दसवीं पास ड्राइवर पिता का बेटा बनेगा डॉक्टर
भिलाई(media saheb.com). धुर नक्सल प्रभावित सुकमा जिले के रिकेश्वर कोठारी ने नीट क्वालिफाई किया है। इसके साथ ही ड्राइवर पिता का बेटा अब अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज में दाखिला लेकर डॉक्टर की पढ़ाई करेगा। अपने परिवार के पहले डॉक्टर बनने जा रहे रिकेश्वर कहते हैं सुकमा आज भी छत्तीसगढ़ के पिछड़े जिलों में गिना जाता है। यहां के सरकारी अस्पतालों में प्रशिक्षित डॉक्टरों की बेहद कमी है। अगर कोई गंभीर स्वास्थ्य समस्या हो जाए तो जगदलपुर और रायपुर का रूख करना पड़ता है। नक्सली वारदातों के कारण नए डॉक्टर अपनी सेवाएं भी इस जिले में नहीं देना चाहते। इसलिए उन्होंने बचपन से ही डॉक्टर बनने का सपना देखा। 12 वीं बोर्ड में जब 83 प्रतिशत अंक आए तो सपने को और बल मिल गया। एक साल ड्रॉप लेकर नीट की तैयारी शुरू कर दी। पढ़ाई के बीच-बीच में आर्थिक तंगी भी आई पर दसवीं पास ड्राइवर पिता रमेसर कोठारी ने पढ़ाई रूकने नहीं दी। उनका भरोसा ही था कि अपने दूसरे प्रयास में मैं नीट जैसी कठिन परीक्षा पास कर पाया।
सपने को पूरा करने के लिए अजीब सा जुनून सवार था मन में
लोग अपनी असफलता के लिए मेहनत से ज्यादा हालातों को कोसते हैं। मैं बचपन से ही जुनूनी रहा हूं। रिकेश्वर ने बताया कि पढ़ाई में अच्छा होने के कारण उन्हें जवाहर नवोदय विद्यालय सुकमा में एडमिशन मिल गया। 12 वीं बोर्ड की परीक्षा धमतरी नवोदय स्कूल में पढ़कर दी। हॉस्टल में बच्चे जब खेलकूद और मौज-मस्ती में व्यस्त रहते थे तब मैं किताबों की गहराई में अपने सपनों को जी रहा होता था। इसी जुनून को देखकर परिवार वालों ने एक साल ड्रॉप लेकर नीट की तैयारी के लिए प्रोत्साहित किया। ताकि मैं डॉक्टर बनकर ही घर आऊं।
सचदेवा में रटने की जगह प्रैक्टिल पढ़ाई आई बेहद काम
रिकेश्वर ने बताया कि भिलाई में रहने वाले उनके मामा ने सचदेवा कोचिंग का अच्छा फीडबैक दिया था। उनकी बेटियां और उनके पहचान के कई बच्चे पढ़कर नीट में सलेक्ट भी हुए। उनकी बात मानकर मैंने भी सचदेवा में एडमिशन लिया। यहां रटने की जगह टीचर्स प्रैक्टिल पढ़ाई पर ज्यादा फोकस करते थे। यही बात मेरे बहुत काम आई। जिस चीज को आपको याद रखना है अगर आप उसे डायग्राम या फिर जीवन की किसी घटना से जोड़कर पढ़ोगे तो ज्यादा दिनों तक याद रहती है। टेस्ट सीरिज में पूछे गए कई प्रश्न नीट के पेपर में देखकर मैं खुशी से उछल गया था। गेस्ट सेशन में सचदेवा के एक्स स्टूडेंट और मशहूर डॉक्टरों को सुनकर सपने में जान आ जाती थी। हर कोई जब यही कहता था कि हमने जीरो से शुरूआत की है और आज सक्सेस के शीर्ष पर हैं तो लगता था कि मुझे डॉक्टर बनने से कोई नहीं रोक सकता। आर्थिक प्राब्लम को समझते हुए सचदेवा में फीस में छूट भी दी गई जिससे परिवार को बहुत सहायता मिली।
जैन सर ने कहा था मेहनत से पूरे होते हैं सपने
सचदेवा न्यू पीटी कॉलेज के डायरेक्टर चिरंजीव जैन सर हर सप्ताह अपने कोचिंग में पढऩे वाले हर बच्चे की काउंसलिंग करते थे। एक दिन उन्होंने कहा कि कोई भी बच्चा मां के पेट से डॉक्टर, इंजीनियर, आईएएस और आईपीएस बनकर पैदा नहीं होता। अपने मेहनत के दम पर ही वह इन ओहदों को हासिल करता है। पैसा से अच्छा स्कूल और अच्छे टीचर्स मिल सकते हैं, लेकिन मेहनत नहीं करोगे तो ये सब जाया हो जाएगा। उनकी ये बात मन को छू गई थी। उसी दिन मैंने फैसला कर लिया कि अब चाहे कुछ भी हो नीट क्वालिफाई करना ही है। मैं जिस बैकग्राउंड से आया हूं वहां बड़े सपने देखने से पहले परिवार अपने आर्थिक हालात देखता है। इसलिए परिवार वालों के सपनों को टूटने भी नहीं दे सकता था। रोज कम से कम 10 घंटे की पढ़ाई करता था जब तक एमबीबीएस की सीट हासिल नहीं कर ली तब तक।(the states. news)