रायपुर, (mediasaheb.com) विधानसभा चुनाव के पहले रमन सरकार द्वारा स्काई योजना के अंतर्गत बांटे गये मोबाइल के मामलों की जांच शुरू कर दी गई है। यह जांच सीएजी द्वारा मुख्यमंत्री के निर्देश पर की जा रही है। मुख्यमंत्री ने विधानसभा में चर्चित स्काई योजना की सीएजी से जांच कराने की घोषणा की थी। इसके बाद प्रकरण सीएजी को भेज दिया गया है। स्काई योजना को लेकर अधिकारियों ने सारी जानकारियां और आंकड़े जुटाने शुरू कर दिए हैं। उल्लेखनीय है कि स्काई योजना अंतर्गत 29 लाख 14 हजार से अधिक मोबाइल का वितरण किया गया था एवं करीब सवा 9 लाख मोबाइल का वितरण होना बाकी है। मोबाइल के घटिया होने की शिकायत कई जगह से आई थी और कई मोबाइलों के चार्जिंग करते समय फटने की जानकारी मिली थी। विभागीय अफसरों के मुताबिक योजना की सीएजी ने पड़ताल शुरू कर दी है। बताया गया कि मोबाइल कनेक्टीविटी और जेंडर सशक्तिकरण को मजबूत करने के लिए योजना शुरू की गई थी। सरकार बदलने के बाद इस योजना में भारी अनियमितता की शिकायत पर बंद कर दिया गया।
वित्त आयोग द्वारा सवा 6 सौ करोड़ रुपये की राशि उपलब्ध कराई गई, लेकिन इसके विरोध के बाद 15 फरवरी 2018 को 14वें वित्त आयोग की राशि के उपयोग किए जाने के आदेश निरस्त किए गए। आरोप है कि इस योजना में बड़े स्तर के अधिकारियों ने जमकर कमीशनखोरी की है। बताया गया कि करीब साढ़े 8 सौ करोड़ का बिल कंपनी ने दिया था और पौने दो सौ करोड़ का भुगतान किया गया। बाकी राशि का भुगतान नहीं हो पाया है। अभी शेष मोबाइलों का वितरण रोक दिया गया था। उनकी गुणवत्ता को लेकर भी जांच की जा रही है। मंत्रालय से जुड़े सूत्रों ने जानकारी दी है कि इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री के सचिवालय से जुड़े अधिकारी शामिल हैं तथा चिप्स के तात्कालीन बड़े नौकरशाह का नाम इसमें आ रहा है। (हि.स.)।