पटना
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की बुलाई कैबिनेट बैठक को लेकर अटकलों का दौर जारी है। कहा जा रहा है कि यह बैठक राज्य कैबिनेट में होने वाले संभावित बदलाव से जुड़ी हो सकती है। वहीं, भारतीय जनता पार्टी ने सोमवार को होने वाली इस मीटिंग के तार बिहार विधानसभा चुनाव से जोड़े हैं। भाजपा का कहना है कि कर्नाटक कांग्रेस ने बिहार चुनाव में खर्च की जिम्मेदारी उठाई है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष आर अशोक ने शनिवार को कहा कि कांग्रेस ने कर्नाटक को बिहार चुनाव के लिए एटीएम बना दिया है। उन्होंने कहा, 'मुझे जानकारी मिली है कि उन्होंने बिहार चुनाव के दौरान कांग्रेस के पूरे खर्च की जिम्मेदारी उठाई है। यहां तक कि मुख्यमंत्री ने इस पर चर्चा करने के लिए डिनर मीटिंग बुलाई है।'
उन्होंने कहा है कि कांग्रेस विधायक केसी वीरेंद्र ने चुनाव में इस्तेमाल के लिए कथित तौर पर 40 किलो सोना बिहार भेजा है। खास बात है कि वीरेंद्र को हाल ही में ED यानी प्रवर्तन निदेशालय ने गिरफ्तार किया था। अशोक ने संकेत दिए हैं कि कांग्रेस पार्टी में नेतृत्व स्तर पर बदलाव हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि नवंबर में सिद्धारमैया को बदला जा सकता है।
उन्होंने कहा, 'मंत्रियों के साथ मुख्यमंत्री की डिनर मीटिंग, शिवकुमार के सीएम बनने को लेकर विधायकों के बयान और जल्दबाजी में जातिगत जनगणना से कांग्रेस में राजनीतिक क्रांति के संकेत मिल रहे हैं।'
कांग्रेस क्या बोली
इधर, कांग्रेस के जिला प्रभारी मंत्री एन चालूवरयस्वामी ने कहा कि डिनर का राजनीति से कोई लेना देना नहीं है। उन्होंने इसे अफवाह बताया है। उन्होंने कहा है कि बिहार चुनावों के बाद कैबिनेट में फेरबदल हो सकता है, लेकिन नेतृत्व में बदलाव का फैसला पार्टी आलाकमान पर है। उन्होंने कहा, '34 मंत्री हैं। अन्य के लिए कुछ और वैकल्पिक व्यवस्था की जाएगी।'
कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने शनिवार को राज्य में मंत्रिमंडल फेरबदल की अटकलों को खारिज करते हुए इसे मीडिया में चल रही एक 'अफवाह' बताया। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष शिवकुमार ने कहा कि पार्टी हाईकमान इस पर फैसला करेगा।
ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि नवंबर में जब कांग्रेस सरकार अपने पांच साल के कार्यकाल की आधी अवधि पूरी कर लेगी तो राज्य में नेतृत्व परिवर्तन और मंत्रिमंडल में फेरबदल हो सकता है, जिसे कुछ लोग 'नवंबर क्रांति' के रूप में मान रहे हैं।
एक सवाल के जवाब में शिवकुमार ने संवाददाताओं को बताया, 'कोई मंत्रिमंडल फेरबदल नहीं, कुछ नहीं। ये सब मीडिया में चल रही अफवाहें हैं, कुछ लोगों की बातें सुन रहा हूं। बातें मीडिया में हैं। या तो मुझे या मुख्यमंत्री को इस बारे में बोलना होगा। जब हम दोनों ने ही कुछ नहीं कहा, तो इसमें क्या है?' उन्होंने कहा, 'कुछ लोगों को (मंत्री बनने की) जल्दी है। अगर उनके नाम मीडिया में आ गए, तो वे (नेताओं के) घर-घर जाएंगे। इसकी कोई संभावना नहीं है। सब कुछ आलाकमान तय करेगा।' पार्टी सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री सिद्धरमैया और उनका खेमा फेरबदल पर जोर दे रहा है।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा मंत्रिमंडल में फेरबदल किया जाना, जब सरकार अपने कार्यकाल के ढाई साल पूरे करने वाली है, इस संदेश के रूप में देखा जाएगा कि सत्ता की कमान उनके हाथ में है और आगे भी वही नेतृत्व करते रहेंगे। यह कदम शिवकुमार के लिए एक झटका साबित हो सकता है, जो मुख्यमंत्री पद पर दावा करने की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
राज्य के राजनीतिक हलकों में, विशेषकर सत्तारूढ़ कांग्रेस में, इस वर्ष के अंत में मुख्यमंत्री परिवर्तन के बारे में अटकलें लगाई जा रही हैं, जिसमें सिद्धरमैया और शिवकुमार के बीच सत्ता-साझाकरण समझौते का दावा किया जा रहा है।
पिछले कुछ समय से, मंत्री पद के इच्छुक कांग्रेस विधायकों के एक वर्ग की ओर से भी मंत्रिमंडल में फेरबदल करके उन्हें शामिल करने की मांग उठ रही है। कुछ विधायकों ने तो खुले तौर पर मंत्री बनने की इच्छा भी व्यक्त की है।