रायपुर, (media saheb.com) अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम से सम्बद्ध वनवासी विकास समिति, व जनजाति गौरव समाज, छत्तीसगढ़ के संयुक्त तत्वावधान में विगत 8 नवम्बर से प्रांत के विभिन्न स्थानों पर आयोजित राष्ट्रीय जनजाति गौरव दिवस व भगवान बिरसा मुण्डा जयंती पखवाड़ा का समापन समारोह सम्पन्न हुआ | समारोह के मुख्य अतिथि राष्ट्रीय जनजाति आयोग के अध्यक्ष डॉ. नंदकुमार साय थे | अध्यक्षता पूर्व मंत्री केदार कश्यप ने की | विशेष अतिथि के रूप में जनजाति गौरव समाज के प्रांत अध्यक्ष एम. डी. ठाकुर व वनवासी विकास समितिके प्रांत अध्यक्ष रतन लाल अग्रवाल थे | मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत प्रचारक प्रेमशंकर सिदार थे |
कार्यक्रम का प्रारंभ अतिथियों द्वारा दीप प्रज्जवलन से हुआ | अतिथियों के स्वागत के बाद शबरी कन्या आश्रम की बहनों ने भगवान बिरसा मुण्डा के संदेश पर आधारित सामूहिक गीत प्रस्तुत किये | उद्बोधन की कड़ी में जमजाति गौरव समाज के प्रांतीय अध्यक्ष एम.डी. ठाकुर मे कहा कि जनजाति समाज का इतिहास समृद्ध व गौरव शाली रहा है | जनजातीय शासन के पराक्रम के कारण मुगल व अंग्रेज डर से कांपते थे | विद्यार्थी काल में ही भगवान बिरसा मुण्डा अंग्रेजों व चर्च की सांठगांठ और दमनकारी नीति को समझ गए थे | उन्होंने उनसे मुक्ति व स्वधर्म रक्षा के लिए जनजाति समाज में स्वाभिमान जगाकर क्रांति का शंखनाद किया था जिसके कारण अंग्रेजों ने उन्हें जेल में जहर देकर मार दिया | उन्होंने बताया था कि जनजाति समाज के पूर्वज हिन्दू थे और हमेशा रहेंगे |
पूर्व मंत्री केदार कश्यप ने कहा कि जनजाति समाज सदा से देश के लिए सर्वस्व न्यौछावर करने वालों के वंशज हैं | भगवान बिरसा मुण्डा ने केवल 25 वर्ष की आयु में ही अंग्रेजों को झुकने के लिए मजबूर कर दिया था | भगवान कृष्ण की तरह वे धनुष बाण के अलावा वे बांसुरी बजाने में भी निपुण थे, इकना ही नहीं कृषि व गौपालन के बारे में भी संदेश देते थे | ईसाई मिशनरियों के कुचक्र से बचाकर सबको मुक्ति का मार्ग भी दिखाया था इसलिए उन्हें “धरती आबा”यानि “धरती का भगवान” भी कहा जाता है |

मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए डॉ. नंद कुमार साय ने कहा कि भगवान राम की सेना में बंदर-भालू नहीं बल्कि यह जनजाति समाज के ही लोग थे | आज विदेशी ताकतों के इशारों पर समाज को तोड़ने का कार्य कुछ दिग्भ्रमित जनजाति के लोग ही कर रहे हैं | समाज के सामने प्राचीन काल से अधिक आज चुनौतियां हैं जिसके कारण कार्य करने का अधिक अवसर है | प्रकृति पूजक वनवासी समाज प्रसुप्त नहीं,जागरूक समाज है, जो सनातन संस्कृति की पहचान है |
मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए प्रेमशंकर सिदार ने कहा कि धर्म के संस्कारों को जीवन में उतारने वाला समाज अगर कोई है तो वह जनजाति समाज ही है | अतिथि देवो भवः का विचार भी इनको देखकर ही आया होगा | भ्रूण हत्या जैसी बुराईयों से यह समाज आज भी कोसों दूर है | देश की आवश्यकता के समय यह समाज हमेशा आगे आकर खड़ा हुआ | इन्हीं में बिरसा मुण्डा का नाम अग्रणी है | उनका व्यक्तित्व विराट है | उनका स्पष्ट मत था कि धर्मान्तरण से बचना है तो धार्मिक दृढ़ता चाहिए | इसके लिए उन्होंने स्वयं हिन्दू धर्मग्रंथों का अध्ययन किया | घर-घर गौ-तुलसी पूजा प्रारंभ करवाई | अंग्रेज सरकार ने उन्हें पागल बताकर जेल में डाल दिया था | जेल से बाहर आने के बाद उन्होंने समाज में स्वाभिमान जगाकर लोगों को संगठित कर धरती को बचाने अंग्रेजों पर एक साथ आक्रमण किया | वैदिक जीवन जीने वाले जनजाति समाज, सनातन धर्म के मूल में है | भारत को समाप्त करने के लिए जनजाति समाज के खिलाफ अनेकों षड्यंत्र प्राचीन काल से चला आ रहा है अब जनजाति समाज गौरव के प्रयासों से वे जागरूक होकर खड़े हो रहे हैं |
इस अवसर पर वनवासी जागरण पुस्तक और वार्षिक कैलेण्डर का अतिथियों के द्वारा विमोचन किया गया |तीन स्तर पर आयोजित निबंध प्रतियोगिता के परिणाम भी घोषित किये गये | कार्यक्रम का संचालन विकास मरकाम ने किया जबकि आभार प्रदर्शन सुहास देशपाण्डे ने किया | इस अवसर पर कार्यकर्ताओं सहित अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित थे

