अस्पताल के उद्घाटन के एक दिन पहले ही उसके द्वारा पंजीयन का आवेदन प्रस्तुत किया जाता है, आवेदन प्रस्तुत होने के 3 दिन पूर्व एक अदृश्य जाँच समिति उसकी जाँच कर लेती है और चौथे दिन मुख्यमंत्री उस अस्पताल का लोकार्पण कर आते हैं!
मुख्यमंत्री ने या तो साफ़ तौर पर अपने चहेतों को अनुचित फ़ायदा पहुँचाने के लिए ‘छत्तीसगढ़ स्टेट उपचार गृह तथा रोग उपचार संबंधी स्थापना अनुशासन नियम 2013’ की धज्जियाँ उड़ाकर हज़ारों मासूमों की जान जोखिम में डाल दी है या फिर उन्होंने टाइम मशीन का अविष्कार कर लिया है जिसके लिए उन्हें नोबल पुरस्कार से नवाज़ा जाना चाहिए
छः महीने में प्रदेश के अस्पतालों में भर्ती मरीजों की मौत की संख्या 3 गुना (256%) बढ़ी है। इसकी जांच हेतु भी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा स्वास्थ्य मंत्री द्वारा प्रस्तावित उच्च-स्तरीय ‘डेथ रिब्यू कमेटी’ की फाईल भी ठण्डे बस्ते में पड़ी है
छत्तीसगढ़ शासन में ‘वन मैन शो’ चल रहा है। स्वास्थ्य और अन्य मंत्रियों की स्थिति चतुर्थ वर्ग के बाबू से भी बत्तर है
रायपुर (mediasaheb.com) आज अपनी नियमित प्रेस वार्ता में जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी ने कहा कि ‘कल ही मैने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के छः महीने के कार्यकाल की छः उपलब्धियों में 256% मृत्युदर में वृद्धि होने के कारण सरकारी अस्पतालों को मौत की फैक्ट्रियों में तब्दील होना बताया था। आज इस संबंध में पुख्ता प्रमाणों के साथ चैकाने वाला खुलासा करने जा रहा हूं।’
अमित जोगी ने बताया कि कल 17 जुन 2019 को मुख्यमंत्री द्वारा बिलासपुर के प्रताप चौक स्थित ‘लाईफ केयर हास्पीटल एवं मेटरनिटी होम’ और ‘सिद्धी विनायक टेस्ट ट्यूब बेबी सेंटर’ के फीते काटकर उद्घाटन किए गए। मुख्यमंत्री को ये जानकारी होनी चाहिये कि उन्होने ऐसा अपने ही सरकार के स्वास्थ्य विभाग के मंत्री के कड़े विरोध के बावजूद और स्वास्थ्य संबंधित सभी नियमों को ताक में रखते हुए किया। ऐसा करके उन्होने ‘लाईफ केयर हास्पिटल एवं मेटरनिटी होम’ की जगह ‘डेथ केयर हास्पीटल एवं मरच्यूरी होम’ का उद्घाटन कर दिया:
जिस ‘डेथ केयर हास्पीटल एंड मरच्यूरी होम’ का उद्घाटन मुख्यमंत्री ने कल 17/06/2019 को किया उसके द्वारा ‘छत्तीसगढ़ स्टेट उपचारगृह तथा रोगउपचार संबंधी स्थापना अनुशासन नियम 2013’ के अंतर्गत आवेदन क्रमांक 52992 एक दिन पूर्व ही दिनांक 16/06/2019 को पंजीयन शुल्क के साथ जमा किया गया।
चौंकाने वाली बात यह है कि उपरोक्त नियम के अनुसार जिला सी.एच.एम.ओ. ने पंजीयन पूर्व इंस्पेक्शन (जांच) हेतु दिनांक 13/06/2019 निर्धारित किया। मतलब पंजीयन के आवेदन प्रस्तुत करने के पूर्व ही टाईम मशीन में बैठकर सी.एच.एम.ओ. तीन दिन पहले जाकर उपरोक्त अस्पताल की जांच समिति गठित करके जांच भी कर चुके थे। इस टाईम मशीन के अविष्कार के लिए श्री भूपेश बघेल को फिजिक्स के क्षेत्र में नोबल पुरुस्कार से सम्मानित किया जाना चाहिए। पंजीयन का आवेदन तथा उसमें अंकित जांच समिति द्वारा जांच करने की तिथि वाला दस्तावेज इस प्रेस नोट के साथ संलग्न है।
‘छत्तीसगढ़ स्टेट उपचार गृह तथा रोग उपचार संबंधी स्थापना अनुशासन नियम 2013’ के अंतर्गत किसी भी चिकित्सालय या उपचार गृह के पंजीयन पूर्व छः सदस्यीय जांच समिति का गठन किया जाना प्रावधानित है। इस जांच समिति में दो डाक्टर, आयुष विभाग के सदस्य, नगर निगम के अधिकारी, जिला पर्यावरण मण्डल के अधिकारी, जिला कलेक्टर द्वारा निर्धारित अधिकारी सदस्य रहते है।
वर्तमान में अकेले बिलासपुर जिले में उपरोक्त अस्पताल के आवेदन देने के पूर्व ही अन्य 156 उपचारगृह का पंजीयन हेतु आवेदन स्वास्थ्य विभाग में लंबित है किन्तु आज तक उनकी जाँच करना तो दूर,प्रशासन द्वारा जांच समिति का गठन ही नहीं किया गया है। पंजीयन हेतु आवेदन देने वाली 156 संस्थाओं की सूची भी प्रेस नोट के साथ सलग्न है।
‘छत्तीसगढ़ स्टेट उपचार गृह तथा रोग उपचार संबंधी स्थापना अनुशासन नियम 2013’ के अंतर्गत जांच समिति जांच उपरांत अपनी रिपोर्ट मुख्य चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी के माध्यम से कलेक्टर की अध्यक्षता वाली ज़िला स्वास्थ समिति के समक्ष स्वीकृति हेतु प्रस्तुत करती है।
श्री जोगी ने बताया कि उक्त अति-आवश्यक और लाइफ़-सेविंग प्रक्रियाओं का पालन न करते हुए फीता काटने और झूठी वाहवाही लूटने की जल्दबाजी में प्रदेश में मुख्यमंत्री ने अस्पताल नहीं बल्कि मौत की फैक्ट्री का उद्घाटन कर छत्तीसगढ़ के हजारो मासूमों की जान जोखिम में डाल दी है।
अमित ने आगे कहा कि यही कारण है कि उनके छः महीने के कार्यकाल में प्रदेश के अस्पतालों में भर्ती मरीजों की मौत की संख्या 3 गुना (256%) बढ़ी है। इसकी जांच हेतु भी मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल द्वारा स्वास्थ्य मंत्री द्वारा प्रस्तावित उच्च-स्तरीय ‘डेथ रिब्यू कमेटी’ की फाईल भी ठण्डे बस्ते में पड़ी है।
प्रदेश की सरकार में ‘वन मैन शो’ चल रहा है। स्वास्थ्य मंत्री समेत बाक़ी सभी मंत्रियों की स्थिति चतुर्थ वर्ग के बाबू से भी बत्तर है।


