अभी तक परियोजना शुरु नहीं की है
खदान के आसपास नहीं है कंपनी
2014 की ग्राम सभा एनएमडीसी ने करवाई थी
रायपुर, (mediasaheb.com) बैलाडीला लाैह अयस्क खदान का खनन ठेका हासिल करने वाली कंपनी अडानी इंटरप्राइजेज लिमिटेड(एईएल) (Adani Enterprises Limited (AEL) ने इस खदान से जुड़े विवाद पर पहली बार आधिकारिक रूप से अपना पक्ष मीडिया के समक्ष रखा। कंपनी ये यह कदम राज्य सरकार के फैसले के बाद उठाया है। मंगलवार को राज्य सरकार ने खदान क्षेत्र में 25 हजार पेड़ काटने पर रोक लगाई है। इसके साथ ही खदान क्षेत्र में चल रही सभी प्रकार की गतिविधियों को भी रोक दिया है। राज्य सरकार ने इस खदान की अनुमति से संबंधित 2014 में हुई फर्जी ग्राम सभा की जांच कराने का भी निर्देश दिया है। इधर वन विभाग ने खदान क्षेत्र में पेड़ों की कटाई की जांच के लिए तीन सदस्यों वाली एक समिति का गठन भी किया है। प्रधान मुख्य वन संरक्षक इस समिति के अध्यक्ष होंगे। मंगलवार को खदान मामले में राज्य सरकार के इन बड़े फैसलों के बाद विवाद से जुड़ी कंपनी को अपना पक्ष रखने के लिए सामने आना पड़ा है।
ये है अडाणी कंपनी का पक्ष
किरंदुल में लौह अयस्क भंडार 13 के मालिक के रूप में, केंद्र और राज्य के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (पीएसयू) एनएमडीसी-सीएमडीसी लिमिटेड का एक संयुक्त साहस स्वयं ही जरुरी नियामकीय अनुमतियों को प्राप्त करने और कानूनी शर्तों को पूरा करने में कार्यरत है। 2018 में, एनएमडीसी सीएमडीसी लिमिटेड ने पारदर्शी प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया के माध्यम से अदाणी एंटरप्राइजेज लिमिटेड (एईएल) को केवल खनन ठेकेदार (माइनिंग कॉन्ट्रैक्टर) के रूप में नियुक्त किया था। एईएल ने अभी तक अपनी परियोजना शुरू नहीं की है और अयस्क भंडार -13 के मालिक एनएमडीसी सीएमडीसी लिमिटेड द्वारा सभी अनिवार्य शर्तों को पूरा करने के बाद ही अपना कोई भी कार्य शुरू करेगा। आज की वर्तमान स्थिति के अनुसार, एईएल किरंदुल में उपस्थित नहीं है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि एनएमडीसी सीएमडीसी लिमिटेड लौह अयस्क संसाधनों का मालिक है और एईएल केवल एक अनुभवी और जिम्मेदार खनन ठेकेदार के रूप में सहयोग प्रदान करेगा। अदाणी समूह सबके साथ मिल कर विकास कार्य को बढ़ाने में दृढ़ता से विश्वास रखता है और छत्तीसगढ़ राज्य के लिए इसकी प्रतिबद्धता, इसकी अलाभकारी संस्था, अदाणी फाउंडेशन द्वारा किए गए सामुदायिक पहलों से स्पष्ट है। एईएल और अदाणी फाउंडेशन सरगुजा जिले के किये गये विकास के समावेशी और टिकाऊ मॉडल को दंतेवाड़ा में भी दोहराने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”