नई दिल्ली (mediasaheb.com) | अधिसूचित वाणिज्यिक बैंकों की तरह सहकारी बैंकों का नियमन भी अब रिजर्व बैंक ( RBI) के दायरे में आ जायेगा और उनका भी ऑडिट (Audit) होगा।
PM नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की बुधवार को यहाँ हुई बैठक में इस संबंध में जरूरी विधेयक के मसौदे को मंजूरी दी गयी। सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बैठक के बाद बताया कि बैंकिंग नियमन कानून में संशोधन के लिए दो-तीन दिन में संसद में विधेयक लाया जायेगा। इसमें सहाकरी बैंकों के बैंकिंग से जुड़े कामकाज रिजर्व बैंक (#reserve Bank) के दायरे में आ जायेंगे जबकि प्रशासनिक कामकाज पहले की तरह कोऑपरेटिव सोसाइटीज अधिनियम के तहत बने रहेंगे।
उन्होंने कहा कि जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा के लिए सहकारी बैंकों का नियमन आरबीआई के दायरे में लाया जा रहा है। इसके बाद केंद्रीय बैंक (#Central bank) के बैंकिंग संबंधी सभी दिशा-निर्देश सहकारी बैंकों पर भी लागू होंगे। सहकारी बैंकों का पदाधिकारी बनने के लिए न्यूनतम अर्हता तय होगी जबकि मुख्य कार्यकारी अधिकारी (Chief Executive Officer) तथा शीर्ष अधिकारियों की नियुक्ति के लिए पूर्वानुमति की आवश्यकता होगी। ऋण माफी के लिए भी सहकारी बैंकों को आरबीआई के दिशा-निर्देशों का पालन करना होगा। उनका भी ऑडिट किया जायेगा।
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि देश में विभिन्न श्रेणियों के 1,540 सहकारी बैंक हैं। इन बैंकों में आठ करोड़ 40 लाख खाताधारकों के पाँच लाख करोड़ रुपये से ज्यादा जमा हैं। इनमें अधिकतर बैंक ईमानदारी से काम करते हैं, लेकिन कुछ बैंकों के गलत काम के कारण सबकी छवि खराब होती है। RBI के दायरे में आने के बाद सहकारी बैंकों (Co-operative banks) के खाताधारकों को भी जमा पर पाँच लाख रुपये तक की गारंटी मिल सकेगी। यदि किसी बैंक में गड़बड़ी की बात सामने आती है तो रिजर्व बैंक को यह अधिकार होगा कि वह उसका प्रबंधन अपने हाथ में ले सके।
आरबीआई चरणबद्ध तरीके से इसे लागू करेगा। (वार्ता)