रायपुर(mediasaheb.com) भारतीय जनता पार्टी नेता चन्द्रशेखर साहू ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर जातिवादी राजनीति करने के आरोप को सिरे से खारिज किया है। उन्होंने कहा कि सांप्रदायिक व जातिवादी राजनीति करके सामाजिक समरसता और सांप्रदायिक सद्भाव को दांव पर लगाना कांग्रेस की राजनीतिक संस्कृति रही है। भाजपा नेता श्री साहू ने कहा कि कोरबा और भाटापारा में प्रधानमंत्री श्री मोदी के संबोधन की मनमानी गलत व्याख्या करके कांग्रेस नेताओं की मंडली एक बार फिर भ्रम फैलाकर खुद जातिवादी राजनीति पर उतरकर सामाजिक वैमनस्य का माहौल बनाने पर उतारू हो गई है।
कांग्रेस का यही राजनीतिक चरित्र रहा है। सम्प्रदायवाद और जातिवाद की नाव पर हमेशा सवार रहने वाली कांग्रेस के नेता अब इस बारे में झूठ बोलकर भ्रम फैला रहे हैं। जिन्होंने श्री मोदी का भाषण सुना या पढ़ा है, वे श्री मोदी के मंतव्य को भली प्रकार समझ रहे हैं। एक नामदार-खानदान का नेता लगातार झूठ का रायता फैलाकर देश के प्रधानमंत्री के चौकीदार चोर है कहकर नारे लगवा रहा है और फिर सवाल करने लगे कि सारे चोर मोदी ही क्यों है, तो क्या इसका प्रतिकार नहीं होना चाहिए? प्रधानमंत्री राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप में भाषा के गिरते स्तर पर चिंतित थे और एक समुदाय विशेष के लोगों पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के उठाए जा रहे सवाल पर व्यथित थे। इस संदर्भ में उन्होंने कहा कि गुजरात के मोदी छत्तीसगढ़ के साहू हैं।
चंद्रशेखर साहू ने कहा कि श्री मोदी ने राहुल गांधी के सवाल पर, उनकी भाषा और मर्यादा पर सवाल उठाया कि एक नामदार को क्या ऐसा कहना शोभा देता है? दरअसल, कांग्रेस नेता चाटुकारिता की हद पार करने की बेताबी में हैं और एक परिवार-खानदान पर कोई सवाल उठाता है तो कांग्रेस-मंडली तिलमिलाकर नए-नए झूठ गढ़कर लोगों को भ्रमित करती है। उन्होंने कहा कि भाजपा या प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कभी जातिवाद या संप्रदायवाद का राजनीतिक लाभ नहीं लिया, जबकि कांग्रेस और विपक्ष के नेता खुलेआम सांप्रदायिक और जातीय तुष्टिकरण का घातक खेल खेल रहे हैं।
पाकिस्तान प्रेमी नवजोत सिंह सिद्धू का बयान कि सारे मुस्लिम एक जुट हो जाएं तो मोदी को हराना आसान है, इसकी एक ताजातरीन झलक है। इसी तरह बिशप काऊंसिल और गोवा के चर्च ने ईसाइयों से, जमात-ए-इस्लामी व अलीगढ़ मुस्लिम वि.वि. ने मुसलमानों से और शहरी नक्सलियों ने भाजपा को वोट नहीं देने के फतवे जारी किए हैं जबकि भाजपा ने धर्मस्थलों व शैक्षिक संस्थाओं को राजनीतिक इस्तेमाल से बचाकर रखा है। जातिवाद-संप्रदायवाद के सहारे नफरत की राजनीति कर रही कांग्रेस अपने ओछेपन के चलते ही आज अपने अस्तित्व के लिए जूझ रही है।