टीबी की जंग जीतने के लिए जनआंदोलन
सामूहिक प्रयास से भारत को 2025 तक टीबी मुक्त बनाने का लिया संकल्प
रायपुर(mediasaheb.com) टीबी सिर्फ एक बीमारी नहीं है, सामाजिक भ्रांति के लिए एक समस्या भी है। सामाजिक जागरूकता लाकर ही टीबी बीमारी को जड़ से मिटाया जा सकता है। इसके लिए सामुहिक प्रयास और लोगों की सोच बदलने की जरूरत है। तभी 2025 तक भारत को टीबी मुक्त बनाने का सपना साकार हो सकेगा। उक्त विचार बुधवार को डॉ. प्रियंका शुक्ला एमडी एनएचएम ने टीबी पर आयोजित कार्यशाला में व्यक्त किया।
सामाजिक संस्था “रीच” (REACH) एंड सेट्रल टीबी डिवीजन के तत्वावधान में रायपुर के होटल जोनपार्क में टीबी प्रोजेक्ट के इस्टर्न रीजन की रीजनल रिव्यू मीटिगं सह कार्यशाला आयोजित हुई। जिसमें चार राज्यों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लेकर अपने- अपने राज्यों में टीबी मुक्ति के लिए किए जा रहे प्रयासों की जानकारी साझा की। एमडी एनएचएम डॉ. शुक्ला ने कहा कि जिस तरह से “रीच” (REACH) संस्था टीबी मुक्त भारत बनाने के लिए प्रयास कर रही वह सराहनीय है। टीबी चैम्पियंस जो पहले टीबी बीमारी से ग्रसित थे और आज टीबी से लड़कर समाज में बीमारी के प्रति जागरूकता ला रहे हैं। यह प्रयास काफी सकारात्मक और सामाजिक जागरूकता के लिए सटीक है। उन्होंने छत्तीसगढ़ में टीबी मुक्ति के लिए और प्रयास पर बल देते हुए टीबी बीमारी से लड़कर जिन्होंने जीत हासिल की है यानि टीबी चैम्पीयन बनें हैं, ऐसे चैम्पीयंस की कहानी को स्कूल बुक में छपवाने का प्रयास करने के लिए आश्वस्त किया।
कार्यक्रम में डब्ल्यूएचओ की डॉ. सुंदरी मेस ने बताया कि राष्ट्रीय कार्यक्रमों के चलते टीबी पर तेजी से नियंत्रण हुआ है। बावजूद इसके टीबी के मरीज निरंतर मिल रहे हैं। क्योंकि कई भ्रांतियों के चलते लोग बीमारी को छुपाते हैं। अज्ञानता के चलते लोग ना सिर्फ खुद का स्वास्थ्य खराब करते हैं बल्कि अन्य को भी बीमार कर देते हैं। इसलिए खुद जागरूक होने के साथ ही औरों को जागरूक करने की जरूरत है। भारत को टीबी मुक्त बनाने के लिए सामूहिक प्रयास आवश्यक है। कार्यक्रम में सीटीडी के डॉ. रघुराम राव ने कहा कि सिर्फ दवा देने या मरीज को ठीक करने से टीबी का अंत संभव नहीं है। बल्कि स्वास्थ्य विभाग ही नहीं सरकारी अन्य विभागों , गैर सरकारी संस्थाओं के सामूहिक प्रयास से ही टीबी की जंग जीती जा सकती है। हमें टीबी बीमारी से लड़कर समाज को इस बीमारी के प्रति जागरूक कर रहे टीबी चैम्पीयंस को प्रोत्साहित करने की जरूरत है।
सीटीडी के डॉ. निशांत कुमार ने आरएनटीसीपी कार्यक्रम की जानकारी दी और कहा कि यह पहली कार्यशाला है टीबी मुक्त भारत के अभियान के लिए गठित विभिन्न राज्यों और उनके जिला टीबी फोरम का। उन्होंने देश में टीबी फोरम के गठन और उनके कार्यकलापों की जानकारी दी। साथ ही मीडिया भागीदारी सुनिश्चत करने पर बल दिया। छत्तीसगढ़ स्टेट टीबी डिविजन प्रमुख डॉ. एम.आर देशपांडेय ने 2025 तक टीबी मुक्त भारत बनाने के लिए छत्तीसगढ़ में किए जा रहे प्रयासों की विस्तृत जानकारी पावर प्वाइंट प्रजेंटेशन के माध्यम से देते हुए बताया कि छत्तीगढ़ में 27 जिला स्तरीय टास्क फोर्स का गठन किया गया है।
प्रदेश के 146 ब्लॉकों में टास्क फोर्स गठित करने, उनके माध्यम से टीबी के लिए जागरूकता फैलाने, टीबी चैंम्पियंस की सामाजिक भागीदारी सुनिश्चित करने समेत गांव स्तर तक टीबी मुक्ति के लिए कार्य किए जाने का विस्तृत ब्यौरा प्रस्तुत किया। इसी तरह कार्यक्रम में शामिल झारखंड, उड़ीसा और बिहार से आए प्रतिनिधियों ने स्टेट और जिले में टीबी जनजागरूकता फैलाने, किए जा रहे प्रयासों की जानकारी देते हुए आ रही चुनौतियों , समयस्याओं पर भी चर्चा की। कार्यक्रम में विभिन्न राज्यों से आए 17 टीबी चैम्पियंस ने भी हिस्सा लेकर अपने अनुभवों को बताया। कार्यक्रम की शुरूआत “रीच” (REACH) संस्था की स्मृति ने टीबी मुक्ति के लिए संस्था के कार्यों की जानकारी देकर की। कार्यक्रम का संचालन पियुष मालवीय ने किया।