रायपुर, (media saheb.com) श्री शंकराचार्य आश्रम बोरियाकला में आज गुरु पूर्णिमा के उपलक्ष्य में गुरु पादुका पूजन का आयोजन किया गया। ब्रह्मचारी डॉक्टर इन्दुभवानन्दजी महाराज ने बताया कि प्रातः काल मंगला आरती, रुद्राभिषेक, तथा परांबा भगवती राज राजेश्वरी त्रिपुर सुंदरी की श्रृंगार आरती के पश्चात गुरु, परम गुरु, परमेष्ठी गुरु, परात्पर गुरु तथा गुरु परंपरा का पूजन किया गया। राजराजेश्वरी त्रिपुरसुन्दरी का विभिन्न द्रव्यों से केला, नाशपाती, बादाम,छुहारा, किशमिश व अक्षत से सहस्रार्चन किया गया। डॉ इंदुभवानन्द महाराज ने अपने उद्बोधन में कहा कि गुरु में मनुष्य बुद्धि नहीं रखना चाहिए जो व्यक्ति गुरु को मनुष्य समझता है, मंत्र को अक्षर समझता है, और देवता को पाषण समझता है उसका शीघ्र विनाश हो जाता है। उसकी समस्त उपासना व्यर्थ हो जाती है। अतः गुरु में मनुष्य बुद्धि नहीं रखना चाहिए।
संसार में अनेक प्रकार के गुरु मिलेंगे किंतु जो गुरु तत्वज्ञान करा दें ,परमात्मा से मिलन करा दें वही वास्तव में गुरु होता है उसी गुरु की शरण में जाना चाहिए। उन्होंने गुरु की उपमा शंकर जी से देते हुए बताया कि गुरु ज्ञान स्वरूप होते हैं यदि गुरु का आश्रय लिया जाएगा तो लाख दोष होने पर भी गुरु शरणागत आए हुए शिष्य की रक्षा करता है। जैसे चंद्रमा में अनेक दोष होने पर भी जब भगवान शंकर उसको स्वीकार कर लेते हैं तब सारे संसार के लोग उसकी वंदना करने लगते हैं। वैसे ही यदि गुरु व्यक्ति को अंगीकार कर ले तो उसका जीवन वास्तव में सार्थक हो जाता है। संसार में तीन चीजें दुर्लभ होती है एक तो मनुष्य का जन्म ,दूसरा मुक्त होने की इच्छा और ,तीसरा योग गुरु की प्राप्ति। यदि योग गुरु की प्राप्ति हो गई तो जीवन वास्तव में सार्थक हो जाता है। आज से संन्यासियों का चातुर्मास व्रत प्रारंभ हो जाएगा। पूज्य पाद महाराज श्री अपना चातुर्मास व्रत मध्यप्रदेश के परमहंसी गंगा में संपन्न करने जा रहे हैं। सोशल डिस्टेन्स का पालन करते हुए समस्त भक्तों ने शंकराचार्य जी महाराज की चरण पादुका को नमन किया। For English News : the states.news