रायपुर 20 जून (mediasaheb.com) | योग यानी भारतीय संस्कृति का समानांतर दर्पण। जब से भारत की सभ्यता मानी जाती है, वेदों और पुराणों में तब से योग की महिमा गाई गई है। योग मात्र कोई शारीरिक गतिविधि नहीं है। यह एक ऐसी शक्ति है जो कई असाध्य रोगों को जड़ से ख़त्म करने की क्षमता रखते हैं और जिसकी वैज्ञानिक पुष्टि भी हो चुकी है। बेशक इन भ्रांतियों पर हमें विश्वास नहीं करना चाहिए कि सबकुछ योग से ठीक हो सकता है, लेकिन यह तय है कि जो बीमारियां अपने भीतर से उत्पन्न होती है, उन्हें मिटाने में योग ने अपनी भूमिका को सार्थक किया है। इसी कारण आज योग की महिमा पूरा विश्व गा रहा है और इसमें योग गुरु बाबा रामदेव और हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का सबसे अहम योगदान है।
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस यानी पूरे विश्व का ध्यान उस शक्ति की ओर जिसने इसकी महत्ता विश्व पटल पर प्रतिपादित की। भारत…। भारत योग गुरु था, है, रहेगा, लेकिन इसे जाहिर करने वाला कोई नहीं था। संयुक्त राष्ट्र संघ ने 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाए जाने की घोषणा की और पूरा विश्व आज इसकी तैयारी में लगा हुआ है। इस दिवस को मनाने से पहले हमें इस बात पर गौर जरूर करना चाहिए कि यूएन जैसी संस्था ने आखिर कैसे विश्व का ध्यान भारत के कहने पर योग के लिए आकर्षित किया और 21 जून को ही क्यों चुना गया? पहली बार अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 21 जून 2015 को मनाया गया था। इससे पहले 27 सितंबर 2014 प्रधानमंत्री जी का संयुक्त राष्ट्र संघ में वो भाषण हुआ था, जिसने पूरी दुनिया के लिए योग की भूमिका तैयार की। उन्होंने अपने भाषण में कहा था-
“योग भारत की प्राचीन परंपरा का एक अमूल्य उपहार है। यह दिमाग और शरीर की एकता का प्रतीक है। मनुष्य और प्रकृति के बीच सामंजस्य है। विचार, संयम और पूर्ति प्रदान करने वाला है तथा स्वास्थ्य और भलाई के लिए एक समग्र दृष्टिकोण को भी प्रदान करने वाला है। यह व्यायाम के बारे में नहीं है, लेकिन अपने भीतर एकता की भावना, दुनिया और प्रकृति की खोज के विषय में है। हमारी बदलती जीवन शैली में यह चेतना बनकर, हमें जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद कर सकता है। तो आयें एक अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस को गोद लेने की दिशा में काम करते हैं।”
27 सितंबर को उन्होंने अपनी बात दुनिया को कही थी और इसके तीन महीने के भीतर ही11 दिसम्बर 2014 को संयुक्त राष्ट्र में 193 सदस्यों में से 175 देशों ने बिना किसी वोटिंग के 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। यह भारत के लिए गौरव का क्षण था क्योंकि हमारे प्रधानमंत्री के इस प्रस्ताव को 90 दिन के अंदर पूर्ण बहुमत से पारित किया गया था, जो अब तक संयुक्त राष्ट्र संघ में किसी दिवस प्रस्ताव के लिए सबसे कम समय है और इसमें अमेरिका, चीन, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी जैसे देशों ने खुलकर स्वागत किया था। यूएन ने योग की महत्ता को स्वीकारते हुए माना कि ‘ योग मानव स्वास्थ्य व कल्याण की दिशा में एक संपूर्ण नजरिया है।’ इसके बाद 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस माना गया। जब दुनिया को भारत ने अंतरराष्ट्रीय दिवस देने की पहल की तो यह भारत का, हमारा, आपका नैतिक कर्तव्य और दायित्व बन जाता है कि हम इस दिशा में वो काम करके दिखाएं, जो दुनिया के लिए मिसाल हो और इसी क्रम में हमारे छत्तीसगढ़ समेत पूरे भारत योग दिवस मनाने की तैयारी चल रही है।
अब दूसरा सवाल कि 21 जून ही क्यों चुना गया। 21 जून को ही अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस बनाए जाने के पीछे की वजह है कि इस दिन ग्रीष्म संक्रांति होती है। यानी इस दिन सूर्य धरती की दृष्टि से उत्तर से दक्षिण की ओर चलना शुरू करता है। यानी सूर्य जो अब तक उत्तरी गोलार्ध के सामने था, अब दक्षिणी गोलार्ध की तरफ बढ़ना शु्रू होता है। योग के नजरिए से यह समय संक्रमण काल होता है, यानी रूपांतरण के लिए बेहतर समय होता है। यह सबसे लंबा दिन होता है।
सद्गुरु ( सद्गुरु)जी के अनुसार, ग्रीष्म संक्राति ( ग्रीष्मकालीन अयनांत ) के दिन अपने ध्यान से उठने के बाद आदियोगी दक्षिण की ओर घूमे, जहां उनकी सबसे पहली नजर सप्तऋषियों पर पड़ी। ये सात ऋषिउनके पहले सात शिष्य थे, जिन्होंने योग के विज्ञान को दुनिया के हर कोने में पहुंचाया। यह बेहद खुशी की बात है कि 21 जून मानवता के इतिहास में उस महान घटना का प्रतीक बन गया। योगिक कथाओं के अनुसार योग का पहला प्रसार शिव द्वारा उनके सात शिष्यों के बीच किया गया। कहते हैं कि इन सप्त ऋ षियों को ग्रीष्म संक्राति के बाद आने वाली पहली पूर्णिमा के दिन योग की दीक्षा दी गई थी, जिसे शिव के अवतरण के तौर पर भी मनाते हैं। इस दौर को दक्षिणायन के नाम से भी जाना जाता है। इस दौरान आध्यात्मिक साधना करने वाले लोगों को प्रकृति की तरफ से स्वत: सहयोग मिलता है।’ यही वजह है कि 21 जून को विश्व योग के रूप में स्वीकार किया गया।
वास्तव में योग करने से पहले इस बात की भी जानकारी होना जरूरी है कि योग है क्या? भारत में इसे एक आध्यात्मिक प्रक्रिया के तौर पर देखा जाता है, जिसमें शरीर, मन और आत्मा को एक साथ लाया जाता है। यानी तीनों का योग कराया जाता है। योग शब्द की उत्पत्ति ही युज शब्द से हुई है, जिसका मतलब है जोड़ना। इसका एक और अर्थ भी है और वो है समाधि। समाधि मतलब चित्त वृत्तियों का निरोध करना। अर्थात योग के द्वारा हम पहले स्वयं से जुड़ें, तत्पश्चात समाधि तक पहुंचे और इसके जरिए परमात्मा से मिलन हो। श्री कृष्ण ने भी गीता में कहा है- “योग: कर्मसु कौशलम्” अर्थात योग से कर्मों में कुशलता आती है। योग की उच्च अवस्था समाधि होती है, जो मोक्ष या कैवल्य तक पहुंचाती है। कैवल्य का अर्थ जैन धर्म के मुताबिक ज्ञान प्राप्ति होता है।
स्वामी विवेकानंद का सपना था- भारत विश्व योग गुरु बने ,जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने दुनिया को योग का रास्ता दिखाया तो दुनिया उनके पीछे दौड़ पड़ी। लेकिन 1893 में पश्चिमी दुनिया का योग से परिचय कराया स्वामी विवेकानंद जी ने। अमेरिका के शिकागो में विश्व धर्म संसद को संबोधित करते हुए उन्होंने भारत के पूर्व के कई गुरुओं व योगियों के योग का महत्व बताया। उन्होंने दुनियाभर में योग का प्रसार किया और दुनिया ने योग को बड़े पैमाने पर स्वीकार किया। विश्व योग दिवस की घोषणा के बाद तो आज विश्व स्तर के कई नेता, अभिनेता, मॉडल्स, खेल से जुड़ी हस्तियां योग को बढ़ावा देने के लिए प्रचार प्रसार कर रही हैं। हमारे प्रधानमंत्री स्वयं बेहद कम उम्र से योग का अभ्यास करते आ रहे हैं और उनकी ऊर्जा से हम भलिभांति परिचित हैं ही।
क्या फायदे हैं योग के
हम मनुष्य किसी चीज़ की ओर तभी आकर्षित होते हैं, जब उनसे हमें लाभ मिलता है। जिस तरह से योग के प्रति हम लोग आकर्षित हो रहे हैं, वह इस बात का संकेत हैं कि योग के कई फायदे हैं। योग को न केवल हमारे शरीर को बल्कि मन और आत्मिक बल को सुदृढ़ और संतुष्टि प्रदान करता है। दैनिक जीवन में भी योग के कई फायदे हैं।
तनाव से मुक्ति
आज पूरा विश्व जिस सबसे भयंकर बीमारी से ग्रसित है, वह है डिप्रेशन और पूरे विश्व में मानक के तौर पर इसका इलाज बनकर उभरा है योगा। यह प्रमाणित तथ्य हैं कि योग मुद्रा, ध्यान और योग में श्वसन की विशेष क्रियाओं द्वारा तनाव से राहत मिलती है। योग मन को विभिन्न विषयों से हटाकर स्थिरता प्रदान करता है और कार्य विशेष में मन को स्थिर करने में सहायक होता है।
सकारात्मक विचार
जीवन में सकारात्मक विचारों का होना बहुत जरूरी है। निराशाजनक विचार असफलता की ओर ले जाता है। योग से मन में सकारात्मक उर्जा का संचार होता है। योग से आत्मिक बल मिलता है और मन से चिंता, विरोधाभास एवं निराशा की भावना दूर होती है। मन में प्रसन्नता एवं उत्साह का संचार होता है। इसका सीधा असर व्यक्तित्व एवं सेहत पर होता है।
मानसिक क्षमताओं का विकास
इसके अलावा मानसिक क्षमताओं का विकास होता है। स्मरण शक्ति एवं बौद्धिक क्षमता जीवन में प्रगति के लिए प्रमुख साधन माने जाते हैं। योग से मानसिक क्षमताओं का विकास होता है और स्मरण शक्ति पर भी गुणात्मक प्रभाव होता है। योग मुद्रा और ध्यान मन को एकाग्र करने में सहायक होता है। एकाग्र मन से स्मरण शक्ति का विकास होता है। प्रतियोगिता परीक्षाओं में तार्किक क्षमताओं पर आधारित प्रश्न पूछे जाते हैं। योग तर्क शक्ति का भी विकास करता है एवं कौशल को बढ़ता है। योग की क्रियाओं द्वारा तार्किक शक्ति एवं कार्य कुशलता में गुणात्मक प्रभाव होने से आत्मविश्वास भी बढ़ता है।
मजबूत शरीर
इतना ही नहीं, योग से शरीर मजबूत और लचीला होता है। योग मांसपेशियों को सुगठित और शरीर को संतुलित रखता है। सुगठित और संतुलित और लोचदार शरीर होने से कार्य क्षमता में भी वृद्धि होती है। कुछ योग मुद्राओं से शरीर की हड्डियां भी पुष्ट और मजबूत होती हैं। यह अस्थि सम्बन्धी रोग की संभावनाओं को भी कम करता है।
सेहत और योग
योग शरीर को सेहतमंद बनाए रखता है और कई प्रकार की शारीरिक और मानसिक परेशानियों को दूर करता है। योग श्वसन क्रियाओं को सुचारू बनाता है। योग के दौरान गहरी सांस लेने से शरीर तनाव मुक्त होता है। योग से रक्त संचार भी सुचारू होता है और शरीर से हानिकारक टाँक्सिन निकल आते हैं। यह थकान, सिरदर्द, जोड़ों के दर्द से राहत दिलाता है एवं ब्लड प्रेशर को सामान्य बनाए रखने में भी सहायक होता हैं।इन सब कारणों से सभी के लिए आवश्यक है कि सुबह सुबह रोजाना योग किया जाए और अपने शरीर को स्वस्थ रखा जाए।
शरीर के दृष्टिकोण से सद्गुरु (सद्गुरु)जी ने एक स्थान पर कहा है-“ हमारे शरीर को दो तरह के रोग होते हैं एक तो बाहरी इंफैक्शन से जिसे इंफैक्शियस कहा जाता है और दूसरा क्रॉनिक डिजीस, यानी जो हमारे भीतर ही उत्पन्न होता है। 30 प्रतिशत बीमारियां बाहरी तत्वों के कारण होती हैं, जिसके लिए बाहरी इलाज अर्थात डॉक्टर के पास जाना ही पड़ता है, लेकिन 70 फीसदी बीमारियां हमारे आंतरिक कारणों से होती हैं, जिनका इलाज अंतर्मन को ताकतवर बनाकर किया जा सकता है और ये योग के द्वारा संभव है। यदि लोग रोजाना थोड़ा सा अभ्यास करें और अपने शरीर के सिस्टम को योग के द्वारा सक्रिय रखें, तो 70 फीसदी क्रॉनिक डिजीज से मुक्ति हो सकती है।”
योग के सुदर्शन क्रिया की महत्ता श्री श्री रविशंकरजी ने प्रतिपादित की। उन्होंने भी योग के महत्व को अपने कथन में प्रतिपादित किया है। उन्होंने कहा है :“ योग आकस्मिक तरीके से लोगों के जीवन को बदल सकता है। यह हृदयको नरम करता है, बुद्धि को तेज करता है और भ्रम को साफ करता है। इस शताब्दी में,जब अवसाद दुनिया की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है, तो योग निस्संदेहसर्वश्रेष्ठ ऐप है जिसे हर किसी को अपने जीवन में डाउनलोड करना होगा। ”विश्व योग दिवस के उद्देश्यइन्हीं सब बातों के मद्देनजर विश्व योग दिवस के उद्देश्यों को बनाया गया।-योग के फायदों के बारे में लोगों को बताना।- योग अभ्यास के द्वारा लोगों को प्रकृति से जोड़ना।- योग के द्वारा ध्यान की आदत को लोगों में बनाना।- योग के समग्र फायदो ंकी तरफ विश्व का ध्यान खींचना।- विश्व में बीमारियों की दर घटाना।- स्वास्थ्य के लिए समय निकालकर समुदायों को करीब लाना। – वृद्धि, विकास और शांति को पूरे विश्वभर में फैलाना। – बुरी परिस्थिति में लोगों की मदद करना, तनाव से राहत दिलाना।- वैश्विक समन्वय को मजबूत करना।
योग का लोगो (IYD logo)
इसे हमें योग के लिए वैश्विक लोगो के जरिए भी समझ सकते हैं। आप इसे ध्यान से देखिएगा। लोगो में दोनों हाथों का तह करना योग, संघ का प्रतीक है जो व्यक्ति के संघ को प्रतिबिंबित करता है। सार्वभौमिक चेतना के साथ चेतना, मन और शरीर, मनुष्य और प्रकृति के बीच एक परिपूर्ण सामंजस्य, स्वास्थ्य और कल्याण के लिए एक समग्र दृष्टिकोण। भूरे रंग के पत्तों ने पृथ्वी के तत्व का प्रतीक रखा है। हरी पत्तियां प्रकृति का प्रतीक है। नीले पानी के तत्व का प्रतीक है। चमक अग्नि तत्व का प्रतीक है और सूर्य ऊर्जा और प्रेरणा के स्रोत का प्रतीक है। लोगो मानवता के लिए सामंजस्य और शांति को दर्शाता है, जो योग का सार है।
जोरों से चल रही तैयारियां
इतनी महान संस्कृति के धरोहर के रूप में आज हम सभी विश्व योग दिवस मनाने जा रहे हैं। पूरा देश इसकी तैयारी कर रहा है। हमारे राज्य में भी इसकी तैयारियां जोरों से हो रही है। उनका सहयोग लगातार मिल रहा है। हमारा लक्ष्य है कि पूरे प्रदेश में पहले 50 लाख से ज्यादा लोगों को योग से सीधे जोड़ा जाए। इसके लिए स्कूल स्तर से शुरुआत का लक्ष्य है। प्राइमरी, मिडिल, हाई व हायर सेकेंडरी स्कूल के 28 लाख 22 हजार विद्यार्थियों को, पंचायत स्तर के 21 लाख 93 हजार लोगों को, जिला स्तर पर 27 हजार लोगों को, प्रदेश के विभिन्न कॉलेजों से तकरीबन 5 लाख लोगों को, नगरीय निकायों से 68 हजार लोगों को, ब्लॉक स्तर से 73 हजार लोगों को और राज्य स्तर से 3000 प्रतिभागियों को एक साथ जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है। यह योग दिवस के दिन सार्थक रूप से दिखे, इसके पूरे प्रयास किए गए हैं। इसके लिए आर्ट ऑफ लिविंग, पतंजलि संस्थान, नेहरू युवा केंद्र समेत कई संस्थाएं आगे आई हैं। डा. रमन सिंह की मंशा रही है कि योग के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ का विशिष्ट स्थान हो, यही कारण है कि योग के लिए उन्होंने देश में सबसे पहले आयोग बनाने की घोषणा की और हाल ही में इसका अध्यक्ष भी बनाया है। विभाग भी इसकी पूरी तैयारी में इसी कारण जुटा है कि यह न केवल भारतीय संस्कृति की अस्मिता का प्रश्न है, बल्कि इससे छत्तीसगढ़ की पृथक पहचान बनाने का एक अवसर भी मिलेगा। देश के सांस्कृतिक नक्शे में हम अपनी अलग पहचान योग के जरिए बना सकते हैं।
आइए, हम सबमिलकर संकल्प लें कि विश्व योग दिवस पर भारत को विश्वगुरु बनाने की दिशा में हम सब एक होकर इस तरह आगे बढ़ेंगे, कि हमारे स्वरों की ध्वनि पूरे विश्व में गूंजायमान होगी। हमारे योग की ऊर्जा से विश्व में बंधुत्व, स्नेह और परिवार की भावना को बल मिलेगा। जिस वसुधैव कुटुंबकम की परिकल्पना हमारे शास्त्रों ने हजारों से साल पहले की थी, उसके साकार रूप को गढ़ने में हमारी छोटी छोटी कोशिशें बहुत बड़ी भूमिका अदा करेगी।
-सोनमणि बोरा , आई.ए॰एस. वर्तमान समाज कल्याण , खेल एवं युवा कल्याण विभागों के सचिव है.छत्तीसगढ़ राज्य में अंतर्राष्ट्रिय योग दिवस आयोजन के ज़िम्मेदारी इन्हें सौंपा गया हैं