अंबिकापुर (mediasaheb.com) । विकासखंड अंबिकापुर के ग्राम पंचायत भफौली व कंचनपुर के बीच बांध का निर्माण तो करा दिया गया, लेकिन प्रभावित किसानों को अभी तक मुआवजा राशि का भुगतान नहीं किया गया है। बांध निर्माण के कारण एक सौ से अधिक किसानों की जमीन डूब क्षेत्र में चली गई है।
बांध के दूसरी ओर जाने का साधन नहीं होने के कारण प्रभावित किसानों को खेती का भी अवसर नहीं मिल रहा है। पिछले 5-6 वर्षों से खेत खाली पड़े हुए हैं और किसान मुआवजा और दूसरी सुविधाओं के लिए कार्यालयों का च-र लगा रहे हैं। कोई भी जिम्मेदार अधिकारी किसानों की समस्या को दूर करने के लिए आगे नहीं आ रहा है।
बलरामपुर जिले की सीमा से लगे सरगुजा जिले के अंतिम गांव भफौली में वर्षों पुराना शंकर बांध था। इसी बांध का दायरा बढ़ाने की मांग नजदीक के गांवों के किसानों द्वारा की गई थी। कम गहराई और जलभराव वाले शंकर बांध तथा कंचनपुर के बीच बहने वाले नाले को जोड़कर 7 वर्ष पूर्व बड़े बांध का निर्माण करा दिया गया।
बांध का केचमेंट एरिया बढ़ जाने के कारण भफौली, कंचनपुर, बकना खुर्द के किसानों की कई हेक्टेयर जमीन डूब क्षेत्र में चली गई। भफौली के किसान प्रमोद, तिलक, कल्लू, राजाराम, मोहन आदि ने बताया कि पहले उन्हें पता ही नहीं चला कि इतने बड़े बांध का निर्माण कराया जाएगा। बांध बना देने से उनकी जमीन डूब गई।
सिर्फ बरसात के सीजन में ही नहीं बल्कि वर्ष भर बांध में लबालब पानी भरा रहता है। बांध बनाने से पहले प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा मुआवजा वितरण के लिए कोई पहल नहीं की गई। जमीन के डूब क्षेत्र में चले जाने के बाद से वे लगातार कार्यालयों का च-र लगा रहे हैं। मय दस्तावेज अधिकारियों को यह बता रहे हैं कि उनकी जमीन बांध निर्माण के कारण डूब क्षेत्र में चली गई है, लेकिन अभी तक कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
खेती नहीं हो पाने से उनके समक्ष आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया है। प्रशासन द्वारा अभी तक मुआवजा भी नहीं दिया गया है। मुआवजा प्रकरण को लेकर किसी प्रकार की कोई जानकारी भी नहीं दी जाती है। जनप्रतिनिधियों के अलावा जिम्मेदार अधिकारियों को भी वे लोग कई बार मौखिक और लिखित रूप से अवगत करा चुके हैं, लेकिन मुआवजा राशि प्रदान करने के लिए व्यवस्था ही नहीं बनाई जा रही है।
ऐसे में किसानों के समक्ष असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो गई है। किसानों ने बताया कि जब तक बड़े बांध का निर्माण नहीं कराया गया था तब तक वे साल में दो फसली खेती लिया करते थे। नाले के पानी का उपयोग सिंचाई सुविधा के रूप में होता था। बांध का पानी भी उन्हें मिल जाता था अब पूरी जमीन डूब क्षेत्र में चली गई है। किसान खाली बैठे हुए हैं। किसानों ने बताया कि भफौली की ओर से बांध के जलभराव वाले क्षेत्र के दूसरी ओर भी किसानों की जमीन है, लेकिन उधर जाने का कोई रास्ता ही नहीं है।
इस कारण बांध बनने के बाद से वह जमीन भी खाली पड़ी हुई है। बांध के उस और जाने का साधन नहीं होने के कारण वे खेती नहीं कर पा रहे हैं। पिछले वर्ष ग्रामीण दंपत्ति बांध को पार कर दूसरी ओर खेती करने की मंशा से जा रहे थे। उसी दौरान वे अनियंत्रित होकर डूब गए जिससे दोनों की मौत हो गई। इस घटना के बाद से गांव वाले और भयभीत हो गए हैं।
जान जोखिम में डालकर वे खेती करने के लिए तैयार भी नहीं है जब तक बांध नहीं बना था तब तक रामानुजगंज मुख्य मार्ग में भफौली स्कूल के बगल से प-ी सड़क जाती थी जो बकना खुर्द होते हुए ग्राम पंचायत सिध्माको जोड़ा करती थी, कंचनपुर के लोगों का भी इसी मार्ग से आनाजाना लगा रहता था, लेकिन बांध बन जाने के बाद भफौली और बकना खुर्द के बीच की सड़क का बड़ा हिस्सा भी पानी में डूब गया है।
एक रपट पुलिया भी इसी में समाहित हो चुकी है, जिस कारण इस मार्ग में भी आवागमन पूरी तरह से बंद हो चुका है। जन सुविधा विस्तार के नाम पर कुछ वर्ष पूर्व पुल निर्माण का काम शुरू किया गया था, लेकिन इसे भी पूर्ण नहीं किया गया। लगभग 1 वर्ष पुलिया निर्माण का काम भी बंद पड़ा हुआ है। प्रभावित किसानों ने बताया कि अब बकना खुर्द, कंचनपुर आने-जाने वाले ककना, सिधमा होते हुए या फिर सरगवा होते हुए अंबिकापुर आना-जाना करते हैं।
मछली पालन का दे दिया है ठेका
इस पूरे मामले में जनपद पंचायत अंबिकापुर की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। भफौली, कंचनपुर, बकनाखुर्द के प्रभावित किसानों ने बताया कि मुआवजा वितरण के लिए अभी तक कोई प्रयास नहीं किया गया लेकिन बांध के जरिए मछली पालन का ठेका निजी हाथों को सौंप कमाई का जुगाड़ जरूर कर लिया गया है, जिस बांध ने एक सौ से अधिक किसानों को परेशानी में डाल रखा है, उसी बांध में मछली पालन का ठेका जनपद पंचायत द्वारा दे दिया गया है इसके एवज में जनपद को राजस्व का लाभ निश्चित रूप से हो रहा होगा लेकिन बांध बनने के कारण प्रभावित हुए जिन किसानों को आज तक मुआवजा नहीं मिला है उसके लिए भी पहल होनी चाहिए अन्यथा मछली पालन का ठेका भी प्रभावित किसानों को ही देने की कोशिश करनी चाहिए थी।
कलेक्टर से लगाई किसानों ने गुहार
किसानों ने कलेक्टर डॉक्टर सारांश मित्तर से मुलाकात कर संपूर्ण परिस्थितियों से अवगत कराया है। किसानों ने मुआवजा राशि प्रदान किए जाने के साथ ही अधूरे पड़े पुलिया निर्माण को तत्काल पूर्ण कराने का आग्रह किया है ताकि बांध के दूसरी ओर खाली पड़ी उपजाऊ जमीन पर वे खेती कर सकें।
नहर बन गई, लेकिन पानी नहीं छोड़ा
बबली व कंचनपुर के बीच बांध निर्माण की उपयोगिता अभी तक सामने नहीं आ सकी है। बांध से कंचनपुर की ओर नहर का निर्माण भी करा दिया गया है, लेकिन नहर में पानी नहीं छोड़ा गया है। यदि बांध का गेट बंद कर दिया गया तो जलभराव इतना अधिक हो जाएगा की आसपास के दूसरे खेत भी जल मग्न हो जाएंगे। अंबिकापुर- रामानुजगंज राष्ट्रीय राजमार्ग पर भफौली के जंगास नाला पुलिया के ऊपर से पानी जाने का खतरा शुरू हो जाएगा जिससे पुलिया भी धराशाई हो सकता है और आवागमन कि स्थाई रूप से बाधित हो जाएगा।
एनएच के प्रस्ताव पर नजर
जल संसाधन विभाग के अधिकारी बांध का गेट बंद कर कंचनपुर की ओर नहर में पानी छोड़ने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं इसलिए गेट को खुला रखा गया है। बरसात का पानी बांध में उतना ही भरा हुआ है जिससे की आसपास के दूसरे खेत ना डूबे।
गेट खुला होने के कारण बांध का पानी भी लगातार नाले में बह रहा है। जब तक अंबिकापुर- रामानुजगंज राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित भफौली के जंगास नाला पुलिया की ऊंचाई नहीं बढ़ाई जाती तब तक कंचनपुर बांध का गेट बंद करना संभव नहीं हो पाएगा ।इसके लिए जिम्मेदार अधिकारी राष्ट्रीय राजमार्ग की भविष्य की योजना पर भी नजर जमाये हुए हैं कि उनके द्वारा कई दशक पुराने पुल पुलिया की ऊंचाई बढ़ाई जाएगी या नहीं।