जयपुर,(media saheb) प्रदेश में स्वाइन फ्लू जैसी जानलेवा बीमारी को रोकने के लिए सरकार की मैराथन बैठकें जारी हैं। रोज विभाग के अधिकारियों की बैठक लेकर दिशा-निर्देश दिए जा रहे हैं, लेकिन धरातल पर यह आदेश पूरी तरह प्रभावी नहीं हैं। अभी तक स्वाइन फ्लू के करीब 284 मरीज सामने आ चुके हैं और आठ की मौत हो चुकी है। स्वाइन फ्लू के बढ़ते प्रकोप के बावजूद सरकारी अस्पताल में सुविधाएं वेंटिलेटर पर हैं और स्क्रीनिंग के नाम पर महज खानापूर्ति हो रही है। स्वाइन फ्लू को लेकर लोगों में दहशत है। लोगों का कहना है कि जब मुख्य सचिव की पत्नी, सरकार के विधायक तक इस बीमार की चपेट में हैं तो आम जनता के क्या हाल होंगे।
स्वाइन फ्लू के असर के बाद सवाई मानसिंह अस्पताल में मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है, जेकेलोन में ही 15 बच्चे पॉजटिव मिले हैं। ऐसे में सही तरीके से स्क्रीनिंग होने पर यह आंकड़े कई गूणा हो सकते हैं। प्रदेश में छह दिन के अंदर स्वाइन फ्लू से आठ लोगों मौत हो चुकी है और 284 से ज्यादा लोग अब तक इसकी जद में आ चुके हैं। चिकित्सक भी मानते हैं कि स्वाइन फ्लू का सबसे ज्यादा असर वृद्ध, बच्चों और प्रसुता महिलाओं में देखने को मिलता है। बढ़ सकते हैं आकड़े अब सर्दी बढ़ने के साथ ही इस बीमारी का मर्ज और बढ़ने के संकेत हैं। लगातार इस बीमारी के फैल रहे वायरस के बावजूद उन इलाकों में स्वास्थ्य विभाग की जांच और जागरुकता नहीं दिखी जहां से मरीज ज्यादा सामने आ रहे हैं।
जागरुकता कार्यक्रमों की कमी के कारण लोग अभी भी इस जानलेवा बीमारी के खतरे से पूरी तरह जागरूक नहीं हैं। बीमारी से सर्वाधिक सात मौतें अकेले जोधपुर जिले से सामने आई हैं। नागौर जिले में भी एक व्यक्ति ने दम तोड़ दिया है। जेके लोन अस्पताल में दो बच्चे इस बीमारी के प्रभाव से वेंटिलेटर पर हैं। पिछले वर्ष जनवरी के महीने में करीब 53 पॉजिटिव केस स्वाइन फ्लू के जेके लोन अस्पताल में सामने आये थे। अस्पताल में खास आइसोलेशन वार्ड में इस बीमारी से प्रभावित लोगों का उपचार चल रहा है। बस, एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशनों पर नहीं है सुरक्षा जयपुर में इस खतरनाक बीमारी का प्रकोप फैलता जा रहा है।
इसके बावजूद बस रेलवे स्टेशन और एयरपोर्ट पर आने वाले बाहरी यात्रियों की जांच के लिए कोई विशेष इंतजाम नहीं हैं। यह बीमारी ज्यादा नहीं फैले इसके लिए कोई मुस्तैदी नहीं दिख रही है। चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा की लगातार सक्रियता के बावजूद अस्पतालों में मौजूदा संसाधन और सुविधाएं लचर दिख रही हैं, जिससे आने वाले दिनों में इस बीमारी से प्रभावित होने वाले मरीजों का आकड़ा बढ़ने का खतरा है। (हि.स.)।