नई दिल्ली, (mediasaheb.com) आजादी के बाद से देश में होने वाले आम चुनावों में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर जीतकर संसद पहुंचने वाले सदस्यों की संख्या लगातार घट रही है। पिछले चुनावों में महज तीन उम्मीदवार ही निर्दलीय जीतकर आए थे। अगर आंकड़ों पर गौर करे तो दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने का महत्व निरंतर बढ़ता जा रहा है। चुनाव आयोग के ताजा आंकड़ों के अनुसार 1957 के चुनावों में सबसे ज्यादा 42 निर्दलीय उम्मीदवार जीतकर संसद पहुंचे थे। इसके बाद से केवल एक बार 1989 में हुए आम चुनावों में निर्दलीय उम्मीदवारों की संख्या ने दहाई का आंकड़ा पार किया था।
16वीं लोकसभा आते-आते निर्दलीय उम्मीदवारों की संख्या घटकर सबसे कम 3 रह गई। प्रेस सूचना ब्यूरो ने बुधवार को आम चुनाव 2019 पर एक संदर्भ पुस्तिका जारी की। संदर्भ पुस्तिका में सूचना प्रसारण मंत्रालय के सचिव अमित खरे ने जारी की जिसमें पिछले आम चुनावों के बारे में जानकारी प्रदान दी गई है। इसके अलावा आंकड़े यह भी बताते हैं कि अपनी जमानत बचा पाने वाले निर्दलीय उम्मीदवारों की संख्या भी लगातार घट रही है। पिछले लोकसभा चुनावों में महज 16 निर्दलीय उम्मीदवार ही अपनी जमानत बचा पाए थे। सबसे ज्यादा 1996 में 10635 निर्दलीय उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतरे थे इनमें से 10604 उम्मीदवार अपनी जमानत भी नहीं बचा पाये थे।(हि स)।