मुंबई, (mediasaheb.com) फिल्मों की मायानगरी में एक वक्त ऐसा हुआ करता था, जब होली मनाने के लिए काफी पहले से तैयारियां होने लगती थीं, लेकिन अब बदलते दौर में बालीवुड में होली सेलिब्रेशन का मतलब ही बदल चुका है। हिंदी फिल्मों की दुनिया में एक जमाने में सबसे ज्यादा चर्चा राजकपूर की होली की हुआ करती थी। आरके स्टूडियो में होली का हर रंग देखने को मिलता था। होली के जश्न की हर तैयारी पर खुद राजकपूर नजर रखते थे। उस दौर में आरके की होली का हिस्सा बनना खुशकिस्मती माना जाता था। राजकपूर के इस स्टूडियो के गेट उस दिन फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े हर कलाकार और तकनीशियन के लिए खुले रहते थे और किसी के साथ कोई मतभेद नहीं हुआ करता था।
एक तरफ सितारा देवी संगीत के सुर छेड़ती थीं, तो ढोलक पर खुद राज कपूर काबिज हुआ करते थे और नरगिस मेहमानों के खाने पीने का इंतजाम संभाला करती थीं और इस जश्न में हर सितारा पंहुचता था और हर किसी को आरके में होली क लिए विशेष रुप से बनाए गए टब में उतार दिया जाता था। देर शाम तक राजकपूर की होली का जश्न चलता रहता था। अस्सी के दशक तक फिल्म इंडस्ट्री में राज कपूर की होली पर्याय बनी रहती थी। अस्सी के दशक में पहली बार अमिताभ बच्चन ने अपने बंगले प्रतीक्षा में होली का आयोजन करना शुरु कर दिया, जिसमें बड़ी संख्या में साथी कलाकार पंहुचते थे। बच्चन की होली का जश्न ज्यादा सालों तक नहीं चला।
इसके बाद शाहरुख खान ने अपने बंगले मन्नत में होली मनाना शुरु कर दिया। करण जौहर और यशराज में होली का जश्न मनाया जाने लगा और एकता कपूर ने अपने अंदाज में होली मनाना शुरु कर दिया। इस तरह से बालीवुड की होली कैंपों में बंटकर रह गई और अब आलम ये है कि फिल्म इंडस्ट्री में कुछ चैनल होली का आयोजन करते हैं, लेकिन ज्यादातर सितारे निजी तौर पर होली का त्योहार मनाते हैं और अपने करीबियों के घर जाते हैं, लेकिन राज कपूर जिस अंदाज में अपनी होली में पूरी फिल्म इंडस्ट्री को सराबोर कर लेते थे, वो अब इतिहास के पन्नों में सिमट चुका है।(हि.स.)।