमाल किया, ताकि उनकी शिक्षाएं लोगों तक आसानी से पहुंच सकें.
अभंग काव्य रुप इस्तेमाल करके डॉ. उपाध्ये ने यह किताब लिखी है. इंसान के मन में विवेक जगाकर, उन्होंने १०१ अभंग रचनाओं के इस कलेक्शन के जरिए समाज को समझदारी से जीने का रास्ता दिखाने की कोशिश की है. डॉ. संजय उपाध्ये ने इसे बुद्धिमानों का एक मॉडर्न बगीचा कहकर पढ़ने वालों के सामने किताब की दिशा साफ की है, और साथ ही आज की पीढ़ी तक संत परंपरा का शाश्वत संदेश भी पहुंचाया हैं.


