(mediasaheb.com) Mahendrasingh Dhoni है तो मुमकिन है कभी इस बात को सच कर दिखाने वाले वही माही आज सवालों के घेरे में हैं, यदि सवाल पूछने वाले केवल दो मिनट ठहर कर धोनी के आंकड़ों और उपलब्धियों को देखें तो शायद उन्हें उनके सवालों का जवाब मिल जाएगा। यह सच है कि धोनी का हेलीकॉप्टर अब कम उड़ता है, लेकिन विकेटकीपिंग एवं मैदान पर स्ट्रेटजी बनाने और कठिन परिस्थितियों में विकेट पर डटे रहने में अभी उनका कोई सानी नहीं। तो ऐसे में धोनी के विकल्प की तलाश क्यों? इसी सवाल का जवाब तलाशती ये स्टोरी।
महेंद्र सिंह धोनी 9-10 जुलाई को मैनचेस्टर में खेले गए क्रिकेट वर्ल्ड कप 2019 के सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड के खिलाफ रन आउट हुए। उसके बाद उन्हें रिटायरमेंट की सलाह देने की हवा चल पड़ी। फिर क्या इसमें सभी कूद पड़े। संन्यास लेने की सलाह देने वालों में पूर्व खिलाड़ियों सहित वह आम जनमानस शामिल हो गया, जिसकी उम्मीदों पर धोनी अब तक खरे उतरे हैं। टीम इंडिया को सेमीफाइनल न जिता पाने के चलते धोनी को पलकों पर बैठाने वाले लोग इतनी जल्दी खफा हो जाएंगे इसका अंदाजा माही को भी नहीं था।
क्रिकेट का एक ऐसा जुझारू योद्धा जिसके क्रीज पर रहते सभी जीत की उम्मीद करते हैं। कहा भी जाता है कि धोनी है तो मुमकिन है। धोनी ने अपने क्रिकेट करियर में दर्जनों बार टीम इंडिया को ऐसे मैच जिताए जिनमें भारत की हार निश्चित थी। इनमें से 47 मैच ऐसे रहे जिनमें उनके नाबाद रहते भारत को जीत मिली। महेंद्र सिंह धोनी को लेकर हाय तौबा मचाने वाले लोगों को पता होना चाहिए कि वह इस वर्ल्ड कप में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले भारत के चौथे बल्लेबाज हैं। विश्व कप में महेंद्र सिंह धोनी से ज्यादा रन रोहित शर्मा 648, विराट कोहली 443, केएल राहुल 361 और एमएस धोनी ने 273 रन बनाए हैं। एमएस धोनी ने उपरोक्त तीनों बल्लेबाजों की अपेक्षा मैच में एक पारी कम भी खेली है। माही ने ये रन विश्व कप में पांचवें और छठे नंबर पर बैटिंग करते हुए बनाए हैं।
एक नजर इधर भी
महेंद्र सिंह धोनी के नाम विकेटकीपर के तौर पर वनडे क्रिकेट में सबसे बड़ी पारी दर्ज है। 31 अक्टूबर 2005 को जयपुर में उन्होंने श्रीलंका के खिलाफ नाबाद 183 रनों की पारी खेली थी।
एकदिवसीय क्रिकेट में सबसे ज्यादा स्टंपिंग करने का रिकॉर्ड धोनी के नाम है। उन्होंने अब तक अपने करियर में
123 स्टंपिंग की हैं। श्रीलंका के कुमार सांगकारा 99 और श्रीलंका के ही रोमेश कालुवितरणा 75 स्टंपिंग के साथ दूसरे
और तीसरे नंबर पर हैं।
वनडे क्रिकेट में भारत की तरफ से छक्के लगाने के मामले में धोनी दूसरे नंबर पर हैं। एकदिवसीय क्रिकेट में उनसे ज्यादा छक्के रोहित शर्मा ने 232 लगाए हैं। वहीं धोनी अब तक 229 छक्के लगा चुके हैं। सचिन तेंदुलकर 195 छक्कों के साथ तीसरे स्थान पर हैं।
भारत की तरफ से वनडे में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ियों में एमएस धोनी पांचवें नंबर पर हैं। सचिन तेंदुलकर
18,426, सौरव गांगुली 11,363, विराट कोहली 11,286, राहुल द्रविड़ 10,889, एमएस धोनी 10,773। धोनी ने ये रन ज्यादातर पांचवें और छठे नंबर पर बैटिंग करते हुए बनाए हैं।
टेस्ट क्रिकेट में एक दिन में दोहरा शतक पूरा करने वाले महेंद्र सिंह धोनी दुनिया के इकलौते विकेटकीपर बल्लेबाज हैं। ये करिश्मा उन्होंने आॅस्ट्रेलिया के खिलाफ चेन्नई टेस्ट के दौरान 2013 में किया था।
जबकि इस क्रम में बल्लेबाजी करना बहुत आसान नहीं होता है। दुनिया के बहुत कम गिने चुने बल्लेबाज हैं जो नंबर पांच या छह पर बल्लेबाजी करते हुए टीम को मैच जिताए होंगे। हाल ही में इंटरनेशनलल क्रिकेट काउंसिल और सचिन तेंदुलकर ने अपनी-अपनी वर्ल्ड कप टीम चुनीं। वर्ल्ड कप प्लेइंग इलेवन में आईसीसी और सचिन ने विकेटकीपर के तौर पर आॅस्ट्रेलिया के एलेक्स कैरी को जगह दी। जब कभी भविष्य में विश्व कप 2019 के आंकड़ों को देखा जाएगा तो सबसे ज्यादा स्टंपिंग किस विकेटकीपर ने की तो वहां, निश्चित तौर धोनी का नाम लिया जाएगा। एमएस धोनी ने विश्व कप में सबसे ज्यादा 3 स्टंपिंग की है। इस विश्व कप में अगर सबसे ज्यादा रन बनाने वाले विकेटकीपर देखे जाएं तो धोनी पांचवें नंबर पर हैं।
आॅस्ट्रेलिया के विकेटकीपर एलेक्स कैरी इस मामले में 375 रन बनाकर अव्वल हैं। उसके बाद बांग्लादेश के मुशफिकुर रहीम 367 रन, इंग्लैंड के जोस बटलर 312 रन, साउथ अफ्रीका का क्वांटन डिकॉक 305 रन धोनी से ज्यादा रन बनाए हैं। एमएस धोनी ने 9 मैचों की 8 पारियों में 273 रन किए हैं। पारी के हिसाब से अगर देखा जाए तो बांग्लादेश के मुशफिकुर रहीम ही धोनी से बेहतर हैं। मुशफिकुर और धोनी ने विश्व कप में 8-8 पारियों में बल्लेबाजी की है। इसके अलावा सभी विकेटकीपर्स ने धोनी से ज्यादा पारियां खेली हैं। मौजूदा समय में भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली को दुनिया का सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज माना जाता है। लेकिन बात जब अहम मैचों में प्रदर्शन की हो तो कोहली धोनी से कोसों पीछे नजर आते हैं। मिसाल के तौर पर विराट 2011 के क्रिकेट वर्ल्ड कप सेमीफाइनल और फाइनल मैच में अपने प्रदर्शन से टीम इंडिया को निराश किया।
वहीं 2015 और 2019 के क्रिकेट वर्ल्ड कप सेमीफाइनल मैच के दौरान विराट का प्रदर्शन निम्न स्तर का रहा। जबकि इस दौरान महेंद्र सिंह धोनी ने यादगार पारियां खेलीं। जहां 2011 के सेमीफाइनल में धोनी ने 25 रन बनाए वहीं फाइनल में उन्होंने 91 रनों की आतिशी पारी खेली। 2015 क्रिकेट विश्व कप सेमीफाइनल में जहां विराट सिर्फ 1 रन बनाकर आउट हुए वहीं धोनी ने 65 रनों की पारी खेली। उसके बाद 2019 विश्व कप सेमीफाइनल में एक बार फिर विराट नाकाम साबित हुए और 1 रन बनाकर चलते बने जबकि धोनी 50 रन बनाकर आउट हुए। आईसीसी लेवल के फाइनल मैचों पर अगर नजर डाली जाए तो साल 2017 में चैम्पियंस ट्रॉफी का फाइनल मैच सिर्फ एक ऐसा मुकाबला रहा जिसमें धोनी कुछ खास नहीं कर पाए और वह 4 रन बनाकर आउट हुए।
इस खिताबी मुकाबले में कोहली भी 5 रन बनाकर चलते बने। पूर्व में कई क्रिकेट विशेषज्ञ ये कह चुके हैं कि महेंद्र सिंह धोनी की तकनीक ठीक नहीं है। इस बात को मैं भी स्वीकार करता हूं कि उनकी बैटिंग तकनीक राहुल द्रविड़ जैसी कभी नहीं रही और न ही कभी एमएस धोनी ने कहा कि मेरी बैटिंग तकनीक बहुत साउंड है। हां इतना जरूर है कि उन्होंने आड़े-तिरछे स्ट्रोक खेलकर बल्लेबाजी करने की नई कला विकसित की। उनका ईजाद किया हुआ हेलीकॉप्टर शॉट को अक्सर कई बल्लेबाजों को कॉपी करते हुए देखा जा सकता है। जहां कई पूर्व क्रिकेटर और विशेषज्ञ उन्हें संन्यास लेने का सलाह दे रहे हैं मेरा भी मानना है कि धोनी को रिटायर हो जाना चाहिए। कम से कम भारतीय क्रिकेट टीम को ये पता तो चले कि धोनी के बगैर टीम की क्या दशा होगी? जो खिलाड़ी उन्हें संन्यास लेने की दलील दे रहे हैं शायद उन्होंने अब तक ये नहीं बताया कि एमएस धोनी की जगह कौन लेगा।
ज्यादातर लोगों का मानना है कि ऋषभ पंत उनके उत्तराधिकारी के हकदार हैं। लेकिन कभी किसी ने सोचा है कि पंत अभी तक आईपीएल के मूड से बाहर नहीं निकले हैं। 50 ओवर के गेम में ऋषभ पंत वैसे ही बल्लेबाजी करते नजर आते हैं जैसे वह 20 ओवर का मैच खेल रहे हों। ये पंत के लिए अच्छा संकेत नहीं है। वहीं दिनेश कार्तिक भी अपने करियर के अंतिम सोपान में हैं। ऐसे में उन्हें विकेटकीपर की जिम्मेदारी देना खतरे से खाली नहीं है। ये बात मैं भी स्वीकार करता हूं कि बड़े-बड़े बालों वाला धोनी अब वो धोनी नहीं कि 30-35 गेंद खेले और धुआंधार 50-60 रन ठोके दे। समय के साथ-साथ धोनी और परिपक्व हुए। और कई मौकों पर मैदान पर डटकर दूसरे छोर के बल्लेबाजों का हौसला अफजाई किया। यानी एक दूसरे रूप में टीम को अभूतपूर्व योगदान दिया।
उसकी नजीर इस विश्व कप में भी दिखी। इसी का कमाल है कि उनके मैदान पर रहते विराट कोहली तनाव मुक्त रहते हैं। अगर दोनों में कप्तानी का अंतर देखना हो तो आईपीएल पर एक नजर डाली जा सकती है। विराट रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर की वर्षों से कप्तानी कर रहे हैं लेकिन एक बार भी खिताब नहीं जिता पाए। वहीं धोनी ने चेन्नई सुपर किंग्स को तीन बार चैम्पियन बनाया है। इसका सीधा मतलब ये हुआ कि वनडे क्रिकेट में जो विराट को सफलता मिलती है उसमें धोनी का अमूल्य योगदान है। इसी का परिणाम है कि महेंद्र सिंह धोनी की रणनीति का लोहा विराट कोहली भी मानते हैं। इसलिए कोहली ने कहा भी कि धोनी उनके हमेशा कप्तान रहेंगे। फिलहाल उम्मीद करते हैं कि धोना धमाल जारी रहेगा।(हि .स .)