नई दिल्ली/मुंबई, (mediasaheb.com) । सार्वजनिक क्षेत्र के 10 बैंकों के महाविलय यानी मर्जर के लिए तय एक अप्रैल की समय सीमा आगे बढ़ सकती है क्योंकि मर्जर के लिए अभी कई नियामक मंजूरियां मिलनी बाकी है। एक बैंक अधिकारी ने बताया कि प्रस्तावित मर्जर योजना को कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बावजूद शेयर आदान-प्रदान अनुपात तय करना, शेयरधारकों की सहमति और अन्य नियामक मंजूरियां मिलने में कम से कम 30-45 का वक्त लग सकता है।
अधिकारी ने बताया कि ऐसा माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री कार्यालय ( #PMO) ने सार्वजनिक क्षेत्र के इन बैंकों से अगले 3 से 5 वर्ष के लिए उनके वित्तीय पूर्वानुमानों की जानकारी मांगी है। इसमें एनपीए, पूंजी आवश्यकता, लोन वृद्धि और विलय से लागत में आने वाली कमी के बारे में जानकारी शामिल है। अधिकारी ने बताया कि नियामक मंजूरियों के अलावा विलय योजना को 30 दिनों तक संसद में भी रखना होगा, ताकि सांसद इसका अध्ययन कर सकें। गौरतलब है कि बजट सत्र का दूसरा सत्र दो मार्च को शुरू होगा।
उल्लेखनीय है कि सरकार ने पिछले साल अगस्त में सार्वजनिक क्षेत्र के 10 बैंकों का विलय कर 4 बड़े बैंक बनाने का फैसला किया था। सरकार के इस योजना के मुताबिक यूनाइडेट बैंक ऑफ इंडिया #United Bank of India और ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स #Oriental Bank of Commerce का विलय पंजाब नेशनल बैंक #Punjab National Bank में किया जाएगा, जिसके बाद यह सार्वजनिक क्षेत्र का दूसरा सबसे बड़ा बैंक होगा। इसके साथ ही सिंडीकेट बैंक #Syndicate bank का केनरा बैंक के में विलय होना है, जबकि इलाहाबाद बैंक #Allahabad Bank का विलय इंडियन बैंक #Indian Bank में होगा। इसी तरह आंध्रा बैंक #Andhra Bank और को-ऑपरेशन बैंक #Co-Operation Bank को यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया #United Bank Of India में मिलाया जाएगा।
अधिकारी ने बताया कि बैंकों की विलय की घोषणा के 10 महीने बाद भी विजया बैंक और देना बैंक का बैंक ऑफ बड़ौदा के साथ विलय के लिए सूचना प्रौद्योगिकी एकीकरण की प्रक्रिया अभी भी जारी है। इसकी वजह से मानव संसाधन संबंधी मुद्दे कारोबार को नुकसान पहुंचा रहे हैं, जिससे ग्राहकों को असुविधा हो रही है और बैंक यूनियन भी प्रस्तावित विलय का विरोध कर रही है। #Vijaya Bank #Dena Bank’s #Bank of Baroda (हि.स.)