नईदिल्ली(media saheb) लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार ने सवर्णों को बड़ा तोहफा देने का ऐलान किया है। अब सवर्णों को भी सरकारी नौकरियों में 10 फीसदी का आरक्षण मिलेगा। केंद्रीय कैबिनेट ने सोमवार को सवर्ण जाति को 10 फीसदी आरक्षण देने की मंजूरी दे दी है। 2019 लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार का यह फैसला एक बड़ा गेम चेंजर साबित होगा। कैबिनेट के फैसले की जानकारी देते हुए केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बताया कि आर्थिक रूप से पिछड़ी स्व र्ण जाति को सरकार 10 फीसदी का आरक्षण देगी। देश में 12-14 फीसदी सवर्ण आबादी है। सरकार के इस फैसले का लाभ आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को मिलेगा।
सवर्णों को आरक्षण का लाभ 50 फीसदी आरक्षण से अलग होगा। इससे पहले एससी/एसटी एक्ट में सुप्रीम कोर्ट के आदेश में बदलाव करने के चलते सवर्णों ने मोदी सरकार के खिलाफ नाराजगी जताई थी और 2018 के अंतिम महीने में हुए पांच राज्यों के चुनाव में भी बीजेपी को भारी पड़ी थी। संविधान संशोधन विधेयक ला सकती है सरकार: मोदी सरकार ने आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण लागू कराने के लिए मंगलवार को संविधान संशोधन विधेयक ला सकती है।
उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में साफ किया था कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग या इनके अलावा किसी भी अन्य विशेष श्रेणी में दिए जाने वाले आरक्षण का कुल आंकड़ा 50 फीसदी से अधिक नहीं होना चाहिए। सवर्णों ने आरक्षण के लिए किए थे आंदोलन उल्लेआखनीय है कि पिछले साल मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव से पहले सवर्ण आंदोलन शुरू हुआ था।
इसका सबसे ज्यादा असर मध्य प्रदेश में देखा गया था। तीनों राज्यों में कांग्रेस को जीत मिली थी। अनुसूचित जाति-जनजाति संशोधन अधिनियम के खिलाफ सवर्ण संगठनों ने सितंबर में भारत बंद भी रखा था।
शहनवाज हुसैन ने बताया ऐतिहासिक फैसला भाजपा के वरिष्ठ नेता शहनवाज हुसैन ने इसे सरकार का ऐतिहासिक फैसला बताते हुए कहा कि गरीब सवर्ण समुदाय लंबे समय से इसकी मांग कर रहा था। पीएम मोदी ने उनकी इस मांग को मानकर समाज को मजबूत करने की दिशा में कदम बढ़ाया है। जबकि केंद्र और राज्यों में पहले ही अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 27 फीसदी और अनुसूचित जाति व जनजाति के लिए 22 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था है। सरकार ऐसे देगी सवर्णों को आरक्षण मोदी सरकार सवर्णों को आरक्षण देने के लिए जल्द ही संविधान में बड़ा बदलाव करेगी। इसके लिए संविधान के अनुच्छेद 15 और अनुच्छेद 16 में बदलाव किया जाएगा।
दोनों अनुच्छेद में बदलाव कर आर्थिक आधार तौर पर आरक्षण देने का रास्ता साफ हो जाएगा। उल्लेखनीय है कि पिछले साल जब सुप्रीम कोर्ट ने एससी/एसटी एक्ट में बदलाव करने का आदेश दिया था, तब देशभर में दलितों ने बड़ा प्रदर्शन किया था।
इसको देखते हुए केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का फैसला बदल दिया था। ऐसा माना जा रहा था कि मोदी सरकार के इस फैसले से सवर्ण बहुत नाराज हो गए, दलितों के बंद के बाद सवर्णों ने भी भारत बंद का आह्वान किया था। अभी ये है आरक्षण की स्थिति वर्तमान में संविधान के तहत लोगों को जो आरक्षण दिया गया गई है उसमें अनुच्छेद 16 (4) में देश के पिछड़े नागरिकों को आरक्षण देने का जिक्र है। केंद्र सरकार के कार्मिक मंत्रालय ने जुलाई 2016 में बताया था कि देश में अभी जातिगत आधार पर 49.5 फीसदी आरक्षण दिया जा रहा है। वर्ग——-आरक्षण ओबीसी——27 फीसदी एससी———-15 फीसदी एसटी——-7.5 फीसदी कुल आरक्षण—–49.5 फीसदी क्या सुप्रीम कोर्ट के फैसले को दरकिनार करेगी सरकार? सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में यह साफ किया था कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग या इनके अलावा किसी भी अन्य विशेष श्रेणी में दिए जाने वाले आरक्षण का कुल आंकड़ा 50 फीसदी से ज्यादा नहीं होना चाहिए।(हि.स.)