नई दिल्ली, (mediasaheb.com) । लोकसभा ने वित्त विधेयक-2 को ध्वनिमत से गुरुवार को पास कर दिया। इसके साथ ही वित्त वर्ष 2019-20 के 27 लाख 86 हजार 349 करोड़ रुपये के आम बजट पर सदन की मुहर लग गई। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत सभी मंत्री और एनडीए के सांसद सदन में मौजूद रहे।
सदन में चर्चा के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विधयेक पर बिंदुवार जवाब दिया। साथ ही चर्चा में हिस्सा लेने वाले सभी सदस्यों का उन्होंने आभार जताया। सीतारमण ने कहा कि बजट के प्रावधानों का मकसद कारोबार को आसान बनाना और मेक इन इंडिया को बढ़ावा देना है, ताकि देश के युवा रोजगार लेने वाला नहीं, बल्कि रोजगार देने वाला बन सके।
लोकसभा में वित्त विधयेक-2 पर करीब 5 घंटे चली चर्चा के बाद मूल विधेयक में आठ नए खंड जोड़े गए। इसके अलावा सरकार की ओर से प्रस्तुत 23 संशोधनों को भी सदन ने स्वीकार किया जबकि विपक्ष की ओर से प्रस्तुत पांच संशोधन अस्वीकृत कर दिए गए। इनमें पेट्रोल-डीजल पर लगाए गए विशेष अतिरिक्त उत्पाद शुल्क तथा सड़क एवं बुनियादी ढांचा उपकर को हटाए जाने का प्रस्ताव भी शामिल है।
गौरलतब है कि विभिन्न मंत्रालय एवं विभागों से जुड़े अनुदान मांगों और उनसे जुड़े विनियोग विधयेक को सदन ने पहले ही मंजूर कर लिया था। वित्त विधयेक के कई प्रावधान इस साल एक अप्रैल और कुछ पांच जुलाई से प्रभावी हो गए हैं जबकि अन्य प्रावधानों में अधिकांश एक सितंबर से प्रभाव में आएंगे। वित्त विधयेक के कुछ प्रावधान एक नवंबर से प्रभावी होंगे।
वित्त विधेयक क्या और क्यों है जरूरी संसद के दोनों सदनों द्वारा किसी कानून को बनाने के लिए सदन में चर्चा और विचार-विमर्श होता है उसे विधेयक कहते हैं। वित्त विधेयक भी एक तरह का विधेयक है। लोक सभा नियम 219 के तहत वित्त विधेयक का अर्थ है कि प्रत्येक वर्ष सरकार के वित्तीय प्रस्तावों के लिए उस वित्तीय वर्ष के लिए अनिवार्य रूप से पेश किया जाता है। इस विधयेक को संसद से पास करना जरूरी होता है। इसके बाद ही बजट को पास माना जाता है। (हि.स.)