रायपुर,(mediasaheb.com) रमन सिंह के धान खरीदी के ट्विटों पर कांग्रेस की प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता शैलेश ने पूछा है कि कोई भी राजनीतिक पार्टी जब घोषणापत्र तैयार करती है तो वह विपक्षी पार्टियों से पूछ कर तय नही करती है। रमन सिंह यह बताए कि जब 2013 में उन्होंने छत्तीसगढ़ के किसानों से 300रू. बोनस का वादा किया था, तो क्या उस समय केंद्र की यूपीए सरकार से पूछ कर किया था? न पूछने के बाद भी माननीय मनमोहन सिंह जी की सरकार ने बिना भेदभाव के ना केवल रमन सिंह को अनुमति दी थी बल्कि केंद्रीय पूल के लिये चावल भी खरीदा था। 2014 में मोदी सरकार ने किसान को धान के समर्थन मूल्य के अतिरिक्त बोनस दिये जाने पर रोक लगाई। मोदी सरकार ने किसान विरोधी नियम बनाएं। फिर चुनाव को देखते हुये रमन सिंह सरकार को बोनस देने की अनुमति दी गयी, फिर अब क्या भाजपा की जगह कांग्रेस सरकार बदल जाने से परिस्थितियां बदल गई?
कांग्रेस प्रवक्ता शैलेश त्रिवेदी ने कहा है कि अब रमन सिंह और भाजपा का किसान विरोधी चेहरा अब बेनकाब हो चुका है। एक और तो देश के प्रधानमंत्री 2022 तक अन्नदाताओं की आय दुगुनी करने की बाते करते है एवं लागत से डेढ़ गुना दाम देने की घोषणा करते है। दूसरी ओर अपनी जिम्मेदारियो से पल्ला झाड़ रहा है। प्रधानमंत्री मोदी का किसान विरोधी चेहरा बेनकाब हो गया है। भाजपा 2500 रू. किसानों को देने में बाधा न डाले। भाजपाई को 2500रू. में आपत्ति हो तो केंद्र सरकार द्वारा घोषित प्रति क्विंटल 1815 रू. का दाम लेने की घोषणा करें।
CM भूपेश बघेल के नेतृत्व में कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ के किसानों से जो वादा किया था धान के 2500रू. प्रति क्विंटल समर्थन मूल्य देने का उस पर कांग्रेस सरकार आज भी पूरी तरह कायम है और छत्तीसगढ़ के किसानों से धान 2500रू. प्रति क्विंटल के समर्थन मूल्य पर ही खरीदा जाएगा।
रमन सिंह और भाजपा नेता यह बताएं कि वे छत्तीसगढ़ के किसान को 2500रू. प्रति क्विंटल धान के समर्थन मूल्य देने के खिलाफ क्यों हैं? केंद्रीय पूल के तहत चावल खरीदना केंद्र सरकार का कर्तव्य है और संघीय व्यवस्था के तहत राज्य और राज्य के किसानों का अधिकार भी। केन्द्र जब छत्तीसगढ़ का कोयला खरीदने को तैयार है, छत्तीसगढ़ का बाक्साइट और लौहअयस्क खरीदने तैयार है। छत्त्तीसगढ़ का बिजली खरीदने को तैयार है, फिर केन्द्रीय पूल में छत्तीसगढ़ का चांवल खरीदने से पीछे क्यों हट रही है? 2500 रू. समर्थन मूल्य पर धान खरीदी से प्रदेश में व्यापार बढ़ा है। आर्थिकमंदी के दुष्प्रभाव से छत्तीसगढ़ का व्यापार उद्योग बचा रहा है। भारतीय जनता पार्टी किसानों और छत्तीसगढ़ के हितो के खिलाफ क्यों है? क्या रमन सिंह और भाजपा नेताओं और खासकर सांसदो का व्यक्तिगत अहंकार किसानों की समस्या से बढ़कर है? केंद्र के कृषि लागत और मूल्य निर्धारण आयोग द्वारा निर्धारित धान के लागत मूल्य पर स्वामिनाथन कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार 50 प्रतिशत लाभ जोड़ने पर समर्थन मूल्य लगभग 2450रू. से भी अधिक होता है।
कांग्रेस सरकार 2500रू. किसानों को समर्थन मूल्य दे रही है तो इससे भाजपा को आपत्ति क्यों है?
15 साल तक लगातार छत्तीसगढ़ के किसानों को ठगने वाले रमन सिंह ने 2018 के घोषणा पत्र में वादा करने से पूर्व केंद्र सरकार से अनुमति लिये जाने का सवाल उठाकर खुद मोदी सरकार को ही कटघरे में खड़ा किया है। धान की 2500 रू. खरीदी के संदर्भ में रमन सिंह का रवैय्या आपत्तिजक किसान विरोधी और छत्तीसगढ़ विरोधी है।