मुंबई, (mediasaheb.com) रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) आगामी बैठक में दूसरी बार रेपो रेट में कमी की जा सकती है। वैश्विक आर्थिक मंदी से भारतीय घरेलू बाजारों में विकास की संभावनाएं मंद पड़ रही हैं। बाजार में लिक्विडिटी के स्तर को बरकरार रखने के लिए आरबीआई रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती करने का फैसला ले सकती है।
इससे पहले फरवरी की बैठक में भी रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती की थी। यह कटौती करीब 18 महीने के बाद की गई थी। फिलहाल रेपो रेट 6.25 फीसदी है, जबकि रिवर्स रेपो रेट को भी 25 बेसिस प्वाइंट घटाकर 6 फीसदी कर दिया गया है।
जानकारों के मुताबिक आरबीआई दो महीने बाद लगातार दूसरी बार ब्याज दरों में कटौती कर सकता है। वैश्विक आर्थिक सुस्ती और खासतौर पर अमेरिका में स्लोडाउन और इमर्जिंग मार्केट्स पर पड़ने वाले असर की वजह से आरबीआई को कर्ज सस्ता करने का निर्णय लेना पड़ सकता है। वर्तमान में भारतीय बैंक नकदी की किल्लत से जूझ रहे हैं। हालांकि 26 मार्च को रिजर्व बैंक ने डॉलर-रुपया अदला-बदली नीलामी प्रक्रिया के तहत करीब पांच अरब डॉलर (35,000 करोड़ रुपये) बैंकों को दिए हैं। इंडस्ट्रियल ग्रोथ रेट भी लगातार कम रहे हैं। मुद्रास्फीति भी लगातार कम रही है।
महंगाई दर को चार फीसदी तक रखने की कोशिश रहेगी। हालांकि फरवरी में थोक महंगाई दर 2.93 फीसदी और खुदरा महंगाई दर 2.57 फीसदी रही थी। ऐसे में बाजार में ज्यादा नकदी की जरूरत होगी। महंगाई दर में उछाल आने का सीधा असर इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन पर पड़ता है। कैश फ्लो बढ़ने से मांग बढ़ती है, जिससे महंगाई दर भी बढ़ती है। मांग बढ़ने से औद्योगिक उत्पादन भी बढ़ता है। जनवरी महीने में औद्योगिक उत्पादन दर घटकर 1.7 फीसदी पर पहुंच गई थी। एक साल पहले जनवरी 2018 में औद्योगिक उत्पादन दर 7.5 फीसदी थी।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता वाली आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिवसीय बैठक मुंबई में होगी। संभावना जताई जा रही है कि इस बैठक के बाद चार अप्रैल को रेपो रेट में कटौती की जा सकेगी। पिछले दिनों ही आरबीआई गवर्नर ने निवेशकों और एमएसएमई सेक्टर के प्रतिनिधियों और बैंक प्रतिनिधियों से बैठक में चर्चा कर चुके हैं।(हि.स.)।


