नई दिल्ली, (media saheb.com) पुलवामा में गुरुवार को सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आत्मघाती आतंकी हमले ने कई जवानों को हमसे असमय छीन लिया। इस वाकये से सारा देश गम और गुस्से में है।
देशभर में पाकिस्तान और आतंकी संगठनों के खिलाफ प्रर्दशन जारी हैं। मंत्री से लेकर संतरी तक अपने जांबाजों को श्रद्धाजंलि दी है। इस हमले में जिन परिवारों ने अपने लालों को खोया है, उनके घरों पर कोहराम है। चूल्हे नहीं जले। हर देशवासी की आंख में आंसू है। हर चेहरा गमजदा है। लोगों का खून खौल रहा है। कलेजा फट रहा है। सीने में बिछुड़ने की टीस है। सबको अपने बहादुर लाल के ताबूत के लौटने का इंतजार है। सरकारी और प्रशासनिक अमला इन शहीदों के शहरों, कस्बों और गांवों में पहुंच चुका है। चितायें सज चुकी हैं। परिजन टकटकी लगाए हैं कि कब ताबूत आये और वह लिपटकर जी भर रो सकें।
असम
बाक्सा में मातम
जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले में शहीद जवानों में असम के बाक्सा जिले का लाल भी शामिल है। सीआरपीएफ की 98वीं बटालियन में हेड कांस्टेबल के पद पर तैनात मानेश्वर बसुमतारी आत्मघाती हमले में शहीद हो गए हैं। सूचना के बाद घर में मातम पसर गया। पूरे गांव में गमगीन माहौल है। यहां के तामूलपुर थानांतर्गत कालीबारी गांव के मानेश्वर सीआरपीएफ में वर्ष 1990 में भर्ती हुए थे। तब से वे देश की सेवा में विभिन्न हिस्सों में अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए देश को अपना सर्वोच्च देते हुए वीरगति को प्राप्त हो गए। शहीद बसुमतारी का एक बेटा और एक बेटी है।
बिहार:
1. मसौढ़ी का मंजर
जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में आतंकी हमले में शहीद हुए संजय सिंह के पैतृक गांव मसौढ़ी थाने के तरेगना मठ में सन्नाटा पसरा है। संजय के परिवार के साथ गांव के लोग दुखी तो हैं ही लेकिन पाकिस्तान के लिए उनके मन में काफी आक्रोश है। जम्मू में सीआरपीएफ की 176 वीं बटालियन में पदस्थापित संजय आठ फरवरी को ही मसौढ़ी से जम्मू गये थे। अपनी दो महीने की छुट्टी उन्होंने गांव में ही बितायी थी। संजय 15 दिनों के बाद ही अपनी बड़ी बेटी रूही के लिए लड़का देखने मसौढ़ी फिर आने वाले थे। उनकी मौत की खबर से पत्नी बबीता देवी का रो-रोकर बुरा हाल है।
2. भागलपुर में कोहराम
पुलवामा में हुए आतंकी हमले में शहीद सीआरपीएफ जवान रतन कुमार ठाकुर के गांव भागलपुर जिले के अमडण्डा और लालूचक भट्टा में मातमी सन्नाटा पसरा हुआ है। शहीद जवान की गर्भवती पत्नी राजनंदिनी देवी, पिता निरंजन कुमार ठाकुर सहित अन्य परिजनों का रो रोकर बुरा हाल है। आतंकी हमले के पहले गुरुवार को दिन में पत्नी के पास रतन का फोन आया था कि श्रीनगर जा रहा हूं। वहां पहुंचकर शाम को फोन करूंगा लेकिन उनका फोन नहीं आया। पिता निरंजन कुमार ठाकुर ने बताया कि शाम को बेटे के फोन का इंतजार हो रहा था तब तक उधर से सात बजे शाम को उन लोगों ने टेलीविजन पर देखा कि आतंकी हमले में कई सीआरपीएफ जवान शहीद हो गए हैं। उन्होंने बताया कि तीन दिन पहले रतन महाराष्ट्र से ट्रेनिंग लेकर जम्मू लौटे थे। बुधवार को श्रीनगर जा रहे थे। यहां वे दो साल से तैनात थे। वर्ष 2011 में वे सीआरपीएफ में बहाल हुए थे। इसके पहले झारखंड के गढ़वा और छत्तीसगढ़ में रह चुके थे।
हिमाचल:
22 दिन में उठ गया पिता का साया
जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में गुरुवार को हुए आतंकी हमले में हिमाचल प्रदेश का भी एक जवान शहीद हो गया है। इस हमले में कांगड़ा जिला के ज्वाली के 31 साल के तिलक राज गांव जंदरोह धेवा ग्राम पंचायत नाना तहसील जवाली भी इस आतंकी हमले में शहीद हुए हैं। वे सीआरपीएफ में तैनात थे। शहीद तिलक राज 11 फरवरी को ही छुट्टी काटकर ड्यूटी पर वापस लौटा था। शहीद तिलक राज का एक बेटा तीन साल का है। घर में माता-पिता और एक बड़ा भाई है। शहीद तिलक राज ही परिवार का सहारा था। तिलक राज के पिता मेहनत मजदूरी करते हैं और बड़ा भाई बलदेव पंजाब में प्राइवेट नौकरी करता है। घर के बेटे की शहादत की खबर मिलने के बाद पूरे परिवार में मातम का माहौल पसर गया है।
झारखंड:
शहीद हुआ गुमला का लाल
जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले में हुए आतंकी हमले में झारखंड के गुमला जिले के विजय सोरेंग (43) भी शहीद हो गए। विजय गुमला के बसिया प्रखंड के बसिया फरसमा गांव के रहने वाले थे। विजय सीआरपीएफ के 82 बटालियन में हवलदार के पद पर नियुक्त थे। विजय के भाई संजय महतो ने बताया कि विजय एक फरवरी को 8 दिन की छुट्टी लेकर घर आए थे। 8 फरवरी को वापस जम्मू के लिए रवाना हुए विजय के पांच बच्चे हैं। दो लड़के और तीन लड़कियां। सबसे बड़ा बेटा 16 साल का है सबसे छोटी बेटी 2 साल की है। पिता गिरीश सोरेंग और भाई संजय किसान हैं। विजय के पिता बिरीश सोरेंग ने कहा कि बेटे के शहादत पर उन्हें गर्व है। क्योंकि हमारा बेटा देश के लिए कुर्बान हो गया।
मध्य प्रदेश:
20 साल की उम्र में शहादत का चोला पुलवामा में आतंकी हमले में शहीद हुए आरपीएफ जवानों में जबलपुर के अश्विनी कुमार कांछी (20) शहीद हो गए। शहीद अश्विनी कुमार कांछी मझौली जनपद के खुड़ावल गांव निवासी थे। शहीद अश्विनी अपने परिवार में सबसे छोटे थे। अश्विनी के घर में माता-पिता के अलावा पांच भाई-बहन हैं। शहीद अश्विनी कुमार सीआरपीएफ की 35वीं बटालियन में पदस्थ थे। घर में इकलौते अश्वनी को ही सरकारी नौकरी मिली थी। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पुलवामा हमले में शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि दी।
पंजाब:
1. कुलविंदर की सगाई, अब नहीं बजेगी शहनाई
जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले में पंजाब के रोपड़ जिला के नूरपुरबेदी के गांव रोली निवासी कुलविंदर सिंह की शहादत से परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट गया है। शहीद कुलविंदर सिंह घर का इकलौता बेटा था। इसके बावजूद परिजनों को उसकी शहादत पर फ़ख्र है। पिछले सप्ताह की कुलविंदर की सगाई हुई थी। दोनों परिवारों ने आपसी सहमति के साथ इस साल नवम्बर माह में कुलविंदर की शादी तय की थी। सगाई के बाद वापस ड्यूटी पर जाते समय कुलविंदर यह कहकर गया था कि वह मार्च माह के दौरान कुछ दिनों के लिए आकर घर को ठीक करवाएगा और तभी शादी की खरीददारी भी कर ली जाएगी।
2. सूनी हुई मांग
पुलवामा आतंकी हमले का शिकार हुई सैनिकों की बस को पंजाब के मोगा जिला का जयमल सिंह चला रहा था। हमले में वह भी शहीद हो गया। जयमल की शहादत की खबर जैसे ही परिजनों को मिली तो उनका पूरा परिवार जालंधर पहुंच गया। हमले की खबर के बाद से ही सुखजीत कौर सुध बुध खो बैठी। वह बस यह जानना चाहती है कि उनका सुहाग ठीक है। वह देर रात तक पति की सलामती की खबर का इंतजार और भगवान से उनके ठीकठाक होने की दुआ करती रही। सुबह जब उसे किसी ने टीवी चैनल पर चल रही खबरों के बारे में बताया तब उसे अहसास हुआ कि उसका पति अब इस दुनिया में नहीं है। शहीद जयमल मूल रूप से कोट ईस्सेखां का रहने वाला था। शहीद जयमल की पत्नी सुखजीत कौर जालंधर के करतारपुर के पास स्थित कोट सराए का के सीआरपीएफ कैंप में रह रही है। जयमल सिंह का जन्म 26 अप्रैल 1974 को हुआ था। वह 19 साल की आयु में सीआरपीएफ में भर्ती हो गए थे।
3. अब फोन पर कौन पूछेगा- बेटा रोता तो नहीं !
पुलवामा में हुए आतंकी हमले में जवानों की शहादत ने जहां पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। शहीदों की इस सूची में पंजाब के तरनतारन जिला के गांव गंडीविंड धत्तल के सुखजिंदर का नाम भी शामिल है। सुखजिंदर की शहादत की खबर जब गांव में पहुंची तो पूरे गांव में मातम फैल गया। सुखजिंदर के घर शादी के आठ साल बाद बेटा हुआ था, जिसकी उम्र अभी केवल आठ माह की है। परिवारिक सदस्यों के अनुसार सुखजिंदर ने फोन कर भाई से पूछा था कि उसका बेटा गुरजीत रोता तो नहीं है। वह जल्द ही इसके लिए खिलौने भेजेगा। इस फोन कॉल के थोड़ी देर बाद ही उसकी शहादत की खबर आ गई। इसके बाद परिवार में कोहराम मच गया। सुखजिंदर सिंह सीआरपीएफ की 76वीं बटालियन में बतौर कांस्टेबल तैनात थे।
4. दो दिन बाद ही जुदाई
पुलवामा हमले में शहीद गुरदासपुर के दीनानगर की आर्य नगर कॉलोनी निवासी 27 वर्षीय मनिंदर सिंह दो दिन पहले ही अपने पिता से मिलकर वापस ड्यूटी पर गया था। मनिंदर सिंह की अभी शादी नहीं हुई थी और अभी एक साल पहले ही सीआरपीएफ में भर्ती हुआ था। गांव में मातम छा गया है और कई घरों में आज चूल्हे तक नहीं जले। बीटेक पास मनिंदर का दूसरा भाई भी सीआरपीएफ में तैनात है। उनके पिता सतपाल सिंह पंजाब रोडवेज विभाग से सेवानिवृत्त हुए हैं। मां का निधन हो चुका है। स्थानीय लोगों ने बताया कि वह दो दिन पहले ही अपने पिता से मिलकर गया था। गुरुवार की रात एक अधिकारी ने फोन करके मनिंदर के शहीद होने की सूचना दी। इसके बाद घर और गांव में कोहराम मच गया।
राजस्थान:
1. राजसमंद का लाल शहीद
कश्मीर आतंकी हमले में उदयपुर संभाग के राजसमंद जिले के कुंवारिया थानाक्षेत्र के बिनोल गांव के नारायण गुर्जर भी शहीद हुए हैं। उनकी पत्नी और दो मासूम बच्चों को सुबह तक इसकी जानकारी नहीं दी गई थी। शहीद नारायण गुर्जर बचपन में ही माता-पिता को खो चुके थे। पूरा राजसमंद उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा है।
2. बुजुर्ग पिता की पथरा गईंं आंखें
कश्मीर के पुलवामा में गुरुवार शाम को हुए आतंकी हमले में धौलपुर के लाल भागीरथ सिंह शहीद हुए हैं। शहीद भागीरथ सिंह धौलपुर जिले के राजाखेडा उपखंड क्षेत्र के थाना दिहौली के गांव जैतपुर के रहने वाले थे। आतंकी हमले में भागीरथ की शहादत की खबर मिलने के बाद में इलाके में शोक की लहर है। भागीरथ सीआरपीएफ की 45वीं बटालियन का हिस्सा थे। भागीरथ सिंह के पिता परशुराम सिंह किसान हैं। दो भाइयों में सबसे बड़े भागीरथ सिंह थे। उनके छोटे भाई बलवीर सिंह उत्तर प्रदेश पुलिस में कार्यरत हैं तथा फिलहाल आगरा जिले के फतेहाबाद थाने पर तैनात हैं। शहीद भागीरथ की पत्नी रंजना का रो-रोकर बुरा हाल है, उसके पिता परशुराम की आंखें पथरा सी गईं हैं। बच्चे विनय और शिवांगी को तो यह अहसास भी नहीं है कि उनके सिर से पिता का साया उठ चुका है।
3. शहादत का सिंदूर सजाया
पुलवामा में शहीद कोटा जिले के विनोद खुर्ज गांव के वीर सपूत हेमराज मीणा सीआरपीएफ में हेड कांस्टेबल थे। 14 फरवरी को रात 10 बजे उनकी पत्नी मधु को जम्मू कैम्प से फोन पर सूचना मिली कि हेमराज आतंकी हमले में शहीद हो गए हैं। पत्नी अवाक रह गई लेकिन रात हो जाने से बुजुर्ग पिता और अपने चारों बच्चों को यह सूचना नही दी। खुद ने हिम्मत जुटाकर हेमराज के बड़े भाई रामविलास को गांव से घर बुलाया। तब तक हौसला रखते हुए इस वीरांगना ने अपनी मांग का सिंदूर भी नही पोंछा। शहीद हेमराज 12 फरवरी को ही छुटियां बिताकर ड्यूटी पर लौटे थे। हरदयाल व मां रतना बाई यह खबर सुनकर बिलख पड़े। गांव के हर घर मे मातम छा गया। शहीद की बड़ी बेटी रीना(17) बीए प्रथम वर्ष और छोटी बेटी टीना(15) 9वीं में पढ़ रही है। बड़ा बेटा अजय (13) 5वीं में है, सबसे छोटा ऋषभ अभी 06 साल का है।
4. शाहपुरा में नहीं जले चूल्हे
पुलवामा के आतंकवादी हमले में जयपुर जिले के शाहपुरा का लाल भी शहीद हो गया। इसकी जानकारी मिलने के बाद शाहपुरा में मातम और सन्नाटा पसरा है। हर कोई अपने उस बहादुर सिपाही को याद कर रहा है, जिसने वतन के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी।शाहपुरा के शहीद रोहिताश लांबा शाहपुरा के निकट गोविंदपुरा बासडी गांव के रहने वाले थे। शहीद की पार्थिव देह आज देर शाम तक शाहपुरा पहुंचने की संभावना है। उनकी मौत की सूचना शुक्रवार सुबह पता लगने पर आस पास के क्षेत्र में बाजार बंद रहे तो शैक्षाणिक प्रतिष्ठानों में उनको श्रद्धाजंलि दी गई। शहीद के गांव में माहौल गमगीन है। यहां पर बाजार पूरी तरह बंद है और घरों में आज चूल्हे नहीं जले। शहीद रोहिताश लांबा की शादी करीब डेढ़ साल पूर्व ही हुई थी। उनके दो माह की बच्ची है। पांच भाई बहनों में रोहिताश सबसे बड़े थे। उन्होंने करीब दो साल पहले ही सीआरपीएफ ज्वाइन की थी और शनिवार को छुट्टियां बिताकर वापस ड्यूटी पर लौटे थे।
उत्तराखंड:
1. चिन्योलीसौड़ में शोक
उत्तरकाशी के चिन्यालीसौड़ क्षेत्र के बनकोट गांव का मोहन लाल रतूड़ी शहीद हो गया है। उनके शहीद होने से क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई है। हमले में उत्तरकाशी जिले के चिन्यालीसौड़ क्षेत्र के बनकोट गांव के जांबाज जवान मोहन लाल रतूड़ी शहीद हो गए हैं। इस समय शहीद जवान का परिवार देहरादून में रहता हैं। शुक्रवार को शहीद जवान का पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव बनकोट लाया जा सकता है। 2. खटीमा के वीरेंद्र सिंह शहीद इस आतंकी हमले में उधम सिंह नगर जिले के खटीमा थाना क्षेत्र के मोहम्मदपुर भूरिया गांव के रहने वाले वीरेंद्र सिंह शहीद हो गए हैं। वीरेंद्र सिंह सीआरपीएफ की 45वीं बटालियन में जम्मू-कश्मीर में तैनात थे।
पश्चिम बंगाल:
1. छह महीने बाद होना था रिटायर
जम्मू कश्मीर के पुलवामा में गुरुवार शाम सीआरपीएफ के सैनिकों से भरी वैन पर जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों द्वारा किए गए हमले में शहीद हुए जवानों में हावड़ा का लाल बबलू सांतरा भी शामिल है। कोलकाता से सटे हावड़ा जिले के बाउड़िया चककाशी के रहने वाले बबलू सांतरा इस हमले में शहीद हुए हैं। गुरुवार को जम्मू से कश्मीर के लिए रवाना होने से पहले बबलू सांतरा ने अपनी पत्नी को फोन किया था। उन्होंने कहा था कि एक घंटे के बाद वह कश्मीर पहुंच जाएंगे। उसके बाद फिर पत्नी को फोन करेंगे लेकिन दोबारा फोन तो जरूर आया लेकिन बबलू का नहीं बल्कि सीआरपीएफ का, जिसमें उनके शहीद होने की सूचना दी गई। पूरे परिवार समेत पूरे क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गयी। बबलू सीआरपीएफ के 35वीं बटालियन में तैनात थे। उनकी उम्र 37 साल थी और छह महीने में सीआरपीएफ से रिटायर होने वाले थे। उनके परिवार में चार बहनें, दो भाई, मां, पत्नी और एक चार साल की बेटी भी है। उसकी चार साल की बेटी को पूरी उम्मीद है की उसके पापा जरूर घर लौटेंगे।
2. अब कौन तलाशेगा बेटी के लिए वर
जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में गुरुवार को सीआरपीएफ के सैनिकों से भरी वैन पर जैश-ए-मोहम्मद के आत्मघाती हमले में नदिया का लाल भी शहीद हो गया। जिले के तेहट्ट के हांसपुकुड़िया के रहने वाले सुदीप विश्वास सीआरपीएफ की 98वीं बटालियन में तैनात थे। सुदीप के शहीद होने की खबर से इलाके में शोक का माहौल है। बताया जा रहा है कि दो महीने पहले सुदीप घर आए थे। उनके विवाह के लिए लड़की देखी जा रही थी। सुदीप ने अधूरे मकान को बनवाने की इच्छा जताई थी, लेकिन वे अपने सपने को पूरा करने से पहले ही शहीद हो गए।
उत्तर प्रदेश:
1.घर का सपना चकनाचूर
जम्मू कश्मीर के पुलवामा में गुरुवार को हुए आतंकी हमला में मैनपुरी का लाल भी शहीद हुआ है। सैनिक के गृह जनपद में शोक के काले बादल छाए हुए हैं। थाना बरनाहल क्षेत्र में विनायकपुर के मूल निवासी रामवकील माथुर सीआरपीएफ की 176 बटालियन में तैनात थे। आतंकी हमला में सैनिक के शहीद होने की सूचना से घर में कोहराम मचा हुआ है। घर पर ग्रामीणों का जमावड़ा लग गया है। शहीद रामवकील अपने पीछे पत्नी गीता के साथ बच्चे राहुल (15) साहुल (10) और गोलू (3) को छोड़ गये हैं। उनकी मां का नाम अमितश्री है। पिता की बहुत पहले ही मौत हो चुकी है। बड़े भाई रामनरेश ही परिवार की देखभाल करते हैं। वीरगति को प्राप्त रामवकील के बच्चे केन्द्रीय विद्यालय इटावा में पढ़ते हैं। बच्चों को अच्छे स्कूल में पढ़ाने की सोच कर चलते रामवकील अपनी पत्नी और बच्चों को इटावा में एक किराये के मकान में शिफ्ट किए थे। पत्नी गीता के अनुसार, रामवकील फिर अगली बार वापस छुट्टी पर आकर नया घर बनवाने का वायदा करके गए थे।
2. टीवी पर देखी खबर, फोन नहीं लगा
जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमला में वीरगति को प्राप्त जवानों में एक जवान उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात का लाल भी शामिल है। कानपुर देहात के डेरापुर थाना के नोनारी गांव का रहने वाले श्याम बाबू भी आतंकी हमला में शहीद हुए हैं। गांव में रहने वाले राम प्रसाद किसान हैं। इनके दो बेटों में अब छोटा बेटा कमलेश ही बचा है, जो प्राइवेट नौकरी करता है। श्याम बाबू की छह साल पहले शादी हुई थी। श्यामबाबू अपने पीछे चार साल का बेटा और छह महीने की बेटी छोड़ गए हैं। बीते दिनों गांव में घर में हो रहे निर्माण कार्य के लिए वह एक जनवरी को घर आ गये थे। इसके बाद अचानक वह 10 फरवरी को वापस जाना पड़ा। जवान के पिता ने आंखों से आंसू पोछते हुए बताया कि हमला की खबर टीवी में देखी तो दिल में बेचैनी हुई। बहू से कहा तो उसने कई बार श्याम बाबू को फोन किया, पर फोन नहीं लगा, फिर चिंता बढ़ गई। देर शाम डेरापुर के एक सिपाही घर आए। उन्होंने बेटे के शहीद होने की सूचना दी। श्याम बाबू के परिवार का कहना है देश के जवानों ने अपनी जान खोई है। देश के लिये हम और भी लाल कुर्बान कर देंगे, पर खून के बदले खून चाहिये।
3. फोन पर अधूरी रह गई पत्नी से बातचीत
जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में आतंकी हमले में देश के जवानों के शहीद होने पर कानपुर में भी शोक का माहौल है। जनपद का लाल प्रदीप सिंह भी इस हमले में शहीद हुआ है। इसके बाद शहीद के आस-पड़ोस में सन्नाटा पसरा हुआ है और परिवार अपने लाल को अंतिम विदाई के लिए कन्नौज में पैतृक गांव चला गया है। प्रदीप 10 फरवरी को कानपुर से ड्यूटी के लिए निकला था और गुरुवार को आतंकी हमले के दौरान अपनी पत्नी नीरज देवी से बात कर रहा था। अचानक फोन में धमाके की आवाज आने के साथ फोन बंद होने से पत्नी को अनहोनी की आशंका हुई। इसके कुछ ही देर में टेलीविजन में आतंकी हमले की सूचनाएं आने लगी, जिससे परिवार बेहद चिन्तित हो गया। देर रात सीआरपीएफ की ओर से जानकारी दी गयी कि प्रदीप शहीद हो गया। शहीद होने की खबर पर परिवार में कोहराम मच गया और शहीद के घर पड़ोसी एकत्र होने लगे। मूल रूप से कन्नौज के रहने वाला प्रदीप सिंह केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) में तैनात था। उसका बचपन कानपुर में ही बीता। शादी के बाद वह कल्याणपुर के बारा सिरोही में बने मकान में रहता था। यहीं पर पास में ही प्रदीप के पिता अमर सिंह का भी मकान है, जो डिप्टी जेलर के पद से सेवानिवृत्त हैं।
4. पूरे गांव में नहीं जला चूल्हा
देश की सीमा की सुरक्षा में अपने जान की कुर्बानी देने वाले शहीद विजय कुमार मौर्य तीन भाइयों में सबसे छोटे थे। उनके शहीद होने की खबर मिलते देवरिया जिले में शोक की लहर दौड़ गयी। शहीद के पिता, पत्नी और चचेरे भाई, बहनों का रो-रोकर बुरा हाल है। बेटे के शहीद होने की खबर मिलते ही परिवार में मातम छा गया। शहीद के गांव में किसी ने भी चूल्हा नहीं जलाया। ग्रामीणों ने शहीद विजय अमर रहे, वंदे मातरम के नारे लगाए। मूल रूप से छपिया जयदेव के रहने वाले रामायन मौर्य किसान हैं। उनकी तीन संतानों में शहीद जवान विजय सबसे छोटे थे। बीए की परीक्षा पास करते ही विजय ने सीआरपीएफ ज्वाइन कर ली। जम्मू-कश्मीर में 2014 से तैनात विजय दो फरवरी को दस दिनों की छुट्टी पर गांव आए हुए थे। नौ फरवरी को वह वापस ड्यूटी पर चले गए। गुरुवार को ड्यूटी स्थल कुपवाड़ा जाते समय आतंकी हमले में विजय शहीद हो गए।
5. अब किसे बांधेंगी राखी
पुलवामा आतंकी हमले में बनारस का लाल रमेश यादव वीरगति को प्राप्त हो गया। बहादुर बेटे की इस शहादत पर पैतृक गांव तोफापुर चौबेपुर सहित पूरे जिले को गर्व है। लोग बहादुर जवान को नम आंखों से याद कर आतंकवादियों के खिलाफ आर-पार की लड़ाई की मांग कर रहे हैं। शुक्रवार को खराब मौसम के बावजूद शहीद रमेश यादव के गांव तोफापुर में परिजनों को ढांढस देने के लिए राज्यमंत्री अनिल राजभर सहित काफी संख्या में लोग उमड़े। राज्यमंत्री अनिल राजभर ने शहीद जवान के पिता और मां राजमति को ढाढ़स बढ़ाया। इस दौरान शहीद की पत्नी और बहनों के करुण क्रंदन से माहौल गमगीन रहा। पिता श्याम नारायण ने बताया कि घर पर पूजा पाठ में शामिल होन के लिए रमेश को छह महीने बाद छुट्टी मिली तो वह कुछ दिनों के लिए घर आया था। मंगलवार को ही अपने बटालियन लौटा था। क्या पता था कि ऐसा कुछ हो जाएगा। शहीद की मां ने बिलखते हुए राज्यमंत्री से कहा कि सरकार जैसी कार्रवाई करनी है करें। हम तो अब अपना बेटा देश को दे ही चुके हैं। हम चाहते हैं कि कायर आतंकवादियों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई हो।
6. शहीद की पत्नी ने कहा, सरकार ले बदला
जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में गुरुवार को सीआरपीएफ जवानों पर हुए आतंकी हमले में मैनपुरी जनपद के मूल निवासी रामवकील माथुर शहीद हुए हैं। पति की शहादत से उनके ऊपर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। पड़ोस और शहर में रहने वाले लोग और रिश्तेदार शहीद की पत्नी को समझा-बुझाकर ढांढस बंधाने में जुटे हैं। शहीद रामवकील के भाई आदेश ने बताया कि उनके भाई रामवकील बहुत सामाजिक और व्यवहार कुशल व्यक्ति थे। उनकी शहादत पर उन्हें गर्व है लेकिन उनके भाई की शहादत का बदला भारत सरकार को लेना चाहिए और पाकिस्तान के खिलाफ सख्त कदम उठाना चाहिए।
7. अब कभी लौट कर नहीं आएंगे
जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में गुरुवार शाम को हुए आतंकी हमले में उप्र के महराजगंज के पंकज त्रिपाठी भी शहीद हो गए हैं। शहादत की खबर मिलते ही परिवार में कोहराम मच गया। फरेन्दा थाना क्षेत्र के हरपुर गांव के टोला बेलहिया निवासी ओमप्रकाश त्रिपाठी के दो बेटों में पंकज त्रिपाठी बड़े थे। पंकज त्रिपाठी के पिता ने बताया की पंकज की शादी करीब छह साल पहले हुई थी। उसके चार साल का एक बेटा है। पंकज अपने बाबा के देहान्त होने पर छुट्टी लेकर घर आए थे और अभी चार दिन पहले ही ड्यूटी पर गए थे। गुरुवार को सीआरपीएफ जवानों पर पुलवामा में हुई आतंकी हमले की खबर के बाद परिवार चिंतित हो गया। इसके शाम करीब करीब साढ़े छह बजे सूचना मिली कि पंकज शहीद हो गये हैं। पति की शहादत की खबर सुनते ही पत्नी बदहवास हो गई है। मां के आंसू रोके नहीं रुक रहे। शहीद जवान के एक बेटा भी है।
8. बीमार मां से पहले चला गया बेटा
जम्मू एवं कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले में शहीद जवानों में चंदौली के अवधेश कुमार यादव भी हैं। शुक्रवार को जिलाधिकारी नवनीत सिंह चहल, पुलिस अधीक्षक संतोष कुमार सिंह ने शहीद के गांव में पहुंचकर अवधेश के पिता हरिकेश यादव, कैंसर पीड़ित मां से मिलकर ढांढस बंधाया। शहीद की पत्नी और बीमार मां रोते-रोते बेसुध हो जा रही है। मुगलसराय कोतवाली क्षेत्र के बहादुरपुर गांव निवासी हरिकेश यादव के चार बेटे बेटियों में सबसे बड़े अवधेश सीआरपीएफ की 145वीं बटालियन में भर्ती हुए थे। अवधेश की शादी वर्ष 2014 में सैयदराजा के शिल्पी यादव के साथ हुई थी। शहीद के बच्चे निखिल की आयु तीन साल है। अवधेश के शहादत की जानकारी उनके गांव में शाम को ही पहुंच गई थी। पिता हरकेश यादव को अपने पुत्र के शहीद होने की सूचना मिली तो वे बेसुध हो गये। तब तक गांव वाले भी वहां जुट गये। शहीद के पत्नी, मां को इसकी जानकारी देर से दी गई।(हि.स.)।