नई दिल्ली,(mediasaheb.com) भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक(सीएजी) ने मंगलवार को संसद में पेश अपनी रिपोर्ट में मंत्रालयों द्वारा बड़ी मात्रा में राजस्व को ‘लघु शीर्ष’ श्रेणी में दर्ज करने पर आपत्ति जताई। सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में साफ तौर पर कहा कि 36 मुख्य शीर्षों में कुल 11 हजार 801 करोड़ रुपये के कुल व्यय और प्राप्तियों के आधे से अधिक को लघु शीर्ष-800 के अंर्तगत दर्ज किया गया है, जिससे मंत्रालयों की ऑडिट रिपोर्ट में अपादर्शिता झलकती है।
मंगलवार को भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक(सीएजी) ने संसद में वर्ष 2017-18 का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया है। सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि वर्ष 2017-18 के दौरान 20, 855 करोड़ रुपये के व्यय को लघु शीर्ष-800 के अंर्तगत दर्ज कर दिया गया। लघु शीर्ष-800 ऑडिट में उस श्रेणी को कहते हैं, जहां उन व्यय/प्राप्ति को दर्ज किया जाता है जो उतने महत्वपूर्ण नहीं होते। सीएजी की आपत्ति इसी बात को लेकर है। सीएजी रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत सरकार के छह मंत्रालयों ने अपने खर्च के आधे से ज्यादा 6,475 करोड़ रुपये को इस श्रेणी में दर्ज किया गया, जो गलत है। इसी तरह भारत सरकार के 14 मंत्रालयों ने लघु श0 अन्य प्राप्तियों के अंतर्गत 6228 करोड़ रुपये की प्राप्ति दर्ज की। जिसमें से 5326 करोड़ की प्राप्ति लघु शीर्ष-800 में वर्गीकृत की गई, जो मूल के 50 फीसदी से ज्यादा है।
उल्लेखनीय है कि भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक(सीएजी) ने मंगलवार को वर्ष 2017-18 के प्रतिवेदन को संसद के दोनों सदन, लोकसभा एवं राज्यसभा में प्रस्तुत किया। प्रतिवेदन में मार्च,2018 को समाप्त हुए वर्ष के लिए संघ सरकार के वित्त लेखे तभा विनियोग लेखे की नमूना लेखापरीक्षा से मामलों को शामिल किया गया है। सीएजी यह प्रतिवेदन संविधान के अनुच्छेद 151 के तहत राष्ट्रपति को प्रस्तुत करने के लिए तैयार करता है। मंत्रालयों की ऑडिट रिपोर्टस् भी सीएजी अलग से तैयार करता है।(हि.स.)।