रायपुर(mediasaheb.com) आदिवासी अंचल के दंतेवाड़ा जिले की महिला स्व-सहायता समूह ने कामयाबी की नई इबारत लिखी है। केमिकलयुक्त रंगों की जगह पलाश के फूल एवं चुकन्दर के फलों से हर्बल गुलाल बनाने के हुनर ने उनके जीवन में नया रंग भर दिया है। स्व-सहायता समूहों की महिलाएं न सिर्फ अपने-आप में आत्मनिर्भर हुई हैं, बल्कि जिले के अन्य महिलाओं को भी रोजगार से जोड़ रही हैं।
यह सपना साकार हुआ है इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान केन्द्र, दंतेवाड़ा की मद्द से स्व-सहायता समूहों को अनुसंधान के जरिए हर्बल गुलाल बनाने का प्रशिक्षण दिया। प्रशिक्षण के बाद महिला समूहों ने हर्बल गुलाल तैयार की, जिसकी बिक्री के लिए कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा बाजार उपलब्ध कराये। सरस्वती एवं इंद्रावती स्व-सहायता समूह की महिलाएं शांति कश्यप, शर्मीला नाग, सेवती आटामी, संगमवती, भागवती, संजीव नाग जैसी 12 महिलाओं के समूह ने दिन-रात मेहनत कर हर्बल गुलाल तैयार की है।
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर के कुलपति डाॅ. एस.के. पाटील ने बताया कि केन्द्र द्वारा स्व-सहायता समूह की महिलाओं को प्रशिक्षित कर हर्बल गुलाल का निर्माण किया जा रहा है। रंगों के निर्माण की तैयारी लगभग 6 माह पूर्व शुरू हो गई थी, जिसके लिए पलाश के फूल, धंवई के फूल, कत्था, सिंदूर के फल, मेहंदी, चुकन्दर एवं हरी सब्जियां आदि प्राकृतिक तत्वों का उपयोग किया गया है। उन्होंने आगे बताया कि विश्वविद्यालय द्वारा तैयार हर्बल गुलाल मानव स्वास्थ्य के लिए बहुत अनुकूल है। इससे शरीर को किसी भी प्रकार की कोई नुकसान नहीं होता है और यह आसानी से धुल भी जाता है।
हर्बल गुलाल के उपयोग के कई फायदे हैं, जैसे – स्वास्थ्य पर कोई दुस्प्रभाव नहीं पड़ता बल्कि ठंडक प्रदान करता है। हर्बल गुलाल को औषधि के रूप में भी उपयोग किया जा सकता है। इसके आंखों में चले जाने पर जलन भी नहीं होती।
हर्बल गुलाल को लोगों तक पहुंचाने के लिए कई विक्रय केन्द्र बनाये गए हैं, जिनमें कृषि विज्ञान केन्द्र, रायपुर, डीमार्ट, पतंजलि विक्रय केन्द्र, दंतेवाड़ा, गीदम आदि हैं। इन विक्रय केन्द्रों से हर्बल गुलाल विक्रय आर्डर देकर आवश्यकता के अनुसार प्राप्त की जा सकती है।