बिलासपुर(mediasaheb.com) सेंट्रल जेल में आयोजित मानसिक स्वास्थ कैंप में आज 13 नए रोगियों की पहचान की गयी । यह सब हाल ही में जेल में लाये गए हैं । सभी नए मानसिक रोगियों की काउंसलिंग की गयी और उन्हें उपचार पर रखा गया है।
एंजेलिना वैभव लाल, नर्सिंग ऑफिसर, के अनुसार आज के कैंप में कुल 181 रोगियों को देखा गया जिसमें से 13 नए रोगी थे, जो की सब पुरुष हैं। बाकी पहले से ही इलाज पर हैं । जेल में पाए जाने वाले लोगों की मानसिक स्थिति अक्सर ठीक नहीं होती है जिसके चलते वह अपराधी प्रवृति के हो जाते हैं । इन में से ज़्यादातर नशे के आदि होते हैं जैसे शराब और गुटखा, और अक्सर नशा न मिलने पर खुद को और दूसरों को चोट पहुँचाने की कोशिश करते हैं या फिर बहुत हिंसक हो जाते हैं जिसके कारण इनको सेंदरी के मनोरोग चिकित्सालय में भर्ती करवाना पड़ता हैं। अधिक गुस्सा आना और डिप्रेशन होना भी जेल में रहने वाले कैदियों में एक आम सी बात है।
मानसिक विकारों से ग्रसित लोगों का इलाज अक्सर कई साल चलता है, लेकिन जैसे जैसे रोगी में सुधार दिखने लगता है उसकी दवा कम की जाती है. अस्पताल में भर्ती रोगी जब हिंसा छोड देते हैं और बाकी सब की तरह बातचीत करने लगते हैं तो उन्हें फिर जेल में शिफ्ट किया जाता है जहाँ वह सजा पूरी होने तक रहते हैं । जब रोगी ठीक होने लगते हैं तो वह खुद ही पूछने लगते हैं कि उनकी दवा कितने दिन तक चलेगी ।
एंजेलिना वैभव लाल कहती हैं मानसिक रोगियों का उपचार करना कई बार कठिन होता है क्योंकि वह दवा लेने से मना कर देते हैं और यह मानने के लिए तैयार ही नहीं होते की उन्हें उपचार की ज़रुरत है । इस स्थिति में रोगियों को इंजेक्शन दिया जाता है या फिर गोली को पीस कर खाने में डाला जाता है जिससे वह ग्रहण करते हैं।
कैंप में डॉ आशुतोष तिवारी, मनोचिकित्सक; सेंदरी अस्पताल से डॉ प्रशांत पाण्डेय; नीरज शुक्ल, क्लिनिकल साय्कोलोजिस्ट, और अखिलेश कुमार डेविड (नर्सिंग ऑफिसर) शामिल रहे।