नईदिल्ली(media saheb) विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने उच्च शैक्षणिक संस्थानों में नए शैक्षणिक सत्र से आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के छात्र-छात्राओं को लाभ देने के लिए सर्कुलर भेजा है। इस आदेश के अमल में आने पर कॉलेजों में सभी श्रेणियों के छात्रों की सीटें बढ़ जाएंगीं। इससे शिक्षकों और कर्मचारियों के भी अधिक पद सृजित होंगे। यूजीसी के संयुक्त सचिव डॉ. जितेंद्र त्रिपाठी ने डीयू के कुलसचिव और कॉलेजों के प्राचार्यों को एक सर्कुलर भेजकर 30 जनवरी तक इस संबंध में सूचित करने को कहा है।
सर्कुलर में आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों को देश के सभी विश्वविद्यालयों, केंद्रीय विश्वविद्यालयों, पूर्ण वित्त पोषित, मानद विश्वविद्यालयों व दिल्ली विश्वविद्यालय के प्राचार्यों को संबोधित करते हुए कहा कि आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों को सभी केंद्रीय शैक्षणिक संस्थानों में संविधान के 103 वें संशोधन के अनुसार आरक्षण देते हुए उनके प्रवेश को सुनिश्चित करने के लिए यह नीति त्वरित गति से लागू करें। दिल्ली विश्वविद्यालय की अकादमिक परिषद के सदस्य प्रो. हंसराज सुमन ने बताया कि यूजीसी के इस सर्कुलर के आने से शैक्षिक सत्र 2019-20 से विभिन्न विभागों व विषयों में 25 फीसदी सीटें बढ़ जाएंगी।
इन सीटों के बढ़ने से आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के साथ-साथ अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के अलावा सामान्य वर्गों के विद्यार्थियों की सीटों में इजाफा होगा। उन्होंने कहा कि इसके लिए कर्मचारियों को आंकड़े एकत्रित कर सीटों का ब्यौरा तैयार कराया जा रहा है।
आगामी शैक्षिक सत्र 2019–20 से लागू करने के लिए छात्रों के प्रवेश के साथ ही यह कहा गया है कि उस कॉलेज व संस्थान की वेबसाइट पर इस आरक्षण की नीति को लागू करने के संदर्भ में स्पष्ट रूप से उल्लेख करे। इसके अतिरिक्त कार्यक्रम के अनुसार सीटों के आंकड़े तय करें और संभावित वित्तीय आवश्यकताओं के बारे में 31 जनवरी से पहले यूजीसी को सूचित करें। सुमन ने बताया कि इससे पहले 2007 में ओबीसी आरक्षण लागू होने पर छात्रों, शिक्षकों और कर्मचारियों की सीटें बढ़ी थीं और केंद्र सरकार ने शिक्षकों की नियुक्ति के पहले ट्रेंच में लगभग 1300 पद दिए थे। इसी तरह से ओबीसी कर्मचारियों की सीटों में इजाफा हुआ था।(हि.स.)