रायपुर ( mediasaheb.com)धर्म संसार :सोमवार काे पूरे देश में महाशिवरात्रि व्रत धूमधाम से मनाई जा रही है। शिवरात्रि पर्व भगवान् शिव के दिव्य अवतरण का मंगलसूचक है। उनके निराकार से साकार रूप में अवतरण की रात्रि ही महाशिवरात्रि कहलाती है। वे हमें काम, क्रोध, लोभ, मोह, मत्सरादि विकारों से मुक्त करके परम सुख, शान्ति ऐश्वर्यादि प्रदान करते हैं।
महाशिवरात्रि पर शिवजी के लिए व्रत रखकर खास पूजा-अर्चना की जाती है। वहीं, महिलाओं के लिए महाशिवरात्रि का व्रत बेहद ही फलदायी माना जाता है। मान्यता है कि महाशिवरात्रि का व्रत रखने से अविवाहित महिलाओं की शादी जल्दी होती है, वहीं, विवाहित महिलाएं अपने सुखी जीवन के लिए महाशिवरात्रि का व्रत रखती हैं।
महाशिवरात्रि के संबंध में एक मान्यता ये है कि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। वहीं ईशान संहिता के अनुसार इस दिन भगवान शिव प्रकट हुए थे। इस दिन शिव-भक्त मंदिरों में शिवलिंग पर बेल-पत्र आदि चढ़ाकर पूजा, व्रत तथा रात्रि-जागरण करते हैं। धार्मिक, आध्यात्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से महाशिवरात्रि पर्व का बहुत महत्व है।
महाशिवरात्रि व्रत का महत्व :
ज्योतिर्लिंग का प्रादुर्भाव होने से यह पर्व महाशिवरात्रि के रुप में मनाया जाता है। इस व्रत को सभी कर सकते हैं। इसे न करने से दोष लगता है। ये व्रतराज’ के नाम से विख्यात है। शिवरात्रि यमराज के शासन को मिटाने वाली है और शिवलोक को देने वाली है। शास्त्रोक्त विधि से जो इसका जागरण सहित उपवास करते हैं। उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। शिवरात्रि के समान पाप और भय मिटाने वाला दूसरा व्रत नही है। इसके करने मात्र से हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं।
महाशिवरात्रि का रहस्य :
ज्योतिषाचार्य के अनुसार फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि में चन्द्रमा सूर्य के समीप रहता है। अतः यही समय जीवन रूपी चन्द्रमा का शिवरूपी सूर्य के साथ योग- मिलन होता है। अतः इस चतुर्दशी को शिवपूजा करने से मनुष्यों को मनचाहा फल मिलता है।
महाशिवरात्रि पूजा-विधि :
- सबसे पहले सुबह नहाकर शरीर को शुद्ध करें.
- सूर्य को जल चढ़ाएं
- मंदिर में दीपक को जलाएं और पूजा विधि शुरू करें.
- पहले भगवान गणेश और माता पार्वती का ध्यान करें.
- भगवान शिव का पूजन करते हुए उनकी प्रतिमा को थाली में बिठाएं

