रायपुर (mediasaheb.com)| पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विधानसभा में कहा कि आचार संहिता के बारे में एक प्रश्न पूछ दिया तो आपने जेल ही भेज दिया। एक ने सड़क निर्माण में भ्रष्टाचार के बारे में सवाल पूछ दिया तो मुकेश चंद्रकार ऊपर चले गये। अभी आपने क्या किया? अभी आचार संहिता लगी है, आप अधिकारी को लेकर जहाज में बढ़िया घूमने जा रहे हो। जो बड़े ऊंचे पद में है, लोग उनसे उम्मीद करते है आचार संहिता लगी है तो बड़े लोगो को कड़ाई से पालन करना चाहिये। लेकिन वित्तमंत्री जी आपने कड़ाई से पालन नही किया। दुर्भाग्यजनक बात यह है कि मुख्यमंत्री को प्रजातंत्र मे विश्वास नही है। आज विधानसभा में उनका प्रश्न भी था, बजट में उत्तर भी देना है सभी माननीय सदस्य अपने-अपने क्षेत्र के बारे में अनेक योजनाओ के बारे में जानकारी देते है लेकिन मुख्यमंत्री आज दिन भर से सदन में अनुपस्थित है। क्या यही लोकतंत्र का सम्मान है आप ऐसे ही लोकतंत्र का सम्मान करेंगे ऐसे ही सुशासन देंगे? उन्हे सदन में रहना चाहिये। मुख्यमंत्री जी प्रश्न से भाग रहे है। अनेक बार देखता हूं कि जायसवाल जी उत्तर दे रहे वे हर बार उत्तर देते रहते है। यह एक बार नही हुआ है।
मेरे कार्यकाल का हो सरकार में कोई भी बैठे जवाब तो उन्हे ही देना है जो वर्तमान सरकार में बैठे है। हम यह नही कह रहे है कि आप उत्तर नही दे पा रहे है। मै तो मुख्यमंत्री जी से आग्रह कर रहा हू मुख्यमंत्री सदन में बैठते है तो सदन की गरिमा बढ़ती है। आप सदन की गरिमा गिरा रहे है। प्रश्न का उत्तर कोई भी मंत्री दे देंगे उसमे क्या है? उत्तर सही दे, गलत दे आधा उत्तर दे अधूरा उत्तर दे जैसा भी उत्तर दे। पर्ची आ जाये उसको पढ़ दे। हम लोग कभी कहते है क्या? अजय चंद्राकर जी कितने बार बोलते है कि मैं प्वाइंटेड प्रश्न पूछ रहा हूं तो प्वाइंटेड उत्तर दीजीए हम लोग भी अपेक्षा करते है कि प्वाइंटेड उत्तर आये। मुख्यमंत्री जी सदन मे रहेंगे तो हो सकता है कि आप लोगों के उत्तर में हस्तक्षेप करके कोई जवाब दे दे कोई नई घोषणा कर दे। सदन मे सबकी अपेक्षा होती है लेकिन मुख्यमंत्री जी प्रश्न से भाग रहे है एक बार होता तो समझ में आता। हो सकता है कि मुख्यमंत्री जी की बहुत व्यस्तायें होती है लेकिन मैं हर बार देखता हू कि जिस दिन उनका प्रश्नकाल रहता है उस दिन गायब हो जाते है आप लोग कवासी लखमा जी के बारे में बोलते थे आज स्थिति यह है कि यह बात मुख्यमंत्री जी के बारे में बोलना पड़ रहा है। यह बेहद दुर्भाग्यजनक बात है।
माननीय अध्यक्ष महोदय मैं खेल के बारे शुरूआत कर रहा था लेकिन थोड़ा डार्यवर्ट हो गया था मै। आखिरी बात बोलकर अपनी बात समाप्त करता हॅू यह बहुत गंभीर बात है कि अमृतकाल की बात खिलाड़ियों की बात देश विदेश की बात सब हो गई। एक विदेशी राष्ट्रपति हमारे देश के प्रधानमंत्री जी ऊपर आरोप लगा दे यह कितनी लज्जा की बात है। क्या हमे जवाब नही देना चाहिये? हमे मुहतोड़ जवाब देना चाहिये। वह कौन होता है जो हमारे देश के प्रधानमंत्री पर आरोप लगा दे लेकिन एक शब्द नही बोल पा रहे है। क्यो नही? भारत इतना कमजोर हो गया? जवाब देना चाहियें। मैं बहुत ज्यादा नही कहते हुये अपनी बात समाप्त करता हूॅ। अध्यक्ष महोदय आपने बोलने का समय दिया उसके लिये आपको धन्यवाद देता हॅू।