बेटे के लिए दुर्ग की टिकट जुटाना हुआ कठिन
रायपुर(mediasaheb.com) छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की 11 सीटों पर नाम तय होने की प्रक्रिया के आखिरी दौर में सरकार के मंत्री ताम्रध्वज साहू की जमकर घेराई के संकेत मिले हैं। दुर्ग संसदीय सीट के लिए साहू ने अपने बेटे जितेंद्र का नाम बढ़ाया था, लेकिन लगता है उनके दांव के खिलाफ प्रदेश कांग्रेस नेताओं के दांवपेच की ऐसी दीवार खड़ी कर दी है कि साहू को बेटे के लिए टिकट जुटा पाना आसान नहीं होगा। माना जा रहा है कि इस सीट के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पंसद पर बी फार्म की मुहर लगेगी।
2018 के विधानसभा चुनाव में दुर्ग ग्रामीण सीट जीतकर विधायक बनने वाले ताम्रध्वज साहू उस समय प्रदेश की राजनीति में चमके थे जब वे मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में गिने जा रहे थे। इससे पहले 2014 में दुर्ग लोकसभा सीट जीतकर कांग्रेस की राजनीति में प्रभावी हो गए थे। अब इस सीट से वे अपने बेटे जितेंद्र को टिकट दिलवाने की कवायद में हैं।
कांग्रेस की सियासत के जानकारों का कहना है कि इस बार के चुनाव में उनके दांव के खिलाफ जमकर लामबंदी हो चुकी है। कांग्रेस के दिग्गज नेताओं ने बेहद सधे हुए अंदाज में राजनांदगांव से साहू प्रत्याशी के रूप में भोलाराम की टिकट पक्की करवाई,इसके साथ ही अभनपुर के विधायक धनेंद्र साहू को महासमुंद लोकसभा का प्रत्याशी बनवा दिया है। टिकट बंटवारे के सामान्य समीकरण के हिसाब से देखें तो अब नहीं लगता कि दुर्ग में एक और साहू प्रत्याशी उतारकर कांग्रेस ओबीसी उम्मीदवारी का गणित बिगाड़ना चाहेगी। राज्य में ओबीसी में साहू का जितना महत्व है उनकी ही निर्णायक भूमिका कुर्मी समुदाय की भी है। इस गणित से देखें तो दुर्ग सीट कुर्मी समाज के खाते में जाती दिख रही है।
यहां से पूर्व विधायक प्रतिमा चंद्राकर की दावेदारी को भूपेश बघेल की सहमति से जोड़कर देखा जा रहा है। 2018 के विधानसभा चुनाव में दुर्ग ग्रामीण से प्रतिमा की टिकट काटकर ताम्रध्वज साहू को दी गई थी। अब माना जा रहा है कि साहू के बेटे की दावेदारी दरकिनार हुई तो प्रतिमा को टिकट मिल सकती है। 2014 में ही रायपुर से छाया वर्मा की टिकट काटकर सत्यनारायण शर्मा को प्रत्याशी बनाया गया था। बाद में उन्हें राज्यसभा में भेजा गया। माना जा रहा है कि इसी प्रकार का संतुलन बनने के लिए भी प्रतिमा के नाम को तवज्जो दी जा सकती है।