हैदराबाद में 216 फीट ऊंची संत रामानुजाचार्य की मूर्ति का मोदी ने किया अनावरण
नई दिल्ली (media saheb.com)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हैदराबाद में ‘स्टैच्यू ऑफ इक्वैलिटी‘ राष्ट्र को समर्पित की। 216 फीट ऊंची स्टैच्यू ऑफ इक्वैलिटी 11वीं सदी के भक्ति संत श्री रामानुजाचार्य की स्मृति में स्थापित की गई है, जिन्होंने धार्मिक निष्ठा, जाति और पंथ सहित जीवन के सभी क्षेत्रों में समानता के विचार को बढ़ावा दिया था। इस अवसर पर तेलंगाना की राज्यपाल श्रीमती तमिलिसाई सौंदरराजन, केंद्रीय मंत्री जी. किशन रेड्डी भी उपस्थित थे।
समारोह में बोलते हुए प्रधानमंत्री ने बसंत पंचमी के शुभ अवसर पर सभी को शुभकामनाएं दीं और ऐसे पवित्र अवसर पर प्रतिमा स्थापित होने पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने कहा, ‘जगद्गुरु श्री रामानुजाचार्य जी की इस भव्य विशाल मूर्ति के जरिए भारत मानवीय ऊर्जा और प्रेरणाओं को मूर्त रूप दे रहा है। रामानुजाचार्य जी की ये प्रतिमा उनके ज्ञान, वैराग्य और आदर्शों की प्रतीक है।’ प्रधानमंत्री ‘विश्वकसेन इष्टि यज्ञ’ की ‘पूर्णाहुति’ में भी शामिल हुए। यह संकल्पों और लक्ष्यों की पूर्ति का यज्ञ होता है। प्रधानमंत्री ने इस यज्ञ के ‘संकल्प’ को देश के ‘अमृत’ संकल्पों की सिद्धि के लिए समर्पित किया और इस यज्ञ का फल 130 करोड़ देशवासियों के सपनों के लिए अर्पित किया।
प्रधानमंत्री ने भारत के मनीषियों की परंपरा का जिक्र किया, जिन्होंने ज्ञान को खंडन, स्वीकृति-अस्वीकृति से ऊपर उठकर देखा है। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘हमारे यहां अद्वैत भी है, द्वैत भी है। और, इन द्वैत-अद्वैत को समाहित करते हुए श्रीरामानुजाचार्य जी का विशिष्टा-द्वैत भी है।’ उन्होंने कहा कि एक ओर रामानुजाचार्य जी के भाष्यों में ज्ञान की पराकाष्ठा है, तो दूसरी ओर वह भक्तिमार्ग के जनक भी हैं। एक ओर वह समृद्ध सन्यास परंपरा के संत भी हैं, और दूसरी ओर गीता भाष्य में कर्म के महत्व को भी प्रस्तुत करते हैं। प्रधानमंत्री ने आगे कहा, ‘आज दुनिया में, जब सामाजिक सुधारों की बात होती है, प्रगतिशीलता की बात होती है, तो माना जाता है कि सुधार जड़ों से दूर जाकर होगा। लेकिन, जब हम रामानुजाचार्य जी को देखते हैं, तो हमें अहसास होता है कि प्रगतिशीलता और प्राचीनता में कोई विरोध नहीं है। ये जरूरी नहीं है कि सुधार के लिए अपनी जड़ों से दूर जाना पड़े बल्कि जरूरी ये है कि हम अपनी असली जड़ों से जुड़ें, अपनी वास्तविक शक्ति से परिचित हों।’
प्रधानमंत्री ने मौजूदा पहलों और हमारे संतों के ज्ञान के बीच की कड़ी के बारे में विस्तार से बताया। श्री रामानुजाचार्य ने देश को सामाजिक सुधारों की वास्तविक अवधारणा से परिचित कराया और दलितों व पिछड़ों के लिए काम किया। उन्होंने कहा कि आज श्री रामानुजाचार्य जी की विशाल मूर्ति ‘स्टैच्यू ऑफ इक्वैलिटी’ के रूप में हमें समानता का संदेश दे रही है। इसी संदेश को लेकर आज देश ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, और सबका प्रयास’ के मंत्र के साथ अपने नए भविष्य की नींव रख रहा है। प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि आज भारत बिना भेदभाव के सभी के विकास और सामाजिक न्याय के सिद्धांत पर आगे बढ़ रहा है। जिन्हें सदियों तक प्रताड़ित किया गया वे पूरी गरिमा के साथ देश के विकास में भागीदार बन सकें, इसके लिए आज का बदलता भारत एकजुट प्रयास कर रहा है। पक्के घर, उज्ज्वला मुफ्त कनेक्शन, 5 लाख तक मुफ्त उपचार सुविधा या मुफ्त बिजली कनेक्शन, जनधन बैंक खाते, स्वच्छ भारत अभियान जैसी योजनाओं ने दलितों, पिछड़ों और वंचित तबके को मजबूत किया है।