मुंबई, (mediasaheb.com) विदेशी फंड मैनेजरों ने विदेशी फंड्स के सभी बेनेफिशियल ओनर्स की पर्सनल इंफॉर्मेशन वाला एक सेंट्रल डेटाबेस बनाए जाने के सेबी के प्रस्ताव का विरोध किया है। फंड मैनेजरों का कहना है कि इस तरह का डेटाबेस भारत में किसी बाहरी एजेंसी के पास रहने से उनके अपने देशों के कानूनों का उल्लंघन होगा। प्रतिभूति बाजार नियामक प्राधिकारी सेबी ने सभी संस्थागत निवेशकों को केवाईसी प्रक्रिया को तत्काल पूरा करने औऱ उसका डेटाबेस बनाने का सख्त निर्देश दिया था। यह मामला बेनेफिशियल ओनर्स की नो योर कस्टमर इंफॉर्मेशन के खुलासे से जुड़ा है।
उल्लेखनीय है कि सेबी ने पिछले साल 10 अप्रैल 2018 को एक सर्कुलर जारी किया था और विदेशी संस्थागत निवेशकों (फॉरेन पोर्टफोलियो इनवेस्टर्स) को किसी भी फंड के बेनेफिशियल ओनर की पहचान केवल ओनरशिप के आधार पर नहीं, बल्कि कंट्रोल के आधार पर करने की हिदायत दी थी। ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जहां इकोनॉमिक ओनरशिप के आधार पर ज्यादातर बेनेफिशियल ओनर नहीं बनाए गए हैं। ऐसी स्थितियों में फंड मैनेजरों और फंड्स के अन्य सीनियर मैनेजमेंट ऑफिशियल्स को ही बेनेफिशियल ओनर मान लिया जाता है।
इसी तरह, फॉरेन म्यूचुअल फंड्स में भी ज्यादा बेनेफिशियल ओनर नहीं होते। कम यूनिट्स रखने वाले हजारों निवेशकों से पैसे जुटाया जाता है। इस तरह के निवेश या फंड में चीफ इनवेस्टमेंट ऑफिसर या दूसरे सीनियर मैनेजमेंट ऑफिशियल्स को बेनेफिशियल ओनर माना जाता है। सेबी की इस हिदायत के बाद एफपीआई और अनिवासी भारतीय निवेशकों की ओर से विरोध किया गया। संस्थागत निवेशकों के विरोध को देखते हुए हालांकि सेबी ने इस नियम को शिथिल कर दिया था। सेबी ने बेनेफिशियल ओनरशिप की नई व्याख्या करते हुए इसे केवाईसी तक सीमित कर दिया।
सेबी ने कहा कि केवाईसी के तहत एफपीआई को अपने बेनेफिशियल ओनर्स के डाक्यूमेंट कस्टोडियन बैंकों के पास जमा कराना अनिवार्य होगा। दस्तावेज जमा होने के बाद संबंधित बैंक इसकी जानकारी रजिस्ट्रार को देंगे। इसके अलावा सेबी ने रजिस्ट्रारों को भी निर्देश दिया है कि वे इन डॉक्युमेंट्स का एक सेंट्रल डेटाबेस बनाएं, जिसे दूसरी मार्केट इंटरमीडियरीज भी एक्सेस कर सकें। इस डेटाबेस को एक्सेस करने के लिए हालांकि एफपीआई से इजाजत लेने का प्रावधान किया गया है। हालांकि एफपीआई ने सुझाव दिया था कि वे केवाईसी इंफॉर्मेशन हासिल करने के बाद सेबी के पास जरूरत पड़ने पर हलफनामा पेश करेंगी। लेकिन सेबी ने एफपीआई के इस सुझाव को खारिज कर दिया था। सेबी को लगा कि फंड इसकी आड़ में बेनेफिशियल ओनर्स की जानकारी छिपा ले जाएंगी।(हि.स.)।