पुणे (mediasaheb.com), आज देश में ११ करोड लोगों को स्वास्थ्य सेवा नहीं मिलती. उनकी सेवा में अपना जीवन समर्पित करें. विनोबा भावे ने जय जगत शब्द का उच्चारण किया था. आज डॉ. विश्वनाथ कराड विश्व शांति के लिए कार्य कर रहे है. यह विचार समााजिक कार्यकर्ता एवं सर्च फाउंडेशन के निदेशक डॉ. अभय बंग ने व्यक्त किये.
एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी और एमआईटी स्कूल ऑफ गवर्नमेंट पुणे द्वारा आयोजित भारत अस्मिता राष्ट्रीय पुरस्कार २०२५ का वितरण हुआ. इस समय लाफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार प्राप्त करने के बाद वे बोल रहे थे. कार्यक्रम की अध्यक्षता एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी के संस्थापक अध्यक्ष विश्वधर्मी प्रो.डॉ. विश्वनाथ दा. कराड ने निभाई.
इस अवसर पर विश्वविख्यात वैज्ञाकि पद्मविभूषण डॉ. रघुनाथ माशेलकर और अबू धाबी स्कूल ऑफ मैनेजमेंट बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. तैयब कमाली बतौर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे. एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी के कार्यकारी अध्यक्ष और भारत अस्मिता राष्ट्रीय पुरस्कार समिति के संयोजन डॉ. राहुल विश्वनाथ कराड, मंगेश तु. कराड और कुलपति डॉ. आर.एम.चिटणीस उपस्थित थे.
इस अवसर पर आईआईएम अहमदाबाद के निदेशक प्रो. भरत भास्कर को भारत अस्मिता आचार्य श्रेष्ठ पुरस्कार, विश्व स्वास्थ्य संगठन के पूर्व प्रमुख वैज्ञानिक तथा एम.एस.स्वामिनाथन रिसर्च फाउंडेशन की अध्यक्षा डॉ. सौम्या स्वामीनाथन को भारत अस्मिता विज्ञान-तंत्रज्ञान श्रेष्ठ पुरस्कार, प्रसिद्ध फिल्म निर्माता, निर्देशक एवं लेखक विवेक अग्रिहोत्री तथा विख्यात गायक एवं संगीतकार शेखर सेन को भारत अस्मिता जन जागरण श्रेष्ठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया. पुरस्कार स्वरूप प्रत्येक को २.५० लाख रूपये, एक प्रमाण पत्र और एक स्मृतिचिन्ह प्रदान किया गया.
फाउंडर्स डे के अवसर पर उपस्थित अतिथियों ने विश्वधर्मी डॉ. विश्वनाथ कराड को एक कम्बल, तुकाराम महाराज की पगडी, सम्मान पत्र और वीणा भेंट देकर सम्मानित किया गया.
डॉ. अभय बंग ने कहा, आज का युग भौतिकवादी दुनिया की ओर बढ रहा है. लेकिन यहां विज्ञान, अध्यात्म और विवेकानंद का संगम देखकर खुशी हो रही है. आज का यह पुरस्कार गढचिरौली के सभी नागरिकों को समर्पित है.
डॉ. रघुनाथ माशेलकर ने कहा, सभी को समाज के लिए काम करने वाले और सामाजिक कार्य करनेवाले सभी पुरस्कार विजेताओं को अपना आदर्श मानना चाहिए. भारत अस्मिता पुरस्कार विजेता वास्तव में युवाओं के प्रतीक है. युवाओं को अनी ऊर्जा का उपयोग सकारात्मक कार्यो के लिए करना चाहिए.
विश्वधर्मी प्रो.डॉ. विश्वनाथ दा. कराड ने कहा, संत ज्ञानेश्वर महाराज के बताए मार्ग पर चलकर हम विश्व को विनाशकारी दिशा में जाने से रोक सकते है. विश्व का सबसे बडा गुंबद भारतीय दर्शन , परंपरा और संस्कृति का प्रतिबिंब है. हय जानना जरूरी है कि अंतिम सत्य क्या है जीवन कैसे जिया जाए और कैसे नहीं जिया जाए.
डॉ. राहुल वि. कराड ने कहा, भारत अस्मिता पुरस्कार हमारे राष्ट्रीय गौरव का निर्माण करने का एक तरीका है. आज के समय में, सभी युवाओं को अपनी विचारधारा यानी औपनिवेशिका मानसिकता को अदलने की जरूरत है. इंडिया के बजाय, भारत शब्द का उच्चारण आपको ऐसा महसूस करता है. पुरस्कार ग्रहण करने के बाद भरत भास्कर ने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अनुसार देश को २०४७ तक विकसित राष्ट्र बनाने के लिए शैक्षणिक संस्थानों को १६ गुना बढाना जरूरी है.
विवेक अग्निहोत्री ने कहा, यहां के सभी छात्र भारत की आजादी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, इस गुम्बद में स्थित सभी संत हमारी आत्माएं है. पद्मश्री शेखर सेन ने कहा, देश के प्रत्येक व्यक्ति को अपनी मातृभूमि की सेवा करनी चाहिए. शिक्षा प्राप्ता करते समय व्यक्ति को देश की सेवा का लक्ष्य ध्यान में रखना चाहिए तथा उसे प्राप्त करने के लिए प्रयास करना चाहिए.डॉ. सौम्या स्वामीनाथन ने कहा, गांधीजी ने कहा था कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी के प्रयोग से मानव विकास होता है. आज का युवा वर्ग सोशल मीडिया से घिरा हुआ है, इसलिए युवाओ के सामने अनेक चुनौतियां है. कार्यक्रम का संचालन प्रो.डॉ. गौतम बापट और आभार डॉ. मंगेश तु. कराड ने किया.