रायपुर(mediasaheb.com)|18 सितंबर 2025 को डीएडीबी (जर्मन एकेडमी ऑफ डिजिटल एजुकेशन) और कलिंगा विश्वविद्यालय, रायपुर के बीच एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए। समारोह में दोनों संस्थानों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। डीएडीबी की ओर से श्री विवेक शर्मा (क्षेत्रीय हब प्रबंधक), सुश्री नीलाद्रि बिहारी रे (क्षेत्रीय हब प्रबंधक), सुश्री ओइंद्रिला घोष (व्यावसायिक भागीदारी प्रबंधक) और सुश्री तेजस्विनी पाणिग्रही (व्यावसायिक भागीदारी प्रबंधक) उपस्थित थे। कलिंगा विश्वविद्यालय से, उपस्थित सदस्यों में डॉ. संदीप गांधी (कुलसचिव), डॉ. विजयलक्ष्मी बिरादर (निदेशक, आईक्यूएसी), डॉ. राहुल मिश्रा (शैक्षणिक मामलों के डीन), डॉ. वी.सी. झा (प्रभारी डीन, प्रौद्योगिकी संकाय), डॉ. स्वप्निल जैन (मैकेनिकल इंजीनियरिंग के प्रमुख), डॉ. मनोज कुमार निगम (इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के प्रमुख), डॉ. ईवीआर राव (सिविल इंजीनियरिंग के प्रमुख), और डॉ. ओ.पी. देवांगन (कंप्यूटर विज्ञान और आईटी के प्रमुख)।
कार्यक्रम के दौरान, श्री विवेक शर्मा ने इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी), सौर प्रौद्योगिकी, 5जी/6जी और हाइड्रोजन ईंधन के क्षेत्र में डीएडीबी के भविष्य के दायरे पर प्रकाश डालते हुए एक प्रस्तुति दी, जिसमें बताया गया कि कैसे ये क्षेत्र उद्योग और शिक्षा के भविष्य को आकार दे रहे हैं। डीएडीबी ने कलिंगा विश्वविद्यालय के प्रौद्योगिकी छात्रों को भी संबोधित किया तथा उन्हें इस सहयोग के माध्यम से उपलब्ध कराई जा रही प्रौद्योगिकियों तथा उनके ज्ञान, कौशल और कैरियर के अवसरों को बढ़ाने में इनसे मिलने वाले लाभों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने डीएडीबी के वैश्विक कार्यक्रमों के बारे में विस्तार से बताया, जो इन उभरती प्रौद्योगिकियों में कौशल की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए उद्योग और शैक्षणिक विशेषज्ञों के सहयोग से विकसित उच्च गुणवत्ता वाली ऑनलाइन शिक्षा प्रदान करने पर केंद्रित हैं।
इस साझेदारी का उद्देश्य 5G प्रौद्योगिकी, सौर ऊर्जा, हाइड्रोजन प्रौद्योगिकी और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) जैसे उभरते क्षेत्रों में अत्याधुनिक जर्मन इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम शुरू करना है। ये कार्यक्रम छात्रों को व्यावहारिक अनुभव और अंतर्राष्ट्रीय स्तर की विशेषज्ञता प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं, जो उन्हें तेजी से विकसित हो रहे वैश्विक नौकरी बाजार के लिए तैयार करते हैं।
यह सहयोग कलिंगा विश्वविद्यालय के छात्रों के लिए नए रास्ते खोलेगा, उन्हें उद्योग-अनुकूल कौशल और अत्याधुनिक तकनीकों से परिचित कराएगा। ऐसी वैश्विक साझेदारियाँ न केवल छात्रों को उद्योग 4.0 की माँगों के लिए तैयार करेंगी, बल्कि राष्ट्रीय विकास और वैश्विक नवाचार में सार्थक योगदान देने की उनकी क्षमता को भी मज़बूत करेंगी।
इस अवसर पर, कलिंगा विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. संदीप गांधी ने कहा कि डीएडीबी के साथ सहयोग से विश्वविद्यालय का शैक्षणिक पारिस्थितिकी तंत्र समृद्ध होगा और छात्रों के लिए अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में काम करने के अवसर पैदा होंगे। डीएडीबी के क्षेत्रीय हब प्रबंधक श्री विवेक शर्मा ने कहा कि यह साझेदारी डीएडीबी के मिशन के अनुरूप है, जो शिक्षार्थियों को टिकाऊ और डिजिटल प्रौद्योगिकियों के ज्ञान से सशक्त बनाना और भविष्य के लिए तैयार कार्यबल का निर्माण करना है।
यह समझौता ज्ञापन कलिंगा विश्वविद्यालय और डीएडीबी के बीच दीर्घकालिक सहयोग की शुरुआत का प्रतीक है, जिसमें पायलट पाठ्यक्रम शुरू करने, प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने और भविष्य के लिए तैयार उत्कृष्टता केंद्र विकसित करने की योजना है। इस सहयोग से शैक्षणिक शिक्षा और उद्योग की आवश्यकताओं के बीच की खाई को पाटने और छात्रों को अगली पीढ़ी के तकनीकी क्षेत्रों में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए तैयार करने की उम्मीद है।
यह पहल विश्वविद्यालय की उस दृष्टि को सशक्त करेगी, जिसके अंतर्गत ऐसे लीडर्स, नवप्रवर्तक और उद्यमी तैयार किए जाएँगे जो मूल्यों और स्थिरता में निहित रहते हुए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर सकें।