‘नारीबाई’ की कथा में दिखी हर नारी की व्यथा
(mediasaheb.com) बिहार की सांस्कृतिक राजधानी बेगूसराय में बुधवार से चार दिवसीय रंग उत्सव का आगाज हो गया। दिनकर कला भवन में अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन के बाद चर्चित रंग निर्देशक सूर्य मोहन कुलश्रेष्ठ को सम्मानित किया गया। नाटक कंपनी मुंबई के बैनर तले अभिनेत्री सुष्मिता मुखर्जी द्वारा लिखित, निर्देशित और अभिनित ‘नारीबाई’ का मंचन किया गया। बेड़नी (वेश्या) की जिंदगी पर आधारित नाटक ‘नारीबाई’ के एकल मंचन में सुष्मिता बनर्जी ने एक औरत की व्यथा कथा को दर्शाया है। बेड़नी के जन्म से लेकर मृत्यु तक के जीवन को दर्शकों के सामने पेश किया। नाटक की सबसे खास बात
यह रही कि नारीबाई के बहाने नवरसों को साकार करते हुए सुष्मिता ने बेड़नी की सीमा रेखा लांघने से भी बची। यह साबित करने में कामयाब रही कि बेड़नियां सफेदपोशों की तरह मुंह में राम बगल में छुरी नहीं रखती है। नाटक के संवाद ‘हम औरतें सब जानते हैं, ‘रानी हो या नारी बात तो एक ही है’, ‘हम बेड़नी हैं खंजर छुआकर सब बाहर कर देंगे’, और ‘बेड़नियों की नाच-गाने की धरोहर पिक्चर वालों ने चोरी कर ली’ पसंद किए गए। सुष्मिता ने गीत-संगीत, नृत्य और प्रकाश व्यवस्था के सीमित इस्तेमाल के बाद भी दर्शकों को बांधे रखा। कभी संवादों और कभी दृश्यों के जरिए तो कभी भाषा और आंगिक अभिनय के सहारे सब कुछ कहती रही। कई फिल्म और टीवी सीरियल में काम कर चुकी अभिनेत्री सुष्मिता मुखर्जी ने ‘नारीबाई’ के माध्यम से नारी मन के तार को छेड़ दिया। उन्होंने अपने नाटक का ताना-बाना इस कुशलता से बुना कि नारीबाई की कथा में हर नारी की व्यथा नजर आने लगी। नाटक के पात्र शिक्षित महिला सुनयना को उसका पति बेड़नी पर उपन्यास लिखने को कहता है।
नयना आराम छोड़कर बेड़नी के कच्चे घर में जाकर रहने लगती है। वहां सुनयना बेड़नी की कहानी लिखती है। इस दौरान एक औरत व बाजार के बीच का रिश्ता और इंसान से सामान बन जाने की कहानी जन्म लेती है। नाटक कंपनी के बैनर तले मंचित ‘नारीबाई’ अंत में तय करती है कि स्त्री कोई सामान नहीं है, वह सम्मान की हकदार है और इसके सम्मान में ही पुरुषों का मान है। नाटक में गहरी संवेदनाओं के साथ-साथ महिलाओं की बेबसी, दूसरों पर निर्भर रहने का दर्द, पुरुषों द्वारा महिलाओं का शोषण, अभिजात्य वर्ग की दिखावटी जिंदगी, पुलिस के दोहरे रवैये समेत कई अहम मुद्दों को भी सुष्मिता ने इशारों-इशारों में उठाया। ( हि स )