कोलकाता, (media saheb) पश्चिम बंगाल में हजारों करोड़ रुपये के सारदा व रोजवैली जैसे चिटफंड मामले की जांच कर रही सीबीआई (केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो) ने चार्जशीट दाखिल करने में हो रही देरी को लेकर ममता बनर्जी सरकार पर बड़ा आरोप लगाया है। सोमवार को कोलकाता स्थित सॉल्टलेक के सीजीओ कंपलेक्स में मौजूद जांच एजेंसी के पूर्वी क्षेत्रीय मुख्यालय में तैनात एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि पश्चिम बंगाल सरकार के हस्तक्षेप के कारण जांच में राज्य सरकार बाधा बन रही है।
हिन्दुस्थान से नाम न छापने की शर्त पर अधिकारी ने कहा कि हर जगह जांच में राज्य सरकार की एजेंसियां बाधा बनकर खड़ी हो रही हैं और साक्ष्यों को पहले से मिटा चुकी हैं। इसीलिए मामले की चार्जशीट पेश करने में देरी हो रही है। सीबीआई के उक्त अधिकारी ने कहा कि राज्य सरकार सीबीआई के खिलाफ है। सारदा घोटाला मामले में सरकारी मशीनरी ने सभी सबूतों को नुकसान पहुंचाया है। उनका इशारा उस लाल डायरी की ओर था जो वर्ष 2013 में सारदा प्रमुख सुदीप्त सेन और उनकी सहयोगी देवजानी की गिरफ्तारी के बाद कोलकाता पुलिस की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) के हाथ लगी थी। इसके मुखिया कोलकाता के वर्तमान पुलिस आयुक्त राजीव कुमार थे। सारदा प्रमुख और देवजानी को जम्मू-कश्मीर से पकड़ा गया था।
इनके पास से एक लाल डायरी भी बरामद हुई थी, जिसमें इस बात का जिक्र था कि किसे, कब और कितने रुपये चिटफंड समूह से दिए गए हैं। इस मामले में पूर्व में सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान सीबीआई ने दावा किया था कि उस डायरी में कई महत्वपूर्ण तथ्य थे और सत्तारूढ़ पार्टी के कई संभावित बड़े चेहरों के बारे में भी जिक्र था। इस वजह से कोलकाता पुलिस की एसआईटी ने उस डायरी को ही गायब कर दिया जो आज तक सीबीआई के हाथ नहीं लगी है। उक्त अधिकारी ने कहा कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा सीबीआई को छापे मारने और जांच करने में ‘सामान्य सहमति’ वापस लेने का निर्णय लेने के बाद इस केंद्रीय जांच एजेंसी की बैंकिंग प्रतिभूति धोखाधड़ी शाखा, विशेष अपराध शाखा और आर्थिक अपराध शाखा निष्क्रय हो गयी हैं। अधिकारी ने कहा कि राज्य में केवल आर्थिक अपराध-IV (चिटफंड जांच शाखा) ही काम कर रही है।
वहीं रोजवैली और सारदा घोटालों में अंतिम आरोप पत्र कब तक दाखिल कर पाएंगे? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि सीबीआई फिलहाल यह तय नहीं कर सकती है कि जांच कब तक पूरी होगी। उल्लेखनीय है कि जून महीने में सीबीआई के तत्कालीन विशेष निदेशक रहे राकेश अस्थाना ने कोलकाता का दौरा किया था और उन्होंने जांच अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिया था कि 2019 के मार्च महीने से
राज्य सरकार की एजेंसियों द्वारा सीबीआई के काम में हस्तक्षेप का जिक्र करते हुए उक्त अधिकारी ने बताया कि रोज वैली चिटफंड घोटाले में 25 जनवरी को मशहूर फिल्म निर्माता श्रीकांत मोहता की गिरफ्तारी होना था। जिसे रोकने के लिए स्थानीय कसबा थाने के अधिकारी उस दिन सीबीआई के जांच अधिकारियों को धमकी देने मोहता के श्री वेंकटेश फिल्म्स के उस कार्यालय में पहुंच गए थे जहां सीबीआई अधिकारी उनसे (मोहता) पूछताछ कर रहे थे। पुलिस अधिकारियों ने सीबीआई टीम से पूछा था कि वे यहां क्यों आये हैं।
अधिकारी ने कहा कि थाने के उन अधिकारियों के वहां जाने और सीबीआई को अपना काम करने से रोकने का कोई तुक नहीं था। हालांकि बाद में जब सीबीआई अधिकारी अपने रुख पर अडिग हुए तब पुलिस अधिकारियों को वहां से वापस जाना पड़ा था और बाद में श्रीकांत मोहता को कसबा स्थित उनके प्रोडक्शन हाउस मुख्यालय से सीजीओ कंपलेक्स स्थित सीबीआई के पूर्वी क्षेत्रीय मुख्यालय ले जाया गया। वहां गहन पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया गया है। श्रीकांत मोहता मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बेहद करीबी लोगों में शुमार रहे हैं। कुल मिलाकर कहा जाए तो लोकसभा चुनाव के ऐन पहले जांच एजेंसी का इस तरह का दावा निश्चित तौर पर राज्य भर में सत्तारूढ़ पार्टी के खिलाफ माहौल बनाने में मददगार साबित होने वाला है।(हि.स.)।